ज़्यादातर लोग अगर किसी काम को करने में एक बार असफल रहें तो दोबारा उसे करने के बारे में सोचते भी नहीं हैं। असफलताओं के डर से अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। लेकिन वहीं कुछ दृढ़ निश्चयी लोग होते हैं जो लगातार प्रयासों से तस्वीर बदल देते हैं। ऐसे ही शख्स की कहानी हम आपको आज बताने जा रहे हैं।
आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान में कोटा के रहने वाले तपिश जैन की। 31 वर्षीय तपिश एक प्राइवेट कंपनी में बतौर HR काम करते हैं। इसके साथ ही, उन्हें गार्डनिंग का काफी शौक है। वह कहते हैं कि अपने घर में पेड़-पौधे लगाने की ख्वाहिश उन्हें हमेशा से थी। पर इसकी शुरुआत उन्होंने तब की जब वह खुद कमाने लगे।
“कोई तैयारी नहीं थी बस मैं सोचता था कि गार्डनिंग करनी है। फिर एक दिन अचानक मन में आया और मैं बाज़ार जाकर गमले आदि ले आया। एकदम बहुत ज्यादा पेड़-पौधे नहीं लगाए थे कोई 8-10 से ही शुरुआत की थी। उस समय अप्रैल का महीना था और इसके बाद गर्मी बहुत पड़ी,” उन्होंने कहा।
तपिश के लिए गार्डनिंग नयी थी तो वो बहुत ज्यादा समझ भी नहीं पाए और उनके पेड़ गर्मी में खराब हो गए। लेकिन तपिश ने हार नहीं मानी बल्कि अब उन्हें शौक चढ़ चूका था। उन्होंने फिर से अपने गार्डन में पेड़-पौधे लगाए और तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट भी करने लगे। शुरुआत कुछ ऑरनामेंटल और फूलों के पेड़-पौधों से हुई और अब आलम यह है कि वह अपने गार्डन में सब्जियां और फल भी उगा रहे हैं।
कटिंग से बनाते हैं पौधे:
तपिश ने मिट्टी तैयार करने से लेकर घर पर ही खाद, ऑर्गनिक स्प्रे आदि बनाना, सब कुछ खुद अपने अनुभव से सीखा है। अब वह मौसम के हिसाब से पौधे लगाते हैं और उनकी कोशिश रहती है कि उन्हें पेड़-पौधों पर बाहर ज्यादा खर्च न करना पड़े। इसके लिए वह बहुत ही अनोखा तरीका अपनाते हैं।
वह कहते हैं कि अब वह ज़्यादातर पेड़-पौधे कटिंग्स से उगाते हैं। अगर वह नर्सरी से किसी फूल का एक पेड़ लेकर आते हैं तो उसमें से दो-तीन और पौधे बना लेते हैं। कुछ पौधे उनके अपने गार्डन की शोभा बढ़ाते हैं तो कुछ को वह दूसरों को गिफ्ट भी करते हैं।
कटिंग से पौधा उगाना बहुत ही आसान है। खासतौर पर फूलों के पौधे आप कटिंग से उगा सकते हैं। अपनी इस वीडियो में तपिश आपको बता रहे हैं कि कैसे लगाएं कटिंग:
खुद बनाते हैं अपनी खाद
इसके साथ ही, वह अपने पेड़ों के लिए खाद भी खुद ही बनाते हैं। तपिश बताते हैं कि उनके यहाँ एक खाली पानी की टंकी रखी है। वह किसी काम नहीं आ रही थी तो उन्होंने उसे खाद बनाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस टंकी के भरने तक वह उसमें अपने घर का गीला कचरा, मिट्टी, और कोकोपीट आदि डालते रहते हैं। टंकी थोड़ी बड़ी है तो भरने में समय लगता है और लगभग 6 महीने में उनके पास अगले 4-6 महीने के लिए खाद तैयार हो जाती है।
तपिश कहते हैं कि गीले कचरे से बनी इस खाद के साथ-साथ वह गोबर की खाद भी बनाते हैं और दूसरे ज़रूरी जैविक कीट-प्रतिरोधक भी। पेड़-पौधों को पोषण की ज़रूरत होती है इसलिए आपको नियमित तौर पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए। महीने में कम से कम एक बार तो आप कोई पोषण पौधों को दें।
तपिश के गार्डन में आज 500 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं। वह टमाटर, लौकी, मिर्च, ककड़ी, करेला, जैसे सब्जियां उगा रहे हैं। इसके अलावा रंग-बिरंगे फूल उनके गार्डन की शोभा बढ़ाते हैं।
अब उनका गार्डन सिर्फ गार्डन नहीं बल्कि ‘ग्रीन हाउस,’ जिसे उन्होंने खुद भी कई तरह के प्रयोग करके सजाया है। उन्होंने गमलों के साथ-साथ अपनी छत को भी पेंट किया है। कहीं कमल का फूल तो कहीं कोई अन्य कलाकृति बनाई है। तपिश को देखकर उनके आस-पड़ोस के लोग भी बागवानी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
पक्षियों और बंदरों को भी मिल रहा है खाना:
लोगों के साथ-साथ तपिश का गार्डन अब पक्षियों का भी ठिकाना बनने लगा है। कोटा की भीषण गर्मी में चिड़िया-तितली आकर उनके यहाँ आराम करतीं हैं। दाना चुगतीं हैं और उड़ जातीं हैं।
