COVID-19 महामारी ने डिक्शनरी में कुछ नए शब्द जोड़ दिए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग, फ्लैटनिंग द कर्व, लॉकडाउन, इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन, सेल्फ क्वारंटाइन सहित और भी कई। वहीं दूसरी ओर कुछ पॉजिटिव शब्दों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे क्वारंटाइन-क्लीनिंग, क्वारंटाइन बेकिंग, क्वारंटाइन कुकिंग, लेकिन मेरा तो पसंदीदा शब्द है क्वारंटाइन गार्डनिंग।
मेरा मतलब यह है कि इस लॉकडाउन में बेहतर भविष्य के लिए घर को हरा भरा बनाने से बेहतर निवेश आखिर क्या हो सकता है? नागपुर की रहने वाली दो सहेलियां मनीषा कुलकर्णी और अंकिता मसुरकर का यही मानना है। ग्रीन गिफ्ट नाम से सजावटी पौधों की नर्सरी चलाने वाली ये महिलाएं लॉकडाउन के दौरान घर में सिमट कर रह गईं। बेकार बैठने से अच्छा दोनों ने अपने खाली समय का सदुपयोग करने का फैसला किया। उन्होंने अपने घर के आंगन, बरामदे और छत पर ताजे फूल, फल और सब्जियां उगायी और वो भी 100 प्रतिशत जैविक।
मनीषा ने द बेटर इंडिया को बताया, “फिलहाल घर के सामने और पिछले हिस्से में फल और सब्जियों के साथ ही झाड़ियां और छोटे-छोटे अन्य पौधे फल-फूल रहे हैं। वहीं अंकिता ने अपने अपार्टमेंट के छत को अर्बन गार्डन में बदल दिया है।”
नई पीढ़ी के लोगों में गिफ्ट देने के तरीके में बदलाव
मनीषा और अंकिता दोनों को ही बचपन से पौधों से काफी लगाव है। मनीषा के पिता का नर्सरी बिजनेस था और वह पौधों से भरे घर में पली-बढ़ीं।
वह एचआर प्रोफेशनल से धीरे-धीरे फुल टाइम होम गार्डनर और उद्यमी बन गईं।
कॉर्पोरेट जगत में काम करते हुए उन्हें अपने छोटे से बगीचे में सब्जियां उगाना हमेशा अच्छा लगता था। दो बच्चों की मां होने के बावजूद वह एक ऐसे पेशे में आना चाहती थी जहां वह पर्याप्त समय दे सकें।
मजे की बात यह है कि मनीषा हमेशा से ही खास मौकों पर अपने दोस्तों रिश्तेदारों को खूबसूरत पौधों को गिफ्ट करने के लिए जानी जाती थी। मनीषा कहती हैं, “मेरे दोस्त अपने घरों को सजाने के लिए गिफ्ट के रुप में पौधे मांगते थे। इसलिए, मैंने इसे एक व्यवसाय में बदलने की सोची। ”
इस तरह उन्होंने अपने बागवानी के शौक को एक पूर्ण व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। मनीषा ने अपनी सहेली अंकिता के साथ बागवानी का बिजनेस शुरू किया। दोनों ने 2018 में ‘ग्रीन गिफ्ट’ लॉन्च किया। उनके दुकान पर कई तरह के इको-फ्रेंडली गिफ्ट मिलते हैं जैसे कि फेरी गार्डन, मिनिएचर गार्डन, टेरारियम, बोनसाई, बीस्पोक ग्रीन आदि।
लॉकडाउन में बच्चों को बागवानी सीखाना
भारत में महाराष्ट्र COVID-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, और लॉकडाउन के कारण लगभग हर चीजों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। मनीषा और अंकिता को अपने व्यवसाय में भी रोक लगानी पड़ी। लॉकडाउन में एक हफ़्ता बिताने के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि अब वे अपने घर को ही और हरा-भरा बनाने की दिशा में काम करेंगे।
