गार्डनिंग एक ऐसा शौक है, जिसके जरिए आपको खुद को एक अलग पहचान दे सकते हैं। आज हम गार्डनगिरी में आपको एक ऐसी महिला की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश में टैरेस गार्डन के एक्सपर्ट के तौर पर लोग पहचानते हैं।
53 वर्षीय ज्योति को विदिशा और इसके आस-पास के इलाकों में टैरेस गार्डन विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है। सोशियोलॉजी में मास्टर्स करने वाली ज्योति शादी के बाद इंदौर से विदिशा आ गई। यहाँ घर-परिवार की जिम्मेदारियों में रम गई। लेकिन एक वक़्त के बाद जब बच्चे बड़े हुए और अपनी-अपनी ज़िंदगी के सफर पर निकल पड़े तो ज्योति की ज़िंदगी में एक खालीपन आ गया।
ज्योति ने द बेटर इंडिया को बताया कि लगभग 10 साल पहले तक उनकी ज़िंदगी उनके पति, सास-ससुर और खासकर बच्चों के इर्द-गिर्द घुमती थी। लेकिन फिर बच्चे बड़े हुए तो कोई पढ़ाई के लिए तो कोई जॉब के लिए बाहर निकल गया। घर पर वह, उनके पति और उनकी सास रह गए। कम लोग होने से उनका काम भी कम हो गया और उनके पास काफी खाली समय रहने लगा। अक्सर वह सोचती कि कैसे समय व्यतीत हो, वह क्या कर सकती हैं?
धीरे-धीरे हुई शुरुआत:
“बचपन से ही मैंने पापा को गार्डनिंग करते हुए देखा था। उनकी नौकरी के दौरान हमें जो भी क्वार्टर मिलता रहने के लिए वहाँ अक्सर थोड़ी खाली जगह होती थी। पापा हमेशा उस जगह को पेड़-पौधों और साग-सब्जियों से भरे रखते थे। उन्हीं से यह गुर मुझमें आया। पहले हमारी छत पर कोई 10-12 गमले हुआ करते थे, सब फूलों के पेड़ थे। मैं थोड़ा बहुत अपने शौक को पूरा करने के लिए लगा लेती थी। पर फिर वक़्त मिला तो लगा कि अब अपने शौक को जिया जाए और मैंने बांस के स्टैंड बनवाये, कुछ गमले मंगवा लिए तो कुछ घर के पुराने सामान को गमलों में तब्दील किया और बस इस तरह से गार्डनिंग शुरू हो गई,” उन्होंने आगे कहा।
पिछले 10 सालों से टैरेस गार्डनिंग कर रहीं ज्योति अब तो शायद ही कुछ चीज़ बाहर से खरीदती हों। गार्डनिंग के लिए खाद, स्प्रे, गमले और बीज, सभी कुछ वह खुद तैयार कर लेती हैं। इसके अलावा, साल भर में 20 से भी ज्यादा तरह की साग-सब्जियां उगातीं हैं जिनमें टमाटर, मिर्च, गोभी, बैंगन, लौकी, पत्तेदार सब्जियां, भिंडी, फलियाँ और भी न जाने क्या-क्या। इसके अलावा, उनके यहाँ गुलाब, गेंदा और खूब महंगे बिकने वाले आर्किड के फूल भी दिखने को मिल जाएंगे।
कभी-कभी अलग चीजों पर भी वह एक्सपेरिमेंट करतीं हैं जैसे स्ट्रॉबेरी। उन्होंने हैंगिंग में स्ट्रॉबेरी लगाई हुई हैं क्योंकि जब यह पौधा विकसित होता है और फल आते हैं तो बहुत ही सुंदर लगता है। अलग-अलग पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ अपने गार्डन को आकर्षक बनाने का काम भी वह स्वयं ही करतीं हैं। उनके गार्डन की दीवारों पर आपको तरह-तरह की चित्रकारी देखने को मिलेगी, जो वह खुद ही करतीं हैं। वह कहतीं हैं कि आर्टिस्टिक कामों में उन्हें मजा आता है।
300 से ज्यादा हैं गमले/ग्रो बैग
“मैंने शुरूआत में फूल के पौधे लगाए थे। फिर गार्डनिंग करतीं थी तो कुछ न कुछ इससे संबंधित पढ़ती भी थी। अख़बारों में, मैगज़ीन में पढ़ा कि सब्जियां भी शुद्ध नहीं मिल रही है, रसायनों से उपजी हुई है। तो मैंने सोचा कि घर के लिए तो खुद से सब्जी उगाई जा सकती है। अब करते-करते 300 से भी ज्यादा गमले, प्लांटर और ग्रो बैग हो गए हैं। बहुत ही कम बाहर से कुछ खरीदना पड़ता है, सब कुछ घर में उग जाता है,” उन्होंने बताया।
इसके साथ ही, वह अपने गार्डन के लिए खाद भी खुद ही तैयार करतीं हैं। किचन का सभी गीला कचरा घर की उत्तम खाद बनाने में जाता है। खाद के साथ-साथ वह नीमखली, सरसों खली, गौमूत्र आदि मिलकार इस्तेमाल करतीं हैं। ज्योति कहतीं हैं कि कोई भी देसी और जैविक तरीकों से पेड़-पौधे उगा सकता है। आपको बाहर से कोई महंगी चीजें खरीदने की ज़रूरत नहीं है। बस आपको अपने गार्डन के साथ मेहनत करनी है और इसे एक बच्चे की तरह पालना है।
