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दिल्ली: 80 गज में 1000+ पौधे, 8 राज्यों की मिट्टी है इनकी छत पर

“मेरा मानना है कि हमारे देश में यह नियम होना चाहिए कि हर एक घर की छत-बालकनी हरियाली से भरी रहे। हर परिवार के लिए टेरेस गार्डनिंग और वर्षा जल संचयन जरूरी होना चाहिए,” यह कहना है दिल्ली में रहने वाले अजय कुमार झा का। अजय तीस हजारी कोर्ट में प्रशासनिक विभाग में कार्यरत हैं और पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रह रहे हैं। मूलतः बिहार से संबंध रखने वाले अजय को बचपन से ही पेड़-पौधों के प्रति गहरा लगाव रहा है। उनके पिता फ़ौज में थे और किसान परिवार से आते थे। 

वह कहते हैं, “पिताजी फ़ौज की नौकरी के दौरान क्वार्टर में रहते हुए भी हमेशा कुछ न कुछ उगाते रहते थे। छुट्टियों में हमेशा गाँव जाना होता था और वहाँ पर लीची, आम, अमरुद से लदे पेड़ों को देखकर दिल में जो खुशी होती, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। इसलिए पेड़-पौधे मेरे जीवन का भी अहम हिस्सा बनते चले गए।” 

पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में जब उन्होंने अपना खुद का घर लिया तो छत को गार्डनिंग के लिए तैयार किया। उन्होंने छत पर चारों तरफ सीमेंट से ही छोटी-छोटी क्यारियां बनवा दीं और फिर गमलों में भी पेड़-पौधे लगाने लगे। अजय कहते हैं कि उनकी बागवानी की शुरुआत 10-12 पेड़-पौधों से हुई थी लेकिन आज उनके यहाँ 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे हैं। जिनमें मौसमी सब्जियों के साथ-साथ लगभग 25 तरह के फल, फूल, बेल और औषधीय पेड़-पौधे शामिल हैं। मिट्टी के गमलों, ड्रमों के अलावा घर में बेकार पड़ी चीजें जैसे प्लास्टिक बोतलें, कूलर बेस, मिक्सी जार और मग आदि सभी कुछ में पेड़-पौधे लगे हुए हैं। 

बच्चों को पता हो कि कैसे उगती हैं सब्जियां:

अजय आगे कहते हैं कि गेहूं-धान छोड़कर उन्होंने लगभग सभी तरह के पेड़-पौधे अपने बगीचे में उगाने की कोशिश की है। उनका कहना है, “अपने बगीचे में बहुत अलग-अलग पेड़-पौधे लगाने के प्रयोग करता हूँ क्योंकि मैं अपने बच्चों को प्रकृति से जोड़ना चाहता हूँ। मेरी कोशिश है कि मेरे बच्चों को पता हो कि आलू कैसे उगता है और इसके पत्ते कैसे होते हैं? बड़े शहरों में बढ़ती इमारतों के कारण हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं। हमारे बच्चों को वह बचपन नहीं मिल रहा जो हमें मिला है। इसलिए मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि मेरे बच्चे प्रकृति का वैसे ही आनंद लें जो मैंने लिया है।” 

अजय कहते हैं कि उन्होंने छत पर जो गार्डन मेंटेन किया है वह पिछले छह-सात सालों में हुआ है। हालांकि, उनके पास ऐसे भी पेड़-पौधे हैं जो लगभग 10-12 साला पुराने हैं क्योंकि वह इससे पहले अगर कहीं किराये पर रहते तो वहां भी पेड़ लगा ही लेते थे। आज उनके 80 गज के क्षेत्रफल की छत पर अंगूर, अनार, चीकू, अमरुद, संतरा, नींबू, तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, एलोवेरा, नीम, धतूरा, अपराजिता, वैजयंती, रुद्राक्ष जैसे पेड़-पौधों के साथ-साथ तोरी, पालक, मेथी, धनिया, टमाटर, पत्तागोभी, आलू, प्याज जैसी हर तरह की मौसमी सब्जियां उगती हैं। 

वह कहते हैं कि अपनी नौकरी के बावजूद वह अपने गार्डन की पूरी देखभाल करते हैं। वह अपने काम से चाहे कितनी भी रात में लौटें लेकिन सबसे पहले जाकर अपने गार्डन को देखते हैं। अपने पौधों को पानी देते हैं। खाद बनाने के लिए वह अपने घर से निकलने वाले जैविक कचरे का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, वह आसपास के गांवों से पुरानी गोबर की खाद मंगवाते हैं और समय-समय पर इसी में से अपने पौधों को देते रहते हैं। इसके अलावा, वह नियमित तौर पर अपने पौधों में निराई-गुड़ाई करते हैं। 

