बिहार के आश्रय घर के बाद अब उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित आश्रय घर, माँ विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान से 24 लड़कियों को यौन शोषण से बचाया गया। इसमें कुल 42 लोग रहते थे। 18 लड़कियां अभी भी लापता हैं। राज्य सरकार ने इस पर कार्यवाई शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवरिया के डीएम सुजीत कुमार को हटाने का आदेश भी दे दिया है।
लेकिन इन सभी ख़बरों के बीच एक 10 साल की बच्ची के हौंसले की कहानी भी है। जो सभी को जरुर जाननी चाहिए। वह 10 साल की बच्ची, जिसने न सिर्फ खुद को बल्कि अपने साथ 24 लड़कियों को भी इस आश्रयगृह से बचाया है।
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बच्ची खुद ही पुलिस स्टेशन पहुंची और उसने पुलिस को बताया कि आश्रय घर से लड़कियों को रात में ‘सफ़ेद, काले व लाल’ रंग की कार में कहीं ले जाया जाता है और फिर अगली सुबह वापिस लाया जाता है।
अपने भागने के बारे में इस मासूम ने कहा कि जैसे ही उसे मौका मिला वह तुरंत वहां से भाग निकली और फिर मुड़कर भी नहीं देखा।
इस मामले में पुलिस की कार्यवाई भी उल्लेखनीय है। बताया गया कि यह लड़की लगभग 10:30 बजे पुलिस स्टेशन पहुंची और लगभग 11 बजे पुलिस आश्रयघर में पहुँच चुकी थी, यह पता लगाने के लिए कि क्या चल रहा है। पुलिस ने इस आश्रय घर की मैनेजर गिरिजा त्रिपाठी और उसके पति मोहन त्रिपाठी को तुरंत गिरफ्तार किया।
इसके बाद, पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) भी पंजीकृत की गई, जहां पांच और लोगों के नाम बताये गए। आश्रय घर को राज्य सरकार द्वारा सील कर दिया गया है, और जिला मजिस्ट्रेट और जिला परिवीक्षाधीन अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है।
गौर करने वाली बात है कि एक आश्रय घर जिसका लाइसेंस एक साल पहले से ही रद्द कर दिया गया हो, वह अभी तक भी चल रहा था। हालांकि कई ऐसे सवाल हैं, जिनके उत्तर मिलने हैं लेकिन अच्छी बात है कि इन सभी लड़कियों को वहां से निकाल लिया गया है।
संपादन – मानबी कटोच