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#गार्डनगिरी: ‘खुद उगाएं, स्वस्थ खाएं’: घर की छत को वकील ने बनाया अर्बन जंगल!

सम के गुवाहाटी में रहने वाली सुमन दास ने दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। फ़िलहाल, वह गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि अपने प्रोफेशनल करियर के साथ-साथ वह मन की भी सुन रही हैं और उनका मन हमेशा से यह कहता है कि अपने लिए सब्जी खुद उगाना चाहिए।

बचपन से ही प्रकृति के बीच पली-बढ़ी सुमन बताती हैं कि दिल्ली में प्रदूषण ने उन्हें काफी परेशान किया और इसलिए पढ़ाई पूरी होते ही वह अपने शहर लौट आई। यहां भी अपनी नौकरी में उनका दिन कब निकल जाता, उन्हें पता ही नहीं चलता। उन्हें अपने तनाव भरे रूटीन से थोड़ा ब्रेक चाहिए था और इसलिए उन्होंने कुछ ऐसा करने का फैसला किया जो उन्हें ख़ुशी भी दे और साथ ही, सेहतमंद भी हो।

सुमन ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैंने इस साल जनवरी से ठान लिया कि मैं अपने घर में साग-सब्ज़ी लगाऊंगी। ऐसा करने की एक और वजह थी। दरअसल, गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक पेटीशन फाइल हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि पेस्टीसाइड के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से असम के एक पूरे जिले में कैंसर पीड़ितों की संख्या काफी ज्यादा है। इस बात ने मुझे बहुत हैरान किया और कहीं न कहीं मैं डर भी गई थी। बस तब से ही मैंने ठान लिया कि मैं किसानी करुंगी।”

Suman Das, Lawyer cum Gardener

जनवरी, 2020 के अंत से सुमन ने अपनी छत के 400 स्क्वायर फीट क्षेत्र में पेड़-पौधे लगाए और आज उनके छोटे से अर्बन जंगल से उन्हें हर दिन एक वक़्त की सब्ज़ी मिल रही है। उन्होंने अपनी छत पर सूरजमुखी, तोरई, बैंगन की 5 किस्में, करेला, फ्रेंच बीन, भिन्डी, लाल और हरी चौलाई, शिमला मिर्च, पालक, मेथी, पुदीना, कद्दू, शकरकंद, पेठा और कुलफा जैसी सब्ज़ी लगाई हुई हैं। सुमन सब कुछ जैविक तरीकों से उगा रही हैं और उनकी सफलता देखकर, अब उनके पड़ोसी और रिश्तेदार भी उनसे बीज मांगने लगे हैं। यह सुमन के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि वह दूसरे लोगों को भी बागवानी के लिए प्रेरित कर रही हैं।

द बेटर इंडिया ने सुमन दास से खास बातचीत की, जिसके कुछ अंश आप यहां पढ़ सकते हैं।

1. अगर कोई अपना गार्डन/बगीचा लगाना चाहता है तो उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए?

सुमन: अगर आप बागवानी शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहली चीज़ है पौधे लगाना। पहला बीज जो आपने बोया या फिर कोई कलम जो आपने लगाई और इसके बाद, जब वह अंकुरित होते हैं तो आप बागवानी के और करीब हो जाते हैं। बागवानी सिर्फ घर को सुंदर दिखाने के लिए नहीं है बल्कि आपको पेड़-पौधों से प्यार होना चाहिए। फिर आपको ज्यादा कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी कि गमला नहीं है या फिर बीज कहां लगेगा। बस कोई भी पुराना डिब्बा या फिर प्लास्टिक बोतल उठाएं, मिट्टी भरें और बीज बोकर पानी दें। आपको आपका पहला पौधा मिल जाएगा और इसी के साथ आपकी गार्डनिंग शुरू हो जाएगी।

2. अगर कोई पहली बार गार्डनिंग कर रहा है तो उन्हें किस तरह के पेड़-पौधे लगाने चाहिए?

सुमन: मेरे हिसाब से हर तरह के पेड़-पौधे लगाना आसान होता है। यह आपके ऊपर है कि आप लगाना क्या चाहते हैं, फूलों का बगीचा या फिर सब्ज़ी या फिर ऐसे पेड़-पौधे जिन्हें कम देख-रेख की ज़रूरत हो। अगर आप फूल या सब्जी लगाना चाहते हैं तो मेरी सलाह है कि आप अपने इलाके के स्थानीय पेड़-पौधों से शुरूआत करें। जैसे कि मैं असम में रहती हूँ तो यहां के मौसम के हिसाब से मैं गुलाब, गुलमोहर जैसे फूलों के पेड़ों से शुरू करूंगी। सब्जी में पत्तेदार जो यहां की जलवायु को झेल सके और इसमें भी देशी किस्म के पौधे। साथ ही, फेंसिंग के लिए बांस उगाया जा सकता है।

Her garden

3. गार्डनिंग के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?

