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मौसमी सब्जियों के साथ सीताफल, केला, ड्रैगन फ्रूट और गन्ना तक, छत पर उगा रहीं हैं यह गृहिणी

अक्सर लोग कहते हैं कि स्वस्थ जीवन के लिए, स्वस्थ भोजन की सबसे अधिक जरूरत होती है। जिसका सबसे आसान उपाय गार्डनिंग (बागवानी) है। यदि आपको गार्डनिंग का शौक है तो आप अपनी छत पर बगीचा(Terrace Garden) बनाकर अपने किचन के लिए सबकुछ उगा सकते हैं। 

आज गार्डनगिरी में, हम आपको आंध्र प्रदेश की एक ऐसी ही महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जो न केवल अपनी छत पर फल-सब्जियां उगा रहीं हैं, बल्कि अपने यूट्यूब चैनल के जरिए लोगों को गार्डनिंग से भी जोड़ रही हैं। 

विशाखापट्टनम में रहने वाली माधवी गुत्तिकोंडा एक गृहिणी, टेरेस गार्डनर और यूट्यूबर हैं। 10 सालों से भी ज्यादा समय से गार्डनिंग कर रहीं माधवी, रसोई के लिए लगभग सभी सब्जियां अपने गार्डन में उगा लेती हैं। बाजार से वह केवल प्याज और लहसुन खरीदती हैं। 

गार्डनिंग के बारे में माधवी ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे बचपन से ही फूल-पौधों का बहुत शौक रहा है। जब मैं बड़ी हुई, मैंने तब भी अपने इस शौक को बनाए रखा। मुझे रंग-बिरंगे फूलों के पौधे जहाँ भी दिखते, मैं उन्हें लाकर अपने घर में लगा लेती थी। मैं शादी के बाद भी गार्डनिंग से जुड़ी रही। बच्चे जब बड़े हुए तो मुझे अपने लिए ज्यादा समय मिलने लगा। इसी दौरान मैंने अपने किचन के लिए, गार्डनिंग शुरू कर दी।” 

माधवी गुत्तिकोंडा

माधवी ने कहा कि वह पहले केवल फूल के पौधे ही लगाती थीं। लेकिन, आगे चलकर उन्होंने सब्जी उगाने का भी फैसला किया। वह बताती हैं, “मैंने धनिया, पुदीना, पालक जैसी हरी सब्जियां लगाई। मुझे अच्छे नतीजे मिले तो सोचा कि दूसरी मौसमी सब्जियां भी लगाने की कोशिश कर ही लेती हूँ। इस तरह, गोभी, बैंगन, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, अरबी जैसी सब्जियां उगाने लगीं। फिर एक दौर आया कि मेरा पूरा ध्यान फल और साग-सब्जियों पर ही केन्द्रित हो गया। बाजार में मिलने वाली सभी सब्जियों को मैं अपने गार्डन में उगाने लगी। साथ ही, अलग-अलग फलों के पेड़ भी लगाए।”

आज उनका टेरेस गार्डन, उनके घर की तीसरी और चौथी मंजिल पर फैला हुआ है। वह लगभग 1,750 वर्ग फुट की जगह में पेड़-पौधे उगा रही हैं। उनके यहाँ लगभग 800 गमले, ग्रो बैग्स और अन्य तरह के कंटेनर हैं, जिनमें वह पेड़-पौधे लगाती हैं। 

माधवी बताती हैं, “जब मैंने गार्डनिंग शुरू की थी तब सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल नहीं हो रहा था। इसलिए, रसायन युक्त खाने के बारे में इतनी चर्चा नहीं थी। लेकिन अब, बाजार की सब्जियों और घर में उगी सब्जियों के स्वाद के बीच का फर्क, सबको समझ में आता है। इसलिए, जब एक बार अपने हाथों से उगाए हुए फल-सब्जियां खाने की आदत पड़ गई तो कभी रुकने के बारे में सोचा ही नहीं।”

मौसमी सब्जियों के साथ उगातीं हैं फल-फूल भी

छत पर उगाए केला और गन्ना भी:

माधवी कहतीं हैं कि वह जब भी कोई अलग तरह की सब्जी या फल देखती हैं तो उसे खुद अपने गार्डन में उगाने की कोशिश करती हैं। वह बीजों से सभी तरह के पेड़-पौधे लगाना पसंद करतीं हैं। माधवी कहती हैं, “जब आप बीज से कोई पौधा लगाते हैं, तो इसके बारे में आपकी जानकारी बढ़ती है। आपको पता चलता है कि कितने दिन बीज को अंकुरित होने में लगे, किस तरह की मिट्टी और खाद का मिश्रण उपयुक्त है और कैसे आप इसे पोषण दे सकते हैं। इससे आप दूसरों को भी ज्यादा से ज्यादा जानकारी दे सकते हैं।” 

अगर अलग-अलग मौसम की बात करें तो वह साल भर में, 50 से ज्यादा किस्म की सब्जियां उगा लेती हैं। वह कई सब्जियां जैसे – बैंगन, लौकी, मूली, मिर्च आदि कि अलग-अलग प्रजातियां भी उगाती हैं। काले बैंगन के अलावा वह हरे लम्बे बैंगन भी लगाती हैं। वह सफेद मूली के साथ-साथ लाल मूली, टमाटर की 4-5 किस्में, सहजन, बीन्स, टिंडोरा, मिर्च, भिंडी, करी पत्ता, करेला, तोरई, कद्दू, लौकी, शिमला मिर्च, रोजमेरी, अश्वगंधा, करेला, जैसी सब्जियां उगा रही हैं। मौसमी साग-सब्जियों के अलावा, उनके यहाँ नींबू, अमरुद, जवाहरफल (Water Apple), सीताफल, केला, ड्रैगन फ्रूट के भी पेड़ हैं। 

