उत्तर-प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में रहने वाले 27 वर्षीय सार्थक वशिष्ठ अपने पिता के साथ मिलकर कंस्ट्रक्शन का बिज़नेस चला रहे हैं। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ्लोरिडा से अपनी मास्टर्स की। देश वापस लौटकर, अपने पिता का कारोबार सम्भाल लिया।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मेरा शेड्यूल बहुत ही साधारण-सा रहा है। घर से ऑफिस और फिर ऑफिस से घर। कोई एक्स्ट्रा गतिविधि नहीं थी ज़िंदगी में। लेकिन फिर जब दो साल पहले मेरी शादी हुई तो मैंने अपनी सास को उनके गार्डन में ढेर सारी सब्जियां उगाते देखा। मुझे यह बहुत अच्छा लगा।“
सार्थक के अपने घर में भी पीछे की तरफ थोड़ी खाली और कच्ची जगह है, जहां पर उन्होंने भी कुछ पेड़-पौधे उगाने की ठानी। यह उनके लिए बहुत ही अलग और नया अनुभव था। वह बताते हैं कि उन्होंने जब देखा कि उनकी सासु माँ अपने गार्डन से ही बहुत कुछ अपने घर के लिए उगा लेतीं हैं तो उनका भी मन हुआ कि वह भी गार्डनिंग ट्राई करेंगे।
उन्होंने अपनी गार्डनिंग की शुरुआत सिर्फ पालक से की और आज वह अपने गार्डन में पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ शिमला मिर्च, बैंगन, बीन्स, लेटस, शलजम, खीरा, तोरी, गाजर और भिन्डी जैसी साग-सब्जियां उगा रहे हैं। उन्होंने अमरुद और अंजीर के पेड़ भी अपने यहाँ लगाए हैं।
सार्थक के यहां सबसे बड़ी समस्या धूप की है। वह कहते हैं कि जहां वह गार्डनिंग करते हैं, वह जगह उनके घर में पीछे की तरफ है। उनका घर दो मंज़िला है और इस वजह से धूप उचित मात्रा में उनके गार्डन तक नहीं पहुँचती है। सिर्फ कुछ ही हिस्से में चंद घंटों के लिए हल्की धूप आती है।
“मैं जानता हूँ कि पेड़-पौधों के लिए धूप कितनी ज्यादा ज़रूरी है। खासतौर पर सब्ज़ियों के लिए। लेकिन धूप न होने से मैं अपने गार्डनिंग के शौक को कैसे छोड़ देता। इसलिए मैंने दूसरे विकल्प तलाशे और ऐसे पेड़-पौधों के बारे में जाना, जिन्हें कम धूप में भी उगाया जा सकता है। गार्डन के जिस हिस्से में थोड़ी धूप आती है वहां मैं ज्यादा धूप वाली सब्जियों को लगाता हूँ और जो हिस्सा छांव में रहता है वहां ऐसी सब्ज़ियाँ जिन्हें डायरेक्ट धूप की ज़रूरत नहीं होती है,” उन्होंने आगे कहा।
सार्थक के मुताबिक, यह ज़रूरी नहीं है कि आप सब-कुछ उगाएं या फिर बहुत ज्यादा मात्रा में उगाएं। सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आप कुछ न कुछ उगा रहे हैं। फूलगोभी, चेरी टमाटर, लेटस आदि सब्जियों को आप आसानी से हल्की धूप में उगा सकते हैं। आपको बस विकल्प तलाशने की ज़रूरत है क्योंकि प्रकृति के पास हर मौसम, जलवायु और तापमान के हिसाब से पेड़-पौधे हैं। सार्थक ने जब शुरुआत की तो उन्होंने अपनी कच्ची ज़मीन पर ही छोटी-छोटी क्यारियाँ बनाकर पालक के बीज डाल दिए थे।