“सबसे ज्यादा जरुरी है कि आप प्रकृति को समझें। अपने बगीचे में एक्सपेरिमेंट करें। नए-नए पौधे लगाने की कोशिश करें और सबसे ज्यादा जरूरी है मिट्टी और पानी। मेरे गार्डन में आठ राज्यों की मिट्टी है। मैं अगर कहीं भी घूमने जाता हूँ तो वहाँ से कुछ गमले लेकर ही आता हूँ और उनके साथ मिट्टी भी,” उन्होंने बताया। 

उनके सभी फलों के पेड़ों से उन्हें खूब सारे फल मिलते हैं। इसी तरह हर मौसम में सब्जियां भी खूब होती हैं। अलग-अलग तरह के बेल, औषधीय पौधों और फूलों से उनका घर महकता रहता है। साथ ही, उनके यहाँ तितलियों के अलावा गिलहरियां, छोटी चिड़ियाँ और अलग-अलग तरह के कीट पतंगे भी खूब आते हैं। 

बागवानी शुरू करते समय रखें इन बातों का ख्याल: 

बागवानी शुरू करने की चाह रखने वाले लोगों के अजय सलाह देते हैं, “अब से लेकर जून के आखरी सप्ताह तक बागवानी में नई शुरुआत करने वालों को रुकना चाहिए। पूरे उत्तर भारत में बढ़ता तापमान आपकी तमाम मेहनत पर पानी फेर सकता है। इसलिए बारिश के मौसम में बागवानी की शुरुआत करें क्योंकि इस मौसम में पौधे बहुत जल्दी पनपते हैं।”

बागवानी के कुछ टिप्स

1. अगर पहली बार गार्डनिंग कर रहे हैं तो स्थानीय पेड़-पौधों से शुरुआत करें। पहले-पहले आप किसी स्थानीय और भरोसेमंद नर्सरी से पौधे लें लें और उन्हें लगाएं। इन पौधों के साथ-साथ आप अपने घर की किचन से धनिया, सूखी मिर्च आदि के बीज भी छोटे-छोटे गमलों में लगा सकते हैं। इसके अलावा, पुदीना, पालक, तुलसी, गुलाब भी आप उगा सकते हैं। 

2. मिट्टी और पानी पौधों के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक होते हैं। मिट्टी का जितना गाढ़ा रंग होगा वह उतनी ही उपजाऊ होगी। इसलिए अगर आपको उपजाऊ मिट्टी नहीं मिल रही है तो कुछ तरीकों से आप इसे उपजाऊ बना सकते हैं। जैसे इस्तेमाल हुई चाय पत्ती को पानी में धोकर सुखा लें। अच्छे से सूखने के बाद, इसे पीस लें और मिट्टी में मिला लें। इसके अलावा, बहुत से लोग गोबर की खाद, कोकोपीट आदि भी मिलाते हैं। 

3. पानी मौसम और पेड़-पौधों के हिसाब से दें। अगर गर्मियां हैं तो आप दो-तीन बार पौधों को पानी दें। सर्दियों में पानी की जरूरत कम होती है। 

4. अगर आपके यहां सिर्फ बालकनी है तो बालकनी में बेल वाले पौधे ज्यादा लगाएं। 

5. फलों और सब्जियों के पौधे लगाने के लिए जरूरी है कि आपके यहाँ पर्याप्त धूप आती हो। 

उन्होंने कहा कि बागवानी शुरू करने से पहले सोचिए कि आपके पास जो भी, जितनी भी जगह उपलब्ध है उसमें आप कैसी बागवानी कर सकते हैं- आउटडोर, इनडोर, फूलों की, फलों की, सब्जियों की आदि। यह सब तय करने के बाद ही आप एकाग्र होकर बागवानी शुरू करें। जैसे-जैसे आप बागवानी करने लगेंगे यह आपके जीवन का हिस्सा बन जाएगी और पेड़-पौधों के बारे में आपकी समझ बढ़ती जाएगी।

और अंत में वह बस यही कहते हैं, “शौक के रूप में शुरू की गई बागवानी इंसान के लिए तनाव खत्म करने का एक बेहतरीन विकल्प होने के कारण जल्दी ही आदत और व्यवहार में बदल जाती है। इसका बहुत अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सबको बागवानी करनी चाहिए।” 

संपादन- जी एन झा

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