“मुझे नहीं पता था कि पेड़ होने से प्रकृति की इतनी खूबसूरती आपको देखने को मिलती हैं। सालों से मैंने चिड़िया नहीं देखीं थीं, पर अब सुबह ही इनसे होती है। सुबह- सुबह मेरी चाय मेरे पेड़-पौधों और इन पक्षियों के साथ ही होती है,” तपिश ने बताया।
उनके यहाँ बन्दर भी काफी आते हैं जो अक्सर उनके पेड़ों के नुकसान का कारण बनते हैं। खासतौर पर उनकी सब्जियां आधी से ज्यादा बन्दर खा जाते हैं लेकिन फिर भी तपिश ने गार्डनिंग करना नहीं छोड़ा। जब भी बन्दर उनके गार्डन को खराब कर जाते हैं तो वह बचे-कुचे पेड़ों की कटिंग से नए पौधे लगा लेते हैं।
तपिश कहते हैं कि लोग अगर गार्डनिंग को काम समझकर करेंगे तो यह काम ही लगेगा। लेकिन अगर आप इसे अपने दिन का हिस्सा बना ले तो बिल्कुल मुश्किल नहीं लगेगा। “पेड़-पौधों का ख्याल रखना मुश्किल नहीं है। आपको बस थोड़ा बैलेंस बनाना आना चाहिए। अनुभव के साथ आप पेड़ों को समझने भी लगते हैं तो फिर आपको ज्यादा परेशानी नहीं होती,” उन्होंने कहा।
नहीं मरने दिया एक भी पौधा:
इस बार गर्मियों में उन्होंने अपने एक भी पेड़-पौधे को मरने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि गर्मियों में तापमान काफी अधिक था, इसलिए उन्होंने कुछ हिस्से को नेट से ढका और बाकी उन्होंने पानी के नियम पर ध्यान दिया।
सुबह-शाम नियमित रूप से पेड़ों को ज़रूरत के हिसाब से पानी दिया और दिन में एक बार, उन पर पानी का छिडकाव करते थे। इससे भी पेड़ों को वैसे ही ठंडक और राहत मिलती है जैसे कि हमें गर्मियों में एकदम ठंडे पानी से नहाने पर मिलती है।
जिस तरह हमें गर्मी में ज्यादा पानी चाहिए होता है वैसे ही पेड़ों को। वहीं सर्दियों में हमें तापमान के हिसाब से पानी और दूसरे खाद देने चाहिएं। अब आगे तपिश की एक ही योजना है कि वह किचन गार्डनिंग यानी कि सब्जियां उगाने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें।
उन्हें तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करना पसंद हैं। जैसे तुलसी के साथ उन्होंने चम्पा की बेल लगाई है और कभी-कभी दो सब्ज़ियाँ भी साथ में लगाते हैं। फ़िलहाल, वह सर्दियों की सब्जियां लगाने की तैयारी में हैं। उनकी कोशिश है कि इस बार वह अच्छी मात्रा में सब्जियां लगाएं।
कैसे करें देखभाल:
इसके साथ ही, तपिश ने हमारे पाठकों के लिए अपने कुछ टिप्स साझे किए हैं:
1. आप शुरुआत ऐसे पेड़-पौधों से करें जिन्हें कम देखभाल और पानी की ज़रूरत होती है। जैसे कि जेड प्लांट, मनी प्लांट, गुलमोहर आदि।
2. मिट्टी के साथ आप नीमखली, गोबर खाद, घर की बनी खाद आदि भी इस्तेमाल करें। इससे पौधों का अच्छा विकास होगा।
3. गमलों के लिए अपने घर में पड़े पुराने प्लास्टिक के डिब्बों, किसी टूटे कप-बर्तन या फिर बाल्टी आदि का इस्तेमाल करें। यह किफायती रहेगा।
4. पानी के लिए ऐसा साधन इस्तेमाल करें जिससे पानी कम खर्च हो और पौधों को पूरा पोषण भी मिले। इसके लिए आप #DIY ड्रिप इरीगेशन तरीके बना सकते हैं।
जानिए कैसे बना सकते हैं गार्डन के लिए #DIY ड्रिप इरीगेशन!
5. आप घर पर बने कीट प्रतिरोधक का इस्तेमाल करें जो आप केले के छिलकों से बना सकते हैं। आप चावल का पानी और किसी भी सब्ज़ी के छिलकों को पानी में उबालकर, वह पानी भी पेड़ों को दे सकते हैं।
6. कीटों से बचने के लिए आप हल्दी मिट्टी में डाल सकते हैं या फिर अदरक, मिर्च, और एलोवेरा का मिश्रण इस्तेमाल कर सकते हैं।
अंत में तपिश सिर्फ इतना कहते हैं कि गार्डनिंग में सबसे ज्यादा ज़रूरी है धैर्य। हम सिर्फ एक बीज के न अंकुरित होने पर अपने धैर्य को नहीं खो सकते। कोई भी पौधा खरीदते वक़्त उसके बारे मने जाने-समझें। पता करें कि कैसे देखभाल करनी है। जैसे अपने खान-पान का आप ध्यान रखते हैं वैसे ही पेड़-पौधों का रखें। इसमें ज्यादा वक़्त नहीं जाएगा। लेकिन जब ये पौधे बड़े होते हैं और इन पर सब्जियां-फल लगते हैं तो उस आत्म-संतोष और ख़ुशी की बात ही अलग होती है। यह हरियाली आपको ताकत देती है। अगर यकीन न हो तो आप आज से ही शुरू करके देखें, सिर्फ एक पेड़ लगाएं और उसकी देखभाल करें। आपको सुकून ज़रूर मिलेगा।
हैप्पी गार्डनिंग!