“मुझे पहली बार में ही इतनी ज्यादा पालक मिली कि मुझे बस फिर और भी उगाने का मन किया। दूसरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी घर पर उगी सब्जियों का स्वाद, जो बाज़ार की सब्जियों से कहीं ज्यादा अच्छा और पौष्टिक है। ऐसा नहीं है कि हम सब कुछ अपने घर पर उगाकर आपूर्ति कर लेते हैं। लेकिन जो भी उगाते हैं वह बिल्कुल जैविक तरीकों से उगा रहे हैं और इससे जो मन को ख़ुशी मिलती है, उसका कोई जवाब नहीं,” सार्थक ने बताया।
हालांकि, लॉकडाउन के दौरान उनके गार्डन से काफी मदद मिली। उन्होंने लगभग 10 किलो सब्ज़ियों की हार्वेस्ट अपने छोटे से गार्डन से ली। उन्होंने कुछ कच्ची ज़मीन पर क्यारियाँ बनाई हैं तो कुछ उन्होंने अपने यहाँ बेकार पड़ी पेंट आदि की बाल्टियों को गमले की तरह इस्तेमाल किया हुआ है। सार्थक कहते हैं कि हर किसी को थोड़ा-बहुत ज़रूर कुछ न कुछ उगाना चाहिए। अगर आपने एक बार कुछ उगाया है तो इसके बाद आपका हमेशा कुछ न कुछ उगाते रहने का मन करेगा।
गार्डनिंग करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए सार्थक कुछ टिप्स साझा कर रहे हैं:
- गार्डनिंग के लिए बहुत ज्यादा वक़्त नहीं चाहिए होता है, आप दिन में सुबह या शाम को एक-दो घंटे भी अगर गार्डनिंग के लिए निकाल सकते हैं तो आप आसानी से बहुत कुछ उगा पाएंगे।
- अगर आपके घर में धूप की समस्या है तो भी आप पेड़-पौधे तो लगा ही सकते हैं। ऐसे पेड़-पौधे जिन्हें छांव पसंद है।
- अगर आप गमलों में कुछ उगाना चाहते हैं तो मिट्टी में रेत, खाद और अगर हो पाए तो कोकोपीट भी मिला सकते हैं।
- हफ्ते में एक बार मिट्टी ऊपर-नीचे करें और खाद दें। इसके साथ ही, अगर कोई पेस्ट दिख रहा है तो आप कोई घरेलू पेस्टिसाइड भी छिड़क सकते हैं।
- पानी का ख्याल रखें और पेड़-पौधों के हिसाब से पानी दें।
- शुरुआत ऐसे पौधों से या फिर साग-सब्जियों से करें, जिन्हें देख-रेख की ज़रूरत कम हो और आपको एक-दो बार में ही सफलता मिले। इससे आपका हौसला बढ़ेगा।
सार्थक कहते हैं कि जब उन्होंने गार्डनिंग करना शुरू किया तो घर के बाकी सदस्य बहुत ज्यादा इसमें शामिल नहीं हुए। लेकिन जैसे- जैसे वह आगे बढ़े और गार्डन से थोड़ी-थोड़ी सब्ज़ी किचन में पहुँचने लगी तो बाकी परिवार भी इसमें रूचि लेने लगा। खासकर कि लॉकडाउन में सभी ने कुछ न कुछ गार्डनिंग संबंधित गतिविधियाँ कीं। अब सार्थक अपने टेरेस पर गार्डन सेट-अप करने का विचार कर रहे हैं। उन्होंने एक-दो गमलों से इसकी शुरुआत की है और इस साल सर्दियों में वह छत पर भी सब्जियां उगाएंगे।
“गार्डनिंग हम सभी को करनी चाहिए। यह सिर्फ हेल्दी खाने के लिए नहीं है बल्कि आपको एक्टिव और मेंटली हेल्दी रखने में भी काफी सहायक है। गार्डनिंग करके आपको एक ख़ुशी मिलती है, जब आपकी उपज आती है तो बस उससे ज्यादा खूबसूरत दिन कोई नहीं,” सार्थक ने अंत में कहा।
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!
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