सुमन: हर तरह की मिट्टी पेड़-पौधों के लिए अच्छी होती है। बस आपको इसे थोड़ा और पोषक और स्वस्थ बनाना होगा। यह हल्की और ढीली होनी चाहिए ताकि पेड़ की जड़ें आसानी से विकसित हो और फ़ैल पाएं। इसमें पोषण भरपूर हो और साथ ही, पेड़ों को स्वस्थ रखने वाले सूक्ष्मजीव भी हो।

वैसे तो मिट्टी तैयार करते वक़्त इस बात का ख्याल रखा जाता है कि आप कौन से पेड़-पौधे लगा रहे हैं। लेकिन अगर इतनी गहरी जानकारी न भी हो तो सबसे अच्छा है आप 50% मिट्टी और 50% खाद मिलाकर मिट्टी तैयार कर लें। अगर आपको फलों के पेड़ लगाने हैं तो आप खाद की मात्रा कम रख सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप नियमित तौर पर अपने किचन के जैविक कचरे को मिट्टी में डालते हैं तो यह भी आपकी मिट्टी को पोषक बनाता है।

4. अगर हम छत पर पेड़-पौधे लगा रहे हैं तो क्या इससे हमारी छत में लीकेज हो सकता है या फिर किसी भी तरह से यह खराब हो सकती है?

सुमन: आप गमलों में पेड़-पौधे लगाएं और गमलों को सीधा छत पर न रखें बल्कि उनके नीचे कुछ और रखें ताकि छत और गमलों के बीच फासला रहे। साथ ही, आप अपनी छत को पानी से भरकर तो रखेंगे नहीं, इसलिए छत में लीकेज होने की सम्भावना नहीं है। फिर भी सावधानी बरतें।

5. गार्डनिंग करने के कुछ आसान और कम लागत के तरीके क्या हैं?

She is using waste thermocol boxes as planters

सुमन: अगर आपको अपने घर में पड़े प्लास्टिक का उपयोग करना आता है तो गार्डनिंग बहुत ही सस्ता शौक साबित होगा। अपने घर में बेकार पड़ी चीजों में ऐसी चीजों को देखें जिसमें आप मिट्टी भर सकते हैं और बीज लगा सकते हैं। बस इतना ही करना है। आपको बीज खरीदने की भी ज़रूरत नहीं है। आपने बाज़ार से जो सब्ज़ी खरीदी है, उन्हीं के बीजों को इकट्ठा कर लगा लें। अगर आपको फूल लगाने हैं तो आस-पास लगे पेड़ों से एक टहनी ले लें और इसे गीली मिट्टी में लगा दें।

हम सब जानते हैं कि आज की सबसे बड़ी समस्या है क्लाइमेट चेंज और जिसकी एक वजह है प्लास्टिक का कचरा, प्रदुषण। हर जगह, हर चीज़ के लिए हमें प्लास्टिक मिलता है। इसलिए आप इन्हें प्लांटर्स के तौर पर फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बहुत ही कम लागत का तरीका है।

मैं खुद बर्फ और मछली को स्टोर करने वाले थर्मोकोल के डिब्बे को प्लांटर की तरह इस्तेमाल कर रही हूँ। मैंने अपने बाग़ में चावल-गेहूं के पैकेट, प्लास्टिक पैकेट और प्लास्टिक की बोतलों को पेड़-पौधे लगाने के लिए इस्तेमाल किया है। मुझे नहीं लगता है मैंने गार्डनिंग के लिए कुछ भी खर्च किया है।

एक अच्छा तरीका यह भी है कि आप अपनी सोसाइटी में बीजों के लिए एक समूह बना लें और आपस में पेड़-पौधों का लेन-देन करते रहें।

6. पौधों को पानी देने के कुछ ऐसे तरीके, जिससे कि पानी बर्बाद न हो?

सुमन: पानी बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का इस्तेमाल करें। इससे आप लगभग 70% तक पानी की बचत कर सकते हैं। इसके अलावा, एक्वापोनिक्स तरीकों से पेड़ लगाकर आप 90% तक पानी बचा सकते हैं। लेकिन इस तरीके में काफी चुनौतियां हैं।

Harvest from her garden

7. गार्डनिंग शुरू करने का सबसे बेहतर समय कौन-सा है?

