मुंबई के चेंबूर इलाके में एक ऐसा घर, जहां जाकर आपको हरे-भरे जंगल का एहसास होगा। इसके चारों तरफ, अंदर से बाहर तक बड़े-बड़े पेड़, झाड़ियां और लटकती खूबसूरत बेल नजर आएंगी। यह हरा-भरा घर है, गार्डनर पूनम जैन का।
इस घर में घुसते ही एक तरफ अल्फांज़ों आम के पेड़ आपका स्वागत करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ शहतूत, आंवला, निर्गुंदी, इलायची और रात में खिलने वाली जैस्मीन के पौधों से भरा छोटा सा जंगल है। ऐसा ही एक छोटा सा जंगल उन्होंने अपने घर के पीछे भी बनाया हुआ है। जहां 6 बड़े-बड़े पेड़, ढेर सारी जड़ी बूटियां और झाड़ियां हैं।
उनके घर में लगे सभी पौधों की किस्में या तो विदेशों से लाई गई हैं या फिर किसानों से देसी बीज लेकर उगाई गई हैं। घर की छत पर उनकी बड़ी बेटी का एक सेरेमिक स्टूडियो है, जहां ढेर सारे गमले रखे हैं। यहां पर वह क्लासेज लेती हैं।
पेड़-पौधों से बेइंतहां प्यार करने वाली पूनम जैन, बड़े ही जोशीले अंदाज में कहती हैं, “मेरे घर में सिर्फ उन्हीं पौधों को लगाया जाता है, जिनके औषधीय गुण हों और जिन्हें खाया जा सके। या फिर ऐसे पौधे, जो प्रदूषण को कम कर सकें।”
सापों से है दोस्ती
दरअसल, पूनम की लगातार कोशिश एक ऐसा माहौल तैयार करने की रही है, जहां वह खुली हवा में सांस ले सकें। प्रकृति के साथ सरल और स्वच्छ जीवन बिता सकें। पूनम कहती हैं, “मैं कैंट (छावनी) एरिया में पली बढ़ी हूं, जहां बड़े से खेत, गाय, बैल और घोड़ों के बीच मेरा बचपन बीता है। हमने पेड़ों पर चढ़कर फल तोड़कर खाए हैं, खेतों से सब्जियां काटी हैं। गायों की देखभाल की है और उनका ताजा दूध पिया है। अपने बच्चों को भी कुछ ऐसा ही प्राकृतिक माहौल देना चाहती हूं। इसलिए वह सब कुछ जो मैं पहले करती थी और इसके अलावा और भी बहुत सी चीज़ें मैंने अपनी बेटियों के साथ, अपने मुंबई के बंगले में फिर से की हैं।”
वह आगे कहती हैं, “हम ऑर्गेनिक फूड उगाते हैं, पौधों से औषधियां बनाते हैं। कुकिंग करते हैं और प्रकृति के साथ आगे बढ़ते हैं। हमारा घर, जीरो वेस्ट हाउस है, जहां कुछ भी बेकार नहीं जाता। यहां हम सांपों के साथ भी दोस्ती करते हैं।”
फिलहाल, पूनम जैन तरु नेचुरल्स की सह संस्थापक हैं और श्री श्री इंस्टिट्यूट ऑफ एग्री टेक्नोलॉजी ट्रस्ट में उपदेशक (मेंटॉर) हैं। वह सालों से शहरी जमीन को शहरी जंगल में तब्दील करने का काम कर रही हैं। औषधीय गुणों से भरपूर पौधों के फूलों का कैसे इस्तेमाल करना है, वह बेहतर तरीके से जानती हैं। उन्हें इसमें महारत हासिल है और शायद यही वजह है कि उन्हें डॉक्टर के पास भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
पूनम जैन ने घर में ही ऐसे पांच फूल वाले पौधों को उगाने के बारे में बताया, जो आए दिन परेशान करने वाली छोटी-मोटी बीमारियों से निपटने में कारगर हैं और जिन्हें खाया भी जा सकता है।
1. चमेली (जैसमीन)
चमेली के फूल से बनी चाय की महक आपकी सुबह को और तरोताजा बना देती है। निश्चित रूप से सुबह को दिलखुश बनाने और सेहत, दोनों के लिए यह बेहतर है। चमेली का फूल न केवल तनाव को दूर करता है, बल्कि पेट और पाचन से जुड़ी समस्याओं को भी दुरुस्त करता है। इसके अलावा इसमें काफी एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।
इसके पौधे को गमलों में कैसे उगाया जाए? इस बारे में पूनम कहती हैं ”चमेली को लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं है। मैंने अपने बगीचे में इसे 2×2 की थोड़ी सी जगह दी है और यह काफी फल फूल रहा है। पौधा लगाने के लिए बगीचे की मिट्टी का इस्तेमाल करें, या फिर इसे जमीन में लगाएं। आप इस पौधे को लगाने के लिए टेराकोटा पॉट भी यूज़ कर सकते हैं। गमलों में दो मुट्ठी ताज़ी मिट्टी, एक मुट्ठी खाद और एक मुठ्ठी कोकोपीट डालें और इसमें चमेली के पौधे को रोप दें।”