उनकी छत पर हल्दी, केला, और गन्ना जैसी फसलें भी उगतीं हैं

वह कहतीं हैं, “आपको यकीन नहीं होगा लेकिन मैं अपनी छत पर गन्ने भी उगाती हूँ। अगर आप ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। शुरू में मुश्किल होती है, लेकिन जब आपको उपज मिलती है तो लगता है कि पूरी मेहनत वसूल हो गई। आपके परिवार को शुद्ध, रसायन मुक्त और पोषण से भरपूर खाना मिल रहा है, इससे ज्यादा आपको और क्या चाहिए।”

पड़ोसियों को भी बांटती हैं साग-सब्जियां:

माधवी के गार्डन की फल-सब्जियों से सिर्फ उनकी रसोई में ही नहीं बल्कि उनकी घरेलू सहायिका की रसोई में भी खाना बनता है। वह बतातीं है कि इतने बड़े गार्डन का अकेले रखरखाव करना बहुत बार मुश्किल हो जाता है। इसलिए, उनकी घरेलू सहायिका भी गार्डन के कामों में उनकी मदद करती है। जब भी गार्डन से वह कोई फल या साग-सब्जियां लेती हैं तो उसमें से सबसे पहले अपनी घरेलू सहायिका को देती हैं। उनका कहना है, “यह सिर्फ मेरा गार्डन नहीं है। वह भी मेरे साथ इसमें मेहनत करती है इसलिए जो भी गार्डन में उपजता है, उस पर उसका भी हक है।”

इसके अलावा, अगर उनके घर में साग-सब्जियां बच जाती हैं तो वह अपने पड़ोसियों के यहां भेज देती हैं। उनके पड़ोसियों को, उनके घर से आई सब्जियों का इंतजार रहता है। माधवी कहती हैं कि उनके आसपास बहुत से लोगों ने उनसे प्रेरणा लेकर गार्डनिंग शुरू की है। 

उनका उद्देश्य सिर्फ खुद साग-सब्जियां उगाना नहीं है बल्कि वह अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करती हैं ताकि दूसरे भी खुद अपना खाना उगाने के लिए प्रेरित हों।

रसोई की सभी जरूरतें पूरी करतीं हैं अपने गार्डन से

इसलिए, उन्होंने 2018 में अपने यूट्यूब चैनल की शुरुआत की थी। वह कहती हैं, “मेरे बेटे के दोस्त अक्सर घर पर पढ़ने-खेलने आते थे। वह हमेशा मेरे गार्डन में टहलते और कहते थे कि आंटी आपको, अपने गार्डनिंग के ज्ञान को ऑनलाइन शेयर करना चाहिये। इससे आप, दूसरों को भी गार्डनिंग सिखा सकते हो। पहले मुझे यूट्यूब की ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन, फिर मैंने इसकी शुरुआत भी कर ही दी।”

आज उनके यूट्यूब चैनल, ‘मैड गार्डनर’ के चार लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। माधवी सभी वीडियो को तेलुगू भाषा में रिकार्ड करती हैं। वह कहती हैं, “आम लोगों को भी मेरी बात समझ में आए इसलिए, मैंने तेलुगू भाषा में चैनल शुरू किया। मैंने सोचा नहीं था लेकिन, पहले दिन से ही मुझे काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जगह-जगह से लोग मुझसे जुड़ने लगे और अब हम सब एक परिवार की तरह हैं।”

माधवी सिर्फ अपने गार्डन के बारे में या पेड़-पौधों के बारे में ही वीडियो नहीं बनातीं हैं। वह अपनी हर वीडियो को इस उद्देश्य के साथ बनाती हैं कि कोई न कोई उन्हें देखकर गार्डनिंग जरूर शुरू करेगा। अगर कोई फल या सब्जी उगाने में उन्हें असफलता मिलती है तो उसके बारे में भी वह अपने चैनल पर बताती हैं। उनका मानना है कि इससे लोगों का विश्वास बढ़ता है कि ‘गार्डनिंग’ सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही नहीं है। कोई भी गार्डनिंग कर सकता है। 

गार्डनिंग पर कुछ खास टिप्स:

माधवी अपने यूट्यूब चैनल पर गार्डनिंग वीडियो साझा करतीं हैं

गार्डनिंग करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए माधवी कुछ टिप्स भी साझा कर रही हैं:

माधवी कहतीं हैं, “मेरे लिए मेरे सभी पेड़-पौधे बच्चों की तरह हैं। जैसे मैं अपने बच्चों के बारे में सोचती हूँ, उनका ख्याल रखती हूँ, वैसे ही इनका भी रखती हूँ। बदले में ये मेरा ख्याल रखते हैं। अगर आप थोड़ा-सा भी ध्यान किसी पौधे को देते हैं तो बदले में वह आपको बहुत-कुछ देता है।”

अंत में वह बस यही कहतीं हैं कि अगर वह गार्डनिंग कर सकतीं हैं तो कोई भी कर सकता है। जरूरत है तो बस एक शुरुआत की। इसलिए, आज से ही शुरुआत करें और अपना खाना खुद उगाने की कोशिश करें। आप माधवी से उनके इंस्टाग्राम पेज पर भी जुड़ सकते हैं।

अगर आपको भी है बागवानी का शौक है और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

संपादन- जी एन झा 

तस्वीर व वीडियो साभार: माधवी गुत्तिकोंडा

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