अक्सर गार्डनिंग करना, अलग-अलग किस्मों के पौधे लगाना, DIY तरीकों से घर सजाने या गार्डन डेकोरेशन जैसे कामों को हम ज्यादा अहमियत नहीं देते और इन कामों को टाइम पास ही मानते हैं। कुछ सालों पहले तक शायद ही कोई सोचता था कि इसे कमाई का ज़रिया भी बनाया जा सकता है। लेकिन आज गार्डनिंग ने कई गृहिणियों को एक नई पहचान दी है। ऐसी ही एक गृहिणी कोलकाता की मौसमी मंडल भी हैं।
मौसमी अपने गार्डन से जुड़ी जानकारियां अपने यूट्यूब चैनल के ज़रिए लोगों तक पहुंचाती हैं। उनके गार्डनिंग वीडियोज़ को आज 99 हजार से ज्यादा लोग पसंद करते हैं। इतना ही नहीं यूट्यूब, अब उनकी नियमित कमाई का ज़रिया भी बन गया है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मुझे गार्डनिंग में रुचि थी। पौधों को अच्छे से कटिंग करना और गार्डन को सजाकर रखना मुझे पसंद था। लेकिन मेरा गार्डन वही लोग देख पाते थे, जो मेरे घर आते थे इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न यूट्यूब के ज़रिए लोगों को अपना गार्डन दिखाया जाए। लेकिन इससे पैसे भी कमा सकते हैं, यह मुझे पता नहीं था।”
27 साल से कर रहीं गार्डनिंग और गार्डन डेकोरेशन
यूं तो मौसमी को बचपन से ही पौधे उगाना पंसद था। शादी के पहले उनके माता-पिता भी घर में गार्डनिंग किया करते थे। लेकिन शादी के बाद नौ साल तक उन्हें पौधे लगाने की जगह नहीं मिली। फिर साल 1995 में जब वह नए घर में आईं, तो यहां एक आंगन हुआ करता था, जिसमें उन्होंने गार्डनिंग करना शुरू किया। उन्होंने आंगन में ही किनारे की जगह में आम, अमरूद, कटहल, सुपारी, नीम आदि के पेड़ लगाए थे और बीच के भाग में वह फूलों के पौधे उगाया करती थीं। लेकिन कुछ सालों बाद ही उनका यह घर और आँगन दोनों टूट गए। क्योंकि उन्होंने यहां बड़ी ईमारत बनाने का काम शुरू किया।
मौसमी कहती हैं, “मेरी आँखों के सामने मेरे उगाए सारे पेड़, घर बनाने के लिए काट दिए गए। मुझे काफी दुःख भी हुआ था। लेकिन मुझे शौक़ था, इसलिए मुझे लगा कि मैं फिर से इन पौधों को उगा लूंगी। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि पहले पौधे ज़मीन में लगाती थी, अब गमले में लगाती हूँ।”
आज भी वह टेरेस गार्डन में चीकू, स्टार फ्रूट, ड्रैगन फ्रूट, बैंगन, करेला, बीन्स जैसे कई फल-सब्जियां उगाती हैं। इसके साथ ही कई तरह के मौसमी फूलों के पौधे भी उन्होंने अपने गार्डन में लगाए हैं।
खालीपन से बचने के लिए शुरू किया यूट्यूब चैनल
उनके घर में सिर्फ उन्हें ही गार्डनिंग और गार्डन डेकोरेशन का शौक़ था। इसलिए घर के काम के बाद वह कुछ-कुछ पौधे उगाया करती थीं। हालांकि, तब वह इस काम को सिर्फ शौक़ के लिए करती थीं। लेकिन साल 2016 में उनका बेटा नौकरी के करने के लिए मुर्शिदाबाद चला गया, जिसके बाद मौसमी को घर में काफी खालीपन सा लगता था।
