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डोनेट नहीं इन्वेस्ट करें! भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाने का काम कर रहे चंद्र मिश्रा

beggars corporation
भिखारी बनें बिजनेसमैन  | Beggars Corporation

“डोंट डोनेट, इन्वेस्ट“‌ यह विचार सुनने में जितना सरल है उतना ही कारगर भी है। अगर आपकी सोच अच्छी हो, तो उसमें इतनी शक्ति होती है कि वह सही दिशा में समाज का निर्माण करने के साथ-साथ, उसे सही राह भी दिखा सकती है। चंद्र मिश्रा (Chandra Mishra) की ऐसी ही सोच ने बनारस (उत्तर प्रदेश) में ‘बेगर्स कॉर्पोरेशन’ की स्थापना की है, जिसका मकसद भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाना है।

भीख मांगने वालों के पुनर्वास के साथ ही, उन्हें पैसे कमाने के लिए सक्षम बनाने और जीवन जीने का सही तरीका सिखाने के लिए, चंद्र मिश्रा ने जनवरी 2021 में ‘बैगर्स कॉर्पोरेशन’ की स्थापना की। उनका मानना है कि सड़कों पर भीख मांगते लोग ना दिखें, इसके लिए भिखारियों का महज़ पुनर्वास करना ही काफी नहीं, ज़रूरी है कि उनमें स्किल डेवलप कर, उन्हें कमाई का सही ज़रिया दिया जाए।

Bags made by beggars

फिलहाल, 12 परिवारों के 55 भिखारी, चंद्र मिश्रा के साथ हैं, जिन्हें वह बिजनेसमैन बना रहे हैं। इन लोगों से वह, कॉन्फ्रेंस बैग, लैपटॉप बैग, कागज और कपड़े के बैग बनवाकर, आम लोगों के साथ-साथ, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और वाराणसी के होटलों में भी पहुंचा रहे हैं।

कैसे आया आइडिया?

बेगर्स कॉरपोरेशन के संस्थापक चंद्र मिश्रा (Chandra Mishra) ने हमसे बात करते हुए कहा, “मैं यहां दान के माध्यम से भिखारियों के पुनर्वास के लिए नहीं, बल्कि उन्हें उद्यमी बनाने के लिए आया हूं। मैं चाहता हूं कि वे श्रम के महत्व को समझें। मैं उन्हें रोजगार देना चाहता हूं और सम्मानजनक जीवन जीने में उनकी मदद करना चाहता हूं।”

Chandra Mishra with beggars in Varanasi

उन्होंने आगे कहा, “मुझे पता चला है कि भारत में कुल 4,13,670 भिखारियों को सालाना 34,242 करोड़ लोग दान करते हैं, तो  मैंने सोचा कि अगर उस राशि को निवेश किया जाए, तो इससे और अधिक पैसा कमाया जा सकता है। अगर दान किए गए पैसों का इस्तेमाल रोजगार पैदा करने और प्रशिक्षण देने के लिए किया जाए, तो इससे अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदली जा सकती है।”

उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए, फैसला लिया है कि वह मार्च, 2023 तक वाराणसी को बैगर फ्री कर देंगे। चंद्र मिश्रा ने कहा कि रोजगार के अलावा, इन भिखारियों की अगली पीढ़ी को भी शिक्षित करना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने एक मॉर्निंग स्कूल ऑफ लाइफ की भी स्थापना की है। यह एक सामान्य शिक्षा की एक एकीकृत प्रणाली है, जहां उन्हें शिक्षित करने के अलावा, बाल भिखारियों को जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। चंद्र मिश्रा (Chandra Mishra) की कोशिश है कि कोई भी बच्चा दोबारा भीख ना मांगे।

लेखकः विशाल खंडेलवाल

संपादनः अर्चना दुबे

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