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बरेली: छत पर 200+ पौधों की बागवानी कर रही हैं यह टीचर, 23 साल पुराना बरगद भी मिलेगा यहाँ

UP Teacher

उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाली मंजू लता मौर्य पेशे से एक स्कूल टीचर (UP Teacher) हैं, लेकिन उनके व्यस्तता भरे दिन की शुरूआत अपने टैरेस गार्डन में लगे फूल के पौधों के साथ ही होती है। 

मंजू लता पिछले दो दशक से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रही हैं। आज उनके बगीचे में सैकड़ों फूल और सजावटी पौधे होने के साथ-साथ कई बोनसाई पेड़ भी हैं।

इस कड़ी में मंजू ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे बागवानी के सीख अपनी माँ से मिली और मुझे बचपन से ही इससे काफी लगाव रहा है। मैंने टैरेस गार्डनिंग 1996 में, गुलाब, गेंदा, मनी प्लांट जैसे 5-6 पौधों के साथ शुरू की थी।”

मंजू लता

लेकिन, आज मंजू के पास गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, सदाबहार, बोगनवेलिया, आदि जैसे 200 से अधिक पौधे हैं।

इसके अलावा, उनके पास पीपल और बरगद के 5 बोनसाई पौधे भी हैं।

इसे लेकर वह कहती हैं, “मेरे पास बरगद और पीपल के 5 बोनसाई पेड़ भी हैं। इन पेड़ों को मैंने खुद से तैयार किया है। मैंने अपने एक बरगद के बोनसाई को 1997 में तैयार किया था। यह तब से मेरे साथ है।”

कैसे करती हैं बागवानी

मंजू अपने बागवानी कार्यों को पूर्ण रूप से जैविक तरीके से करती हैं और इसके लिए वह गोबर की खाद और किचन वेस्ट का इस्तेमाल करती हैं। वहीं, कीटनाशक के तौर पर, वह नीम ऑयल और हल्दी का इस्तेमाल करती हैं।

मंजू का टेरेस गार्डन

एक और खास बात है कि वह अपने पौधों को लगाने में घर के बेकार डिब्बों, बोतलों और बाल्टियों तक का इस्तेमाल करती हैं।

घर के हर हिस्से में पौधा

मंजू बताती हैं कि उनके पास 28×14 की छत है और यह पूरी तरह से पौधों से भरा हुआ है। उन्होंने पौधों को सीढ़ियों पर भी लगा रखा है। इसके अलावा, उनके घर में कई हैगिंग पॉट्स हैं, जिसमें छाव में लगने वाले पौधे लगे हुए हैं।

बोनसाई के रखरखाव का क्या है तरीका

मंजू बताती हैं, “बोनसाई की ग्राफ्टिंग करने के बाद, हमें यह तय करना होता है कि हम अपने पौधों को कैसे आकार देना चाहते हैं। फिर, इसके हिसाब से अपने पौधे की अतिरिक्त शाखाओं को नियमित रूप से कटिंग करते रहें और जरूरी शाखाओं को बढ़ने दें।”

मंजू का 23 साल पुराना बरगद का पेड़

वह बताती हैं, “मैं अपने बोनसाई समेत सभी पौधों के लिए 60% बगीचे की मिट्टी और 40% गोबर की खाद और किचन वेस्ट का इस्तेमाल करती हूँ। इसके अलावा, हर साल फरवरी में, मैं बोनसाई के गमले की पुरानी मिट्टी को निकाल कर, उसमें नया मिट्टी भरती हूँ। जिससे पौधों को भरपूर पोषण मिले। वहीं, इसकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए मैं कंस्ट्रक्शन साइटों पर उपलब्ध गिट्टियों का इस्तेमाल, मिट्टी के ऊपर करती हूँ।”

कैसे तैयार करती हैं फूल के पौधे

मंजू कहती हैं कि वह अपने बागवानी के लिए अधिकांश फूल के पौधों को कटिंग और बीजों से संरक्षित कर तैयार करती हैं और उन्हें अपने बगीचे में शामिल करने के लिए किसी नए पौधों को ही खरीदने की जरूरत पड़ती है।

क्या है सबसे बड़ी समस्या

मंजू को अपनी बागवानी के दौरान सबसे बड़ी समस्या बंदरों की वजह से होती है। लेकिन, उन्होंने इससे बचाव के लिए अपने छत पर नेट लगा दिया है।

इसके अलावा, कई ऐसे मौके आएँ हैं, जब मंजू कुछ दिनों के लिए घर से बाहर गईं हैं और रखरखाव के अभाव में उनके पौधे सूख गए। वह बताती हैं कि ऐसे पल उनके लिए काफी निराशाजनक होते हैं। 

क्या देती हैं सुझाव

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संपादन: जी. एन. झा

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