उस समय उन्हें यूट्यूब की ज्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन उनके घर में कम्प्यूटर था, इसलिए उनके बेटे ने उन्हें कंप्यूटर इस्तेमाल करने को कहा। उनके बेटे ने ही उन्हें एक बार यूट्यूब चलाना भी सिखाया। मौसमी कहती हैं, “उसने ही मुझे बताया कि इसमें गार्डनिंग के वीडियोज़ भी आते हैं। इसके बाद मेरी रुचि इसमें काफी बढ़ने लगी। मुझे वीडियोज़ बनाना तो पहले से ही बहुत अच्छा लगता था। इसलिए जब मैंने गार्डनिंग वीडियोज़ देखे, तो मुझे लगा कि ऐसा वीडियो तो मैं भी बना सकती हूँ।
इसके बाद, उनके बेटे ने उनका एक यूट्यूब चैनल बनाया। उस समय उनका मकसद एक ही था कि वह लोगों को अपना सुन्दर गार्डन दिखा सकें।
गार्डन डेकोरेशन चैनल बनाने के बाद और बढ़ गई गार्डनिंग में रुचि
चूंकि मौसमी एक बंगला भाषी महिला हैं, इसलिए उन्हें हिंदी बोलना ठीक से नहीं आता था। उस समय उन्हें एडिटिंग की भी ज्यादा कोई जानकारी नहीं थी। वह अपना फोन लेकर घूमतीं और बंगाली भाषा में ही गार्डन डेकोरेशन के वीडियोज़ रिकॉर्ड करती थीं।
इन वीडियोज़ को वह बिना एडिटिंग के ही यूट्यूब पर अपलोड कर देती थीं। उस दौरान लोगों को उनका गार्डन, तो पसंद आता लेकिन ज्यादातर दर्शक उनसे हिंदी में वीडियोज़ बनाने की मांग करते थे। वहीं कुछ लोग उन्हें थोड़े छोटे वीडियोज़ बनाने की सलाह देते थे। ऐसे धीरे-धीरे उन्होंने दर्शकों की मांग के हिसाब से नई चीजें सीखनी शुरू कीं।
मौसमी कहती हैं, “उस समय मुझे कई पौधों के नाम भी हिंदी में नहीं पता थे, लेकिन मैंने खुद सीखना और लोगों को बताना शुरू किया। वीडियोज़ बनाने के लिए मैं अपने गार्डन पर ज्यादा मेहनत भी करने लगी। इससे मेरी खुद की जानकारियां भी बढ़ने लगीं।”
घरवालों को भी हुआ आश्चर्य, जब गार्डनिंग से होने लगी कमाई
मौसमी ने जब यूट्यूब पर नियमित रूप से वीडियोज़ बनाना शुरू किया। तब वह दिन का ज्यादातर समय इसी में लगाया करती थीं। वीडियोज़ बनाने के लिए गार्डन तैयार करना, खुद फ़ोन पकड़ कर वीडियो बनाना, उसे अपलोड करना इसमें काफी समय लग जाता है। कभी-कभी घरवाले नाराज़ भी हो जाया करते थे। लेकिन शुरुआत में उन्हें इसे सीखने में और नए-नए प्रयोग करने में खूब मज़ा आता था।
करीबन दो साल उन्होंने ठीक से वीडियो बनाना, इसे एडिट करना आदि सीखने में बिताए। करीबन दो से ढाई साल की मेहनत के बाद, उन्होंने इससे थोड़े-थोड़े पैसे कमाना शुरू किया। कई लोगों को इस बात पर आश्चर्य भी होता था। लेकिन समय के साथ जब यूट्यूब नियमित कमाई का ज़रिया बन गया, तब सभी ने उनकी काफी तारीफ की।
आज मौसमी अपने पोता-पोती को भी अपने साथ गार्डनिंग सिखाती हैं और अपने वीडियो में उन्हें भी शामिल करती रहती हैं। वह ज्यादातर वीडियोज़ गार्डन डेकोरेशन के ही बनाती हैं, जिसे लोग काफी पंसद करते हैं।
जिस तरह से मौसमी ने अपने शौक़ को अपनी नई पहचान बनाई है, वह वाकई में कबील-ए-तारीफ है। आप भी उनसे जुड़ने या उनके वीडियोज़ देखने के लिए उनके यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
यह भी पढ़ेंः 70 किस्म के टमाटर उगते हैं बेंगलुरु की इस छत पर, आलू-प्याज़ के अलावा कुछ नहीं आता बाज़ार से