2. नीम के फूल
नीम सेहत के लिए कितना फायदेमंद है, यह बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं नीम के सफेद कोमल फूल भी सेहत के लिए उतने ही फायदेमंद होते हैं, जितनी की नीम की पत्तियां और बाकी हिस्से? इन फूलों के अपने एंटीसेप्टिक गुण हैं। इनकी तासीर ठंडी और शुद्ध होती है, जिसकी वजह से दक्षिण भारतीय खान-पान और हर्बल टॉनिक में यह अपनी एक खास जगह बना चुके हैं।
पूनम, नीम को जरूरत से ज्यादा पानी देने से बचने की सलाह देती हैं और कहती हैं, “नीम अच्छे से तभी बढ़ेगा, जब आप इसे जमीन में उगाएंगे। यह साहचर्य, यानी पौधों के आस-पास अच्छी तरह से फलता-फूलता है। अगर आप अपने आस-पास ध्यान दें, तो पाएंगे कि अधिकांश नीम के पेड़ अन्य पौधों से घिरे क्षेत्रों में उगते हैं।”
3.करी पत्ता फूल
आपने खाने में तो अक्सर करी पत्ते का इस्तेमाल किया ही होगा। लेकिन क्या आपने करी पत्ते के फूल की चाय का स्वाद लिया है? अगर नहीं, तो एक बार लेकर देखिए पूरा दिन खुशनुमा रहेगा। पूनम अपने अनुभव से बताती हैं, “करी पत्ते की चाय पाचन क्रिया को दुरुस्त करती है और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं।”
पूनम के अनुसार, करी पत्ता धूप में पनपने वाला पौधा है। इसे सूखी मिट्टी में लगाना ठीक रहता है। पौधे लगाते समय कोकोपीट या चावल की भूसी जरूर डालें। मिट्टी, कोकोपीट और गोबर इनका अनुपात 4:3:3 होना चाहिए। अगर आपके पास कोकोपीट नहीं है, तो इसकी जगह लकड़ी का बुरादा या जूट की रस्सी के छोटे टुकड़े भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
4. गुड़हल (रेड हिबिस्कस)
थोड़ा तीखा, थोड़ा मीठा! इसका स्वाद कुछ ऐसा ही होता है। हिबिस्कस के फूलों को सलाद में सजाकर या फिर ऐसे ही खा सकते हैं। आप इसकी चाय भी बना सकते हैं। यह, मेंस्ट्रुअल साइकल (मासिक धर्म) से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह उमस भरी गर्मी में शीतलता का एहसास देता है।
वह बताती हैं कि यह एक सख्त पौधा होता है, जिसे ज्यादा रख-रखाव की जरूरत नहीं होती। बगीचे की साधारण सी मिट्टी में भी यह पनप जाता है। पोषक तत्वों के लिए, मिट्टी में थोड़ा सा गोबर मिला सकते हैं।
5. सहजन (ड्रमस्टिक) के फूल
बागवानी से शौकीन लोग इसे फरिश्ते जैसा दिखने वाला सफेद फूल कहते हैं। इसे ताजा खाया जाए तो सबसे अच्छा होता है। यह फूल, विटामिन और मिनरल का भंडार है। अगर चाहते हैं कि सुबह का नाश्ता स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत से भरपूर हो, तो इसे चटनी के रूप में ले सकते हैं या फिर इसका जूस बनाकर पी सकते हैं।
पुनम ने बताया, “सहजन के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। यह सूखा रोधी पौधा है। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं कि इसे लगाने के बाद कई दिन तक रोज़ पानी देने की जरुरत पड़ती है। इस पौधे को लगाने के तकरीबन दो हफ्ते तक बहुत ही ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है, ताकि इसे सूखने से बचाया जा सके। इसकी सूखी फलियों के बीज से भी इसे उगाया जा सकता है। बीज को मिट्टी के बीच में रोप दें और तब तक रोजाना पानी दें, जब तक कि यह अंकुरित न हो जाए।”
फिलहाल पूनम, पेड़-पौधों के औषधीय गुणों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक किताब लिख रही हैं। जिसमें वह स्थानीय जड़ी-बूटियों, जंगली पौधे, जिन्हें खाया जा सकता है और अन्य स्वदेशी पौधों के बारे में जानकारी देंगी।
पूनम के बारे में और ज्यादा जानने के लिए उनके ब्लॉग पढ़ सकते हैं।
मूल लेख- रिया गुप्ता
संपादनः अर्चना दुबे
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