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एक हफ्ते के गार्डनिंग कोर्स ने बदली ज़िन्दगी, अब बाज़ार से नहीं आती एक भी केमिकल वाली सब्ज़ी

vegetable garden ideas

पिछले साल, कोरोना ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया। लोग अपने स्वास्थ्य और भोजन का ध्यान रखने लगे हैं। साथ ही होम गार्डनिंग के प्रति भी कई लोग जागरूक हुए हैं। हालांकि पहले भी कुछ ऐसे लोग थे, जो गार्डनिंग तो करते थे लेकिन फल-सब्जियां आदि नहीं उगाते थे। ऐसे लोग भी अब बाहर से सब्जियां लाने के बजाय, घर पर अपने पसंद की सब्जियां उगाने का प्रयास कर रहे हैं।  

अगर आपका छोटा परिवार है और आपके घर में थोड़ी-बहुत भी धूप आती है, तो आप छोटे कंटेनर में हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, मिर्च आदि आराम से उगा सकते हैं। इससे गार्डन में हरियाली भी रहेगी और ताज़ी सब्जियां भी मिल जाएंगी। ऐसी ही सोच के साथ सूरत की जागृति पटेल ने तीन साल पहले सब्जियां उगाना शुरू किया था।   

हालांकि, उन्हें गार्डनिंग का शौक़ तो बहुत पहले से था। लेकिन पहले किराए के अपार्टमेंट में उन्हें, पौधे लगाने की जगह ही नहीं मिल पाती थी। लेकिन तीन साल पहले जब उन्होंने अपना घर ख़रीदा, तो उन्हें 20 फुट की छत मिल गई। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताती हैं, “शुरुआती कुछ महीने मैंने बोनसाई और ऑर्नामेंटल प्लांट्स लगाए, लेकिन बाद में मैंने सोचा क्यों न कुछ फल-सब्जियों के भी पौधे उगाए जाएं। जिससे हरियाली भी मिले और खाने को ताज़ी सब्जियां भी।” 

जागृति का टेरेस गार्डन

 जैविक तरीकों से उगाती हैं सब्जियां  

चूँकि जागृति के घर में कोई भी होम गार्डनिंग नहीं करता था। इसलिए उन्हें जैविक तरीकों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि, उन्होंने खुद से भिंडी और बैंगन आदि उगाने की कोशिश की थी।  शुरुआत में उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया, “जब एक बार मैंने फैसला कर लिया कि केमिकल वाली सब्जियों के बजाय, जैविक सब्जियां उगानी हैं, तो फिर मैं पीछे नहीं हटी। मैंने टेरेस गार्डनिंग सीखना शुरू किया।” 

उन्होंने सूरत ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ में ऑर्गेनिक टेरेस गार्डनर की ट्रेनिंग ली। हफ्ते भर की ट्रेनिंग में उन्हें जैविक तरीके से कीटनाशक और खाद बनाने, बीज रोपने और मिट्टी तैयार करने जैसी चीजें सिखाई गईं।  

जिसके बाद उन्होंने मिट्टी तैयार करने से शुरुआत की। उनके घर के पास की ही एक गोशाला से उन्हें, कीटनाशक के लिए गौमूत्र और खाद के लिए गोबर आदि बिना पैसा खर्च किए मिल जाता है। इस तरह उन्होंने घर पर कम्पोस्ट भी बनाया और जैसे-जैसे मिट्टी बढ़ती गई, वह एक के बाद एक सब्जियां लगाने लगीं। पहले ही साल उनके गार्डन में कुंदरू और हरी तुवर दाल इतनी ज्यादा हुई थी कि उन्होंने इसे अपने कई रिश्तेदारों के घर भी भिजवाया था। इसके बाद उन्हें और ज्यादा सब्जियां उगाने की प्रेरणा मिली।   

वह कहती हैं, “होम गार्डन से उगी तुरई, ग्वार फली, सेम फली, बैंगन जैसी सब्जियां आज मेरे बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। जबकि पहले वे इसे पसंद नहीं करते थे।” 

जागृति पटेल

 कम खर्च में उगाती हैं ताज़ा सब्जियां 

जागृति ने अपने छत पर मौजूद जगह का बड़े सुन्दर तरीके से इस्तेमाल किया है। वह छोटे-छोटे कंटेनर्स और  बेकार डिब्बों में भी कुछ न कुछ उगा देती हैं। वहीं बड़े पॉट में लगे फलों के पौधों में भी वह कुछ हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे धनिया, मेथी, पुदीना आदि उगाकर इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने छत पर दो क्यारियां भी बनवाई हैं। छत पर आने वाली धूप के हिसाब से पौधों की व्यवस्था की गई है। कुछ प्लास्टिक बोतलों को हैंगिंग पॉट्स के रूप में रखा गया है।  

पिछले साल उन्होंने एक छोटे से पॉट में ड्रैगन फ्रूट का पौधा उगाया था। उसमें तकरीबन सात से आठ फल भी उगे थे। उन्होंने छत पर चीकू, आंवला, अनार, आम, सीताफल के पेड़ भी लगाए हैं, जिसमें जल्द ही फल आने की उम्मीद है।  

अब बाज़ार से नहीं आती एक भी केमिकल वाली सब्ज़ी

उन्होंने बताया, “पिछले छह महीने से हमने भिंडी, बैंगन, मिर्च, टमाटर, तुरई, कुंदरू जैसी कई सब्जियां बाहर से खरीदी ही नहीं हैं। हाल ही में उन्होंने घर की पार्किंग में भी एक छोटी सी क्यारी बनवाई है। जिसमें उन्होंने आलू, प्याज, लहसुन और शकरकंद  उगाया है।”

महज़ तीन सालों में उन्होंने अपने प्रयासों से एक सुन्दर सस्टेनेबल गार्डन तैयार कर लिया है। इससे उनके परिवार को ताज़ा और ऑर्गेनिक सब्जियों का स्वाद मिल रहा है। जागृति कहती हैं, “अगर आपको थोड़ा भी गार्डनिंग का शौक़ है, तो आप बिना ज्यादा पैसे खर्च किए, कुछ सब्जियां उगा सकते हैं। इसके लिए आपको शुरुआत में थोड़े धैर्य से काम लेना होगा, लेकिन धीरे-धीरे अनुभव के साथ आप एक्सपर्ट बन जाएंगे।” 

आशा है आपको जागृति पटेल का प्रयास जरूर पसंद आया होगा। अगर आपके पास भी कम या अधिक जगह है, तो आप भी अपने परिवार के लिए कुछ एक सब्जियां उगाने का प्रयास जरूर करें।  जागृति से टेरेस गार्डनिंग की जानकारी लेने के लिए उन्हें 9824790150 पर सम्पर्क करें। 

हैप्पी गार्डनिंग! 

संपादन- अर्चना दुबे

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