रेडियो और PNB बैंक के प्रोग्राम्स से जुड़ीं
अपने घर में गार्डनिंग करने के साथ-साथ ज्योति दूसरों को भी यह सिखा रही हैं। वह बतातीं हैं कि गार्डनिंग शुरू करने के लगभग 4 साल बाद, उन्होंने शहर में हो रहे एक गुलाब के फूलों की प्रदर्शनी में भाग लिया। वहाँ वह अपने खूबसूरत और अनोखे तरीकों से उगाए हुए फूल और सब्जियां आदि लेकर पहुंची। उस आयोजन में पंजाब नेशनल बैंक शाखा के मैनेजर भी शामिल हुए थे। उन्होंने ज्योति के स्टॉल को देखा तो काफी प्रभावित हुए और उनसे बातचीत की। ज्योति ने बहुत ही सरल और स्पष्ट तरीकों से उन्हें गार्डनिंग के बारे में समझाया।
“जैसे आम भाषा में मैंने उन्हें गार्डनिंग के बारे में बताया तो उन्होंने पूछ लिया कि क्या मैं उनके एक प्रोग्राम से जुड़ सकती हूँ? उन्होंने कहा की बैंक की तरफ से ग्रामीण महिलाओं के लिए कई प्रोग्राम चलाए जाते हैं। उन्हें जैविक खेती और किचन गार्डनिंग से जोड़ने पर भी काम चल रहा है। अगर मैं वहाँ महिलाओं को अपने घरों में उपलब्ध तरीकों से किचन गार्डनिंग के गुर सिखा पाऊं तो उनकी मदद होगी,” उन्होंने कहा।
ज्योति पहले तो असमंजस में थीं कि क्या वह कर पाएंगी? लेकिन फिर उन्हें लगा कि इसके ज़रिए अगर वह किसी की मदद कर सकतीं हैं तो बिल्कुल करेंगी। वह पहुँच गई पंजाब नेशनल बैंक में महिलाओं को ट्रेनिंग देने। पहले दिन से ही ग्रामीण महिलाओं के साथ उनका अच्छा तालमेल बैठ गया। अब पिछले 6 सालों से वह लगातार बैंक के साथ जुडी हुई हैं और लगभग 500 ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी हैं। 4 साल पहले उन्हें, आकाशवाणी के एक कार्यक्रम से भी जुड़ने का मौका मिला।
दूसरों की भी किया प्रेरित
वह रेडियो प्रोग्राम के ज़रिए लोगों को टेरेस गार्डनिंग से जुड़े अलग-अलग पहलुओं के बारे में बतातीं हैं। लॉकडाउन के दौरान तो बहुत से लोगों के लिए उनके ये प्रोग्राम मददगार रहे। इसके साथ ही, वह अपने पड़ोसियों को भी टेरेस गार्डनिंग के लिए प्रेरित करने में सफल रही हैं। वह बतातीं हैं कि लोग अक्सर उनके यहाँ से बीज और पौधे लेकर जाते हैं। वह बिना कोई पैसे यह सब बांटती हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें।
गार्डनिंग के साथ-साथ ज्योति ने तकनीकी ज्ञान भी बढ़ाया है। उन्होंने पहले अपना एक फेसबुक पेज बनाया और फिर उनकी बेटी ने उन्हें एक यूट्यूब चैनल बनाकर दिया। “बिटिया ने कहा कि आप वीडियो डालेंगी तो और भी शहरों में लोगों को मदद मिलेगी। उसने चैनल बना दिया और फिर थोड़ा-बहुत सिखाया भी। शुरू में एक-दो वीडियो मैं डालती थी तो ज्यादा कोई रिस्पांस नहीं मिला। फिर मैंने दूसरों के वीडियो भी देखना शुरू किया और सीखा कि लोग कैसे डालते हैं वीडियो? कैसे बनाना है और क्या-क्या चीजें ध्यान में रखूं,” उन्होंने कहा।
टैरेस गार्डनिंग को लेकर कुछ टिप्स
- अगर आप छत पर गार्डनिंग कर रहे हैं तो पॉटिंग मिक्स के लिए मिट्टी का कम और कोकोपीट और खाद का ज्यादा मिश्रण रखिये।
- पानी पाइप से नहीं बल्कि स्प्रिंकल से दें ताकि पौधे सुरक्षित रहें।
- हर 15 दिन में खाद डालें और मिट्टी को ऊपर-नीचे करें।
- अगर कटिंग से लगा रहे हैं पौधे तो एलोवेरा जैल को रूटिंग हॉर्मोन की तरह कर सकते हैं इस्तेमाल।
- दो-तीन हफ्तों में आप कोई जैव पेस्टिसाइड जैसे नीम के तेल का छिडकाव भी करते रहें।
- अगर बहुत ज्यादा ठंड है तो कोशिश करें कि छोटे पौधों को रात में किसी पॉलिथीन आदि से ढक दें और सुबह हल्की धूप आने पर इन्हें खोलें .
- आप छांव के लिए ग्रीन नेट लगवा सकते हैं।
- बाकी पॉजिटिव रहें और अपने पेड़-पौधों से बातें करें और फिर देखिए, कितने अच्छे से वह पनपते हैं।
ज्योति से जुड़ने के लिए आप उनका फेसबुक पेज देख सकते हैं!
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