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केले के पेड़ से निकले कचरे से खड़ा किया बिज़नेस, गाँव की 450 महिलाओं को मिला रोज़गार

रवि प्रसाद, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हरिहरपुर गाँव के रहने वाले हैं। वह केले की खेती करने वाले किसानों और आसपास की महिलाओं को रोजगार मुहैया कर, आत्मनिर्भर बना रहे हैं। कुशीनगर में तकरीबन 27 हजार हेक्टेयर जमीन में केले की खेती की जाती है। पहले केले की कटाई के बाद, केले के पेड़ों को फेंक दिया जाता था। लेकिन रवि ने इनके तनों से निकलने वाले फाइबर (Banana Fiber) को अपने रोजगार का मुख्य साधन बना लिया। उन्होंने इससे कालीन, चप्पल, टोपी, बैग और डोरमैट आदि बनाना सीखा।  

गोरखपुर के ‘दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज’ से इकोनॉमिक्स में बीए पास करने के बाद, रवि ने नौकरी की तलाश के लिए दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में वह नौकरी की तलाश में ही थे कि एक दिन उन्हें रोजगार का एक बेहतरीन आईडिया मिल गया। हुआ यूँ कि वह अपने दोस्तों के साथ, दिल्ली के प्रगति मैदान में एक प्रदर्शनी देखने के लिए पहुँचे थे। प्रदर्शनी में उन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर से आये एक व्यवसायी के स्टॉल पर, केला फाइबर (Banana Fiber) से बनाए गए बैग, टोपी, कालीन जैसी कई चीज़ें देखी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मुझे तभी ख्याल आया कि हमारे कुशीनगर में तो भरपूर मात्रा में केले की खेती होती है। लेकिन, वहां के किसान केले की कटाई के बाद, पेड़ों को कचरा समझ कर फेंक देते हैं। जबकि यह ‘केला फाइबर’ (Banana Fiber) बड़े काम की चीज है।” 

सीखा ‘केला फाइबर’ का सही इस्तेमाल

बस फिर क्या था, रवि ने उस व्यवसायी से इस कला को सिखाने काआग्रह किया। वह बताते हैं, “मैंने उनसे कहा कि मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ और नौकरी की तलाश में घूम रहा हूँ। अगर आप यह कला मुझे सिखाएंगे, तो मैं अपने जैसे कई बेरोजगारों की मदद कर पाऊंगा।” उस व्यवसायी ने उनके जज़्बे को देखकर, उन्हें कोयंबटूर आने के लिए कहा। कोयंबटूर से तकरीबन 160 किलोमीटर दूर, एक गांव में उन्होंने केला फाइबर (Banana Fiber) से विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ली। वह बताते हैं, “मुझे वहां की स्थानीय भाषा की वजह से ट्रेनिंग लेने में काफी दिक्कत आती थी, लेकिन मैं देख-देख कर सब सीखने की कोशिश करता था।”

वहाँ महीने भर की ट्रेनिंग लेने के बाद, वह दिल्ली नहीं बल्कि सीधे अपने गांव पहुंच गए। अब उनके पास रोजगार के लिए हुनर तो था, लेकिन अपना कारोबार शुरू करने के लिए पूँजी नहीं थी। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह कुशीनगर में जिला उद्योग केंद्र गए, जहां उन्हें ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ की जानकारी मिली। आख़िरकार उन्हें ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (PMEGP) के तहत, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से पांच लाख रुपये का लोन मिल गया। रवि ने साल 2018 में, अपने इस हैंडीक्राफ्ट बिजनेस की शुरुआत की थी। वह बताते हैं कि आसपास के गांव से ही उन्हें बड़ी मात्रा में केले के पेड़ मिल जाते हैं।

 केले का कचरा बना रोजगार का साधन 

रवि केला फाइबर (Banana Fiber) के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “यहां के किसानों द्वारा केले की कटाई के बाद, जिन केले के पेड़ों को कचरा समझ कर फेंक दिया जाता था, अब हम उन्हीं का सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं।” उन्होंने बताया कि केले के पेड़ के तने से फाइबर बनाया जाता है। एक मशीन के जरिये, तने के दो भाग किये जाते हैं और उससे सारा रस निकाला जाता है। इसके बाद, रस निकाले हुए तने को छांव में सुखाया जाता है, फिर उससे रेशा यानि फाइबर तैयार किया जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया से निकले हुए कचरे को कम्पोस्ट खाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है। 

उन्होंने लोन की राशि से केले के तने से फाइबर (Banana Fiber) बनाने की मशीन खरीदी और फाइबर तैयार करना शुरू किया। केला फाइबर, धागे के समान ही होता है, जिसका इस्तेमाल कर, वह कारपेट, बैग, टोपी और घर के सजावट की कई चीजें बनाते हैं। तैयार उत्पादों को रंगने के लिए, केले के तने से निकलने वाले रस का इस्तेमाल किया जाता है।  

450 महिलाओं को दिया रोजगार 

साल 2018 के अंत में, राज्य सरकार की ओर से ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना चलाई गयी। इस योजना के ज़रिये रवि को अपनी कला को पहचान दिलाने में काफी मदद मिली। इस तरह, केला फाइबर (Banana Fiber) से बने उनके उत्पाद कुशीनगर की पहचान बन गए। राज्य सरकार द्वारा लगाई गयी एक प्रदर्शनी में, उनको अपना स्टॉल लगाने का भी मौका मिला। अब सालभर में, उन्हें दो बार राज्य और दो बार राज्य के बाहर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मेलों में, जाने के अवसर भी मिलते हैं।

रवि बताते हैं कि जिले में पहचान मिलने के बाद, उन्होंने 450 महिलाओं को केला फाइबर (Banana Fiber) से उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी है। अब, वह केले के पेड़ के तने से रेशा बनाकर उन महिलाओं तक पहुंचाते हैं, जिससे वे अलग-अलग चीज़ें बनाती हैं। रवि ने बताया, “इन सभी महिलाओं को ODOP के तहत ही 10 दिन की ट्रेनिंग दी गई है। इन 10 दिनों की ट्रेनिंग में, उन्हें सरकार की ओर से हर दिन 200 रुपये स्टाईपेन्ड भी मिला। ट्रेनिंग के बाद, उन्हें भविष्य में इस्तेमाल के लिए एक टूल किट भी दी गई, जिसमें चरखा और छोटी-बड़ी कैंचियों के साथ, उत्पादों को रंगने के लिए ब्रश आदि भी शामिल थे।”

रवि ने बताया कि ये महिलाएं उनके आसपास के गांवों की ही हैं। रवि अब तक 50 प्रदर्शनियों में भाग ले चुके हैं, जहां उन्होंने केला फाइबर (Banana Fiber) से बने उत्पादों को कुशीनगर जिले की पहचान के रूप में प्रदर्शित किया है। 

वह बताते हैं कि उन्हें अब देशभर से ऑर्डर मिल रहे हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में अब केले की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के लिए भी असीम संभावनाएं हैं।  

रवि आने वाले दिनों में अपने उत्पाद को Amazon पर भी बेचने की तैयारी कर रहे हैं। 

अगर आप भी केला फाइबर (Banana Fiber) से बनाए उत्पाद खरीदना चाहते हैं, तो 6306353170 पर ऑर्डर कर सकते हैं।

संपादन – प्रीति महावर

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