“मेरे पास अपना एक बंगला है जिसमें सामने और पीछे के यार्ड में लगभग 1000 वर्ग फुट का बगीचा है। मैं उसमें पहले से ही कुछ सब्जियां और फूल उगा रही था, लेकिन मैंने लॉकडाउन में जगह को अपग्रेड करने का फैसला किया।”
चूंकि बाजार से बीज खरीदकर लाना संभव नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी रसोई से बीज जुटाना शुरू कर दिया। उन्होंने खाना पकाने के बाद टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च और मिर्च के बीजों को इकट्ठा किया,सुखाया और उन्हें मिट्टी में बो दिया। कुछ ही समय में उसमें अंकुर फूटे तो यह देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह कहती हैं, “मेरा लगाया शिमला मिर्च भी अब फलने-फूलने लगा है।”
उसी शहर में जैविक खेती करने वाले मनीषा के एक दोस्त ने उन्हें जैविक बीज और पौधे उपलब्ध कराने में मदद की। जल्द ही उनके बगीचे में ब्रोकली, गोभी, शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर आदि के ताजे पौधे दिखाई देने लगे।
उन्होंने अपने बच्चों को भी खाने के बाद किसी भी फल के बीज को फेंकने के बजाय उन्हें मिट्टी में लगाने के लिए कहा। “सेब को छोड़कर, मेरे बच्चों द्वारा लगाए गए सभी बीज अब स्वस्थ पौधों में विकसित हो गए हैं। नागपुर के उष्णकटिबंधीय जलवायु में पपीता, अनार, मौसंबी और नारंगी के पौधों को देखकर उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते हैं। “
घर पर जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करना
लॉकडाउन के दौरान कचरा लेने वालों का न आना मनीषा के बगीचे के लिए एक वरदान साबित हुआ। उन्होंने अपने बगीचे में सभी गिरी हुई पत्तियों को इकट्ठा किया और गीले कचरे के साथ मिलाया – जिससे उपजाऊ खाद और गीली घास (मल्च) तैयार हो गई। वह अपनी नर्सरी में सजावटी पौधों सहित सभी पौधों में घर के बने जैविक खाद का ही उपयोग करती हैं।
अपने पौधों को कीटों के हमलों से सुरक्षित रखने के लिए मनीषा ने ऑर्गेनिक लिक्विड सोप, बेकिंग सोडा और पानी से तैयार एक घरेलू कीटनाशक बनाया।
मनीषा ने इस तरह से जैविक कीटनाशक बनाया:
- 2 बड़े चम्मच हल्का लिक्विड साबुन
- 1 बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा
- 1 लीटर पानी
लगातार कीट लगने पर:
- रात भर पानी में भिगा हुआ कच्चा तम्बाकू
- एक लीटर पानी में मिलाया हुआ पतला एक्सट्रेक्ट
अंकिता मसुरकर भी घर पर खाद बनाने और घर में जैविक कीटनाशक तैयार करने की इसी प्रक्रिया को अपना रही हैं। उनके टैरेस गार्डन में इनडोर पौधों और फूलों की झाड़ियों की भरमार है। वह ग्राफ्टिंग, लेयरिंग, बडिंग और अन्य वृक्षारोपण विधियों को सीखने में भी लगी हैं।
इस जोड़ी ने मई के पहले सप्ताह से अपनी नर्सरी सर्विस को छोटे पैमाने पर फिर से शुरू कर दिया है और नागपुर में ऑर्डर मिलने पर पौधे पहुंचाने के दौरान सभी सैनिटेशन प्रोटोकॉल का पालन कर रही हैं।
मनीषा और अंकिता की तरह, कई भारतीय इस लॉकडाउन में क्वारंटाइन गार्डनिंग शुरु करके अपने घर को हरा-भरा बना दिया है। चाहे वह स्टूडियो अपार्टमेंट में अर्बन जंगल हो या उपनगरीय एस्टेट में एक विशाल बगीचा- हर जैविक उद्यान की अपनी सुंदरता है।
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