मूल रूप से मुज्जफरपुर (उत्तर प्रदेश) के सुधीर सैनी, फिलहाल हरिद्वार मे रह रहे हैं। एक किसान का बेटा होने के कारण उन्हें हमेशा से पौधों से प्यार रहा है। लेकिन जीवन में कठिन परिस्थितियों से गुज़रते हुए उनका खेत और गांव दोनों ही छूट गया था। लेकिन आज वह अपने खुद के घर में बने एक सुन्दर से गार्डन में हजारों पौधों की देखभाल कर रहे हैं।
सुधीर का मानना है कि पौधों से घर के अंदर ठंडक हो या न हो, लेकिन सुंदर फूल और हरियाली देखकर मन को ठंडक ज़रूर मिलती है।
अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे सुधीर ने जबसे होश संभाला, उन्होंने खेती करने के बारे में ही सोचा। वह बताते हैं, “मेरे एक बड़े भाई की सरकारी नौकरी थी और एक ने खुद का बिज़नेस किया था। इसलिए मुझे लगता था कि पिता की खेती मैं ही सम्भालूंगा। लेकिन समय के साथ हमारे खेत बिक गए, जिसके बाद मुझे नौकरी से जुड़ना पड़ा।”
सुधीर ने अपनी इच्छा के विपरीत जाकर एक छोटी सी नौकरी से शुरुआत की थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कई नौकरी बदलने के बाद, साल 2005 में हरिद्वार आकर काम करना शुरू किया। यहां वह आज नेटवर्क मार्केटिंग का काम भी कर रहे हैं। पहले वह किराये के घर में रहते थे और उस समय को याद करते हुए वह कहते हैं, “अपना शहर और खेत छोड़कर मुझे हरिद्वार में बड़ा खाली-खाली महसूस होता था। इसलिए मैंने कुछ पौधे लगाने शुरू किए, लेकिन किराये के घर में ज्यादा जगह नहीं थी, तब से मैंने अपना घर बनाने और वहां गार्डन बनाने का सपना देखा था।”
उनका यह सपना साल 2018 में पूरा हुआ। आज वह इस घर में अपनी पत्नी और हजारों पौधों के साथ रह रहे हैं।
उनके पास सजावटी पौधों में एरिका पाम, फिलॉडेंड्रॉन का पौधा, मनी प्लांट सहित कई सजावटी पौधे लगे हुए हैं। वहीं फूलों में चंपा, रात की रानी, डेजर्ट रोज, गुलाब, अडेनियम सहित बोगनवेल के कई अलग-अलग रंगों के फूल लगे हैं। इसके अलावा, सुधीर कुछ मौसमी सब्जियां भी उगाते हैं। सुधीर कहते हैं, “मुझे ताज़ी मिर्च खाने का शौक है, इसलिए मैंने घर में मिर्च का पौधा लगाया और अब हमेशा घर की ताज़ी मिर्च खाने को मिलती है। उनके घर में दो किस्मों के आम भी उगते हैं। अन्य फलों में लीची, अमरूद, चीकू , इमली, आंवला सहित कई पेड़ भी लगे हैं।
उन्होंने अपने पूरे घर में कई जगह पौधे लगाए हैं। घर के नीचे की जगह से लेकर दो बालकनी और छत का इस्तेमाल करके उन्होंने ये सारे पौधे उगाए हैं।
इस घर में सुधीर और उनकी पत्नी ही रहते हैं और दोनों ही अपने काम के सिलसिले में सुबह से शाम तक घर से बाहर रहते हैं। इसलिए सुधीर सुबह जल्दी उठकर इन पौधों की देखभाल करते हैं। हाल में सुधीर बोनसाई पौधे तैयार कर रहे हैं। उन्होंने करीबन 15 बोन्साई तैयार भी कर लिए हैं। लेकिन वह कुल 100 पौधे तैयार करने के मिशन में लगे हैं।
अपने गार्डन के सबसे दुर्लभ पौधे के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, “मैं देहरादून से ब्रह्मकमल के फूल की पत्तियां लाया था, जिससे मैंने इसका पौधा तैयार किया। अभी मेरे गार्डन में सफेद और लाल दो किस्म के ब्रह्मकमल के पौधे लगे हैं।”
फूलों से सजाया अपना नया घर
मधुमालती और बोगनवेलिया जैसी लताओं वाले पौधे से उनका घर एक सुंदर फूलों की चादर से ढका हुआ दिखता है।
सुधीर बताते हैं कि उन्हें कलम से पौधे तैयार करना पसंद है। शुरुआत में वह मात्र कुछ ही पौधे लाए थे और समय के साथ उन्होंने कटिंग करके एक पौधे से ही कई पौधे तैयार कर लिए हैं।
सुधीर कहते हैं, “जब 2018 में मैंने अपना घर बनाया, तब घर बनाने से पहले ही मैंने इन फूलों के पौधे तैयार कर लिए थे, क्योंकि मैंने पहले से ही इन फूलों को घर की बाहरी दीवारों पर बढ़ाने का सोचा था। जब हम इस घर में आए, तो मैंने गमले में लगे हुए पौधे जमीन में लगा दिए।”
उनके घर के बाहर फूलों की ये सारे बेलें नीचे से शुरू होकर तीसरी मंजिल तक जाती हैं। एक बेल उन्होंने गिलोय की भी लगाई है।
सुधीर का सपना है कि भविष्य में अपना खुद का छोटा सा खेत लेकर, वहां घर बनाएं। ताकि वह हमेशा प्रकृति और हरियाली के पास रह सकें।
आशा है आपको उनकी गार्डनिंग की कहानी ज़रूर पसंद आई होगी।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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