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5 महीने में उगाई 20+ सब्ज़ियाँ, अब और उगाने पर है जोर ताकि बाहर से कुछ न खरीदना पड़े

कहते हैं कि यदि आपको मन की शांति चाहिए तो पेड़-पौधों के साथ कुछ समय बिताना चाहिए। यही वजह है कि आज के भागमभाग जीवनशैली के बीच लोगबाग गार्डनिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने लगे हैं। आज हम आपको गार्डनगिरी में एक ऐसे शख्स से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं जिन्हें प्रकृति से खास लगाव है, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपनी छत को एक सुंदर सा बाग बना दिया है, जहाँ सब्जी से लेकर फूल तक, सबकुछ है।

तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाले रामजी कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट हैं। वह बतौर IT मार्केटर काम करते हैं। इसके अलावा वह एक ट्रेवलर हैं और बेयरफुट रनर भी हैं। बेयरफुट रनिंग को नेचुरल यानी कि प्राकृतिक तौर पर दौड़ना भी कहते हैं। जंगलों में, कच्चे रास्तों पर या फिर समुद्र किनारे नंगे पैर दौड़ने का आनंद ही कुछ और होता है।

रामजी बताते हैं कि उनकी लाइफ परफेक्ट जा रही थी। अपनी जॉब के साथ-साथ वह वीकेंड पर शहर में होने वाले पौधारोपण अभियानों में भी भाग लेते थे। बाकी समय-समय पर उनके ट्रेवलिंग प्लान बनते रहते थे। लेकिन लॉकडाउन ने अचानक से सबकुछ रोक दिया। उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी होगा कि वह घर से निकल ही नहीं पाएंगे। अचानक से हुए इस बदलाव को अपनाकर आगे बढ़ना उनके लिए मुश्किल हो गया।

Ramji, IT Marketer

यह सिर्फ रामजी ही नहीं बल्कि बहुत से लोगों के साथ हुआ और इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा। रामजी कहते हैं कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि कैसे वह खुद को अच्छा महसूस कराएं? कैसे इस बदलाव के साथ आगे बढ़ें? और तब उन्हें अपनी हॉबी लिस्ट में एक और चीज़ जोड़ने का मौका मिला- गार्डनिंग!

जी हाँ, रामजी को अपने मन की शांति और संतोष एक बार फिर प्रकृति में ही मिला। उन्होंने अपनी छत पर टैरेस गार्डनिंग करने का फैसला किया। उन्हें गार्डनिंग करते हुए सिर्फ 5 महीने हुए हैं और उनकी किचन की काफी ज़रूरत उनके अपने गार्डन से ही पूरी होने लगी है। रामजी कहते हैं, “मुझे अपने किचन के लिए हर एक सब्जी मिल जाती है। मुझे यह करते हुए मन की शांति मिलती है।”

रामजी लगभग 300 स्क्वायर फीट में गार्डनिंग कर रहे हैं और अपने गार्डन की सफलता देखकर, अब वह 350 स्क्वायर फीट में इसे और फैलाने वाले हैं। “मैं चाहता हूँ कि एक दिन हो जब हमें बाहर से कुछ भी न खरीदना पड़े। हम सब कुछ खुद जैविक तरीकों से अपने गार्डन में उगाएं। अभी हमने पत्तेदार सब्जियां बिल्कुल ही बाज़ार से लाना छोड़ दिया है क्योंकि गार्डन से ही हमें काफी कुछ मिलता है। घर में उगी पालक, मेथी का जो स्वाद है, वह बाज़ार से कहीं ज्यादा अच्छा है। अगर आप अपने घर की सब्जियां खाएंगे तो आपको समझ में आएगा कि बाज़ार की सब्जियां रसायन से भरी होती हैं,” उन्होंने आगे कहा।

His Garden

फ़िलहाल, रामजी के पास लगभग 60 ग्रो बैग हैं और बाकी उन्होंने कुछ अपने घर के पुराने सामान को भी प्लांटर्स में बदला है। इनमें वह 12 तरह की पत्तेदार सब्जी, टमाटर, मूली, भिंडी, हरी मिर्च, बैंगन, गाजर, गोभी, कद्दू, पेठा, लौकी, तोरई उगा रहे हैं। सब्ज़ियों के साथ-साथ उन्होंने निम्बू, सीताफल, अमरुद और मौसम्बी के पेड़ भी लगाए हैं। उनके यहाँ फूल और हर्बल पेड़-पौधों की भी कई वैरायटी हैं।

अपने गार्डन की पूरी देखभाल रामजी अकेले ही करते हैं। उन्होंने कोई माली या हाउसहेल्प नहीं रखा हुआ है। गार्डन की देखभाल को लेकर रामजी कहते हैं, “पेस्ट मैनेजमेंट पर आपको खास ध्यान देना होता है। पेस्ट अटैक को रोकने के लिए घर पर ही नीम से नीम का तेल या फिर नीमखली बनाई जा सकती है। आप किचन से निकलने वाले गीले और जैविक कचरे को फेंकने की बजाय उसका खाद बना सकते हैं।”

He has used Old Plastic things as planters

“गार्डनिंग से न सिर्फ मुझे मानसिक तौर पर मदद मिली है बल्कि मुझे खाने की अहमियत भी समझ में आई है। पहले किसी भी चीज़ को फेंकना बहुत आसान होता था लेकिन अब मैं कम से कम दो बार सोचता हूँ। चाहें वेस्ट प्लास्टिक हो या फिर जैविक, अब हम सभी कचरे को अलग-अलग करते हैं। यह देखते हैं कि क्या कंपोस्ट में जा सकता है और क्या रीसाइक्लिंग के लिए,” रामजी ने बताया।

जितना ज़रूरी हमारे लिए पढ़ाई और हमारा लाइफस्टाइल है, उतना ही ज़रूरी यह भी है कि हमारा खाना कहाँ से आ रहा है? कोशिश करें कि आप जो खाएं वह आप खुद उगा पाएं या फिर जो आप उगा रहे हैं, वही खाएं। बहुत बार लोग कहते हैं कि गार्डनिंग बहुत मुश्किल है या फिर वह सफल नहीं होते हैं? ऐसे सभी लोगों के लिए रामजी सिर्फ एक ही बात कहते हैं, “कम से शुरू करें, धैर्य रखें और रसायनों पर निर्भर न करें। रीसाइक्लिंग में भरोसा रखें और बाकी सब प्रकृति खुद संभाल लेती है।”

His Vegetables

अगर आप रामजी से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें इंस्टाग्राम- Grow it Here पर फॉलो कर सकते हैं।

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

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