सुमन: मुझे लगता है कि बागवानी शुरू करने का सबसे अच्छा समय है, आज, अब अभी। अगर आप सच में कुछ करना चाहते हैं और पर्यावरण से जुड़ना चाहते हैं तो अभी से शुरूआत करें। जाएं, और जाकर अपना पहला पेड़ लगाएं। आपको समय, मौसम, जलवायु की परवाह करने की ज़रूरत नहीं है, बस जब दिल में आए तभी पहला बीज बो दो।

8. पेड़-पौधों की देखभाल कैसे करें, कब पानी दें और कितनी धूप उनके लिए ज़रूरी है?

सुमन: अलग-अलग पेड़-पौधों को अलग-अलग देखभाल की ज़रूरत होती है। कुछ को भरपूर सूरज की रौशनी और पानी चाहिए जैसे कि फलों और फूलों के पेड़। लेकिन वहीं कुछ ऐसे पेड़ हैं जिन्हें धूप खूब चाहिए, लेकिन पानी कम चाहिए होता है। वहीं कुछ पौधों को बहुत ही कम पानी और धूप चाहिए। पानी देते वक़्त ध्यान रहे कि पूरी मिट्टी में पानी पहुंचा है और अगर आप सैपलिंग लगा रहे हैं तो इसे शुरू में धूप से बचाएं।

9. कोई घरेलू नुस्खा बताइए जिससे पेड़-पौधों को पोषण दिया जा सकता है?

सुमन: ऐसे बहुत से घरेलु नुस्खे हैं जो पेड़ों के लिए पोषण का काम करते हैं, जैसे कि

* चूना जो आप पान के पत्ते के साथ लेते हैं, वह कैल्शियम से भरपूर है और पेड़ों में फंफूद लगने से रोकता है।

* चावल और अंडो को उबालने के बाद बचा पानी भी आप पेड़ों में दे सकते हैं।

* लहसुन को उबालें और फिर इस पानी को पेड़ों पर स्प्रे करें, इससे कोई कीट पेड़ों पर नहीं आयेंगे।

* कुछ कीटों को रोकने के लिए शैम्पू या फिर डिश वॉश बार को पानी में मिलाकर पेड़ों पर स्प्रे किया जा सकता है।

* नीम का तेल और लकड़ी की राख का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

इसके अलावा, एक अच्छा तरीका है ‘कम्पैनियन प्लांटिंग‘ मतलब कि ऐसे पेड़-पौधों को साथ में लगाना जो एक-दूसरे के लिए पोषण का काम करें। उदाहरण के लिए, आप बुश बीन्स, खीरा और मक्का को साथ में लगा सकते हैं। बीन्स से मिट्टी को नाइट्रोजन मिलती है जिसे खीरा और मक्का उपयोग कर सकते हैं। मक्का और खीरा से बीन्स को छांव मिलती है और खीरे की बेल को ऊपर चढ़ने के लिए मक्का के पेड़ का सहारा। इसी तरह आप हर एक पौधे के साथ गेंदे के फूल लगा सकते हैं, इससे बहुत से कीटों से आपके पेड़ बच जाएंगे।

10. अंत में, हमारे पाठकों के लिए कुछ ज़रूरी टिप्स!

सुमन: मैं बस यही कहूंगी कि जो भी बीज या फिर कलम आपको मिलती है, आप उसी को लगा लें। आपको नर्सरी से कोई महंगे पेड़-पौधे खरीदने की ज़रूरत नहीं है। आपको बस यह ध्यान रखना है कि कौन सा पेड़ कहां लगेगा और फिर उसी हिसाब से धूप और छाँव वाले पेड़ों को आप लगाएं। अच्छे से प्लानिंग करें, इससे आपकी मेहनत कम होगी।

इसके साथ ही, एक सबसे अच्छी चीज़ है ‘परमाकल्चर’ मतलब कि प्रकृति के हिसाब से पेड़-पौधे लगाना। मैं सबसे यही कहूंगी कि आपको गार्डनिंग करते हुए परमाकल्चर की विधि ज़रूर सीखनी चाहिए।

सुमन दास ने अपना फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है। अंत में वह कहतीं हैं, “मुझे लगता है कि स्कूल से ही बच्चों को खेती का विषय पढ़ाना और सिखाना चाहिए। दुनिया में पानी और स्वस्थ खाने की कमी हो रही है। इसलिए ज़रूरी है हर एक छत पर पेड़-पौधे हों और हर एक परिवार अपना खाना खुद उगाए। मतलब कि हम खुद उगाएं और स्वस्थ खाएं।”

अगर आप सुमन दास से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें sumandas.cc@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं!

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अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!


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