समुंदर सोख यानी जलकुंभी (Jalkumbhi) को एक जलीय खरपतवार माना जाता है और लोग इसे यूंही उखाड़ कर फेंक देते हैं। लेकिन जलकुंभी (Jalkumbhi) में कई औषधीय गुण होते हैं और यह कई बीमारियों में कारगर है।
दिल्ली में अपनी छत पर 300 से अधिक पौधों की बागवानी करने वाले अमित चौधरी बताते हैं, “जलकुंभी (Jalkumbhi) भारत में बड़े पैमाने पर पाया जाता है, लेकिन लोग इसे बेकार समझते हैं और उखाड़ कर यूंही फेंक देते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन बी, प्रोटीन, मैग्निसियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं और यह ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज से लेकर कैंसर तक में कारगर है। हालांकि, इसके ज्यादा सेवन के भी नुकसान हैं और इसे हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही इस्तेमाल करना चाहिए।”
वह बताते हैं, “यह बाजार में भी काफी आसानी से मिलता है और लोग इसे सब्जी और सलाद की तरह खाते हैं। साथ ही, इसका फूल काफी सुंदर होता है। इसके फूल को सजावट के तौर पर भी उपयोग में लिया जाता है।”
जलकुंभी (Jalkumbhi) से डस्टबीन, बाक्स, टोकरी, पेन होल्डर, बैग, टेबल मैट जैसे कई इको फ्रेंडली सामान बनते हैं और यह स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए आमदनी का अच्छा जरिया बन सकता है।
अमित बताते हैं, “जलकुंभी की फूल, पत्तियों से लेकर बीज तक, सबकुछ कारगर है। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं, जो देखने में काफी खूबसूरत होते हैं। वहीं, जलकुंभी (Jalkumbhi) की जड़े मोटी और खोखली होती हैं। यह पानी को शुद्ध करने का काम करता है।”
वह बताते हैं, “जलकुंभी काफी तेजी से फैलता है और यह काफी पानी सोखता है। यही कारण है कि लोग इसे उखाड़कर फेंक देते हैं।
घर पर कैसे उगाएं जलकुंभी (Jalkumbhi)
अमित बताते हैं, “आपको जलकुंभी का पौधा (Jalkumbhi Plant) आस-पास के तालाबों में आसानी से मिल जाएगा। इसे आप जड़ से करीब एक फीट काट लीजिए और गमले में लगा दीजिए। एक हफ्ते के अंदर यह काफी फैल जाएगा। इसके लिए आपको किसी कीटनाशक का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। एक बार लगाने के बाद यह सालों साल तक बढ़ेगा ही, कम नहीं होगा।”
वह आगे कहते हैं, “आप इसे छोटे से डिब्बे से लेकर, बड़े ड्रम में भी लगा सकते हैं। गमलों का चयन इस आधार पर करें कि आप इसे कितना फैलाना चाहते हैं।”
वह बताते हैं कि इसमें पानी की काफी जरूरत होती है और आपको हर दूसरे दिन गमले में पानी देना होगा। इसके लिए दिन में कम से कम पांच-छह घंटे की धूप जरूरी है। इसमें छांव में फूल लगने में दिक्कत होगी।
बीजों से उगाने का तरीका
वह बताते हैं कि यदि आपको जलकुंभी का पौधा नहीं मिल रहा है, तो आप इसे बीजों से भी उगा सकते हैं। जलकुंभी के बीज (Jalkumbhi Seeds) ऑनलाइन आसानी से मिल जाते हैं।
बीज खरीदने के बाद, इसे एक ग्लास पानी में रातभर भिगोकर रख दें। फिर इसे आप दूध-दही के किसी ऐसे कंटेनर में रख दें, जो लगातार गीला न हो। जलकुंभी (Jalkumbhi) भले ही जलीय पौधा हो, लेकिन बीजों को लगातार पानी में रखने से वह खराब हो जाएगा।
इस दौरान उन्हें काफी अच्छी धूप की जरूरत होती है। 10 दिनों में बीज अंकुरित होने लगते हैं और जब यह पांच-छह सेंटीमीटर का हो जाए, तो उसे आप मनचाहे बर्तन में लगा सकते हैं।
अमित बताते हैं कि जलकुंभी को किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है।
मिट्टी में भी लगा सकते हैं जलकुंभी
यदि आप जलकुंभी को एक प्रयोग के तौर पर मिट्टी में लगाना चाहते हैं, तो इस जलीय पौधे को मिट्टी में भी उगाना संभव है।
जलकुंभी (Jalkumbhi) को मिट्टी में उगाने के लिए 60 फीसदी बगीचे की मिट्टी के साथ 40 फीसदी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट को मिलाकर और इसे लगभग आधे गमले में भर दें। सुनिश्चित करें कि गमले में कोई छेद न हो।
अब इस मिट्टी को पानी भरकर गीला कर दें और हल्का बालू डालने के बाद पौधा लगा दें। एक महीने में जलकुंभी काफी हरा-भरा हो जाएगा।
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि जलकुंभी को काफी पानी की जरूरत होती है। इसलिए इसे कभी सूखने न दें और मिट्टी को हमेशा गीला करके रखें। इस तरह आप इस जलीय पौधे का आनंद सालों-साल ले सकते हैं।
कुछ जरूरी बातें
- चार-पांच घंटे की धूप निश्चित रूप से लगने दें।
- हर दूसरे दिन गमले में पानी दें। जलकुंभी को काफी पानी की जरूरत होती है।
- तय करें कि गमले में पानी बहने की कोई जगह नहीं है।
- जलकुंभी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ें – IT कंपनी छोड़ खेती में आजमाई किस्मत, 3 लाख से ज्यादा हुई महीने की कमाई
यदि आपको The Better India – Hindi की कहानियां पसंद आती हैं या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें या Facebook, Twitter या Instagram पर संपर्क करें।