औरंगाबाद में पली-बढ़ी राधिका सोनवणे बचपन से ही एक पक्षी प्रेमी रही हैं। बचपन में वह अपने शहर के नज़दीक बसी सलीम अली बर्ड सैंक्च्युरी जाया करती थीं। उन्हें हमेशा से पक्षी, पिंजड़े से ज्यादा खुले आकाश में उड़ते हुए पसंद थे। लेकिन उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन उनका घर ही ढेरों पक्षियों का बसेरा बन जाएगा। इतना ही नहीं, वह आज इन पक्षियों की इतनी अच्छी दोस्त बन चुकी हैं कि कई पक्षी उनके घर सुबह शाम आते हैं और उनके हाथ से दाना चुगकर भी खाते हैं।
पिछले सात सालों से पुणे के कर्वे नगर में रह रहीं राधिका ने कोवल एक बर्ड फीडर से शुरुआत की थी, लेकिन आज उनके घर में कई तरह के अलग-अलग फीडर रखे हैं और वह अपने ऑफिस और घर के काम के साथ इन पक्षियों का भी विशेष ध्यान रखती हैं।
लॉकडाउन में शुरू किया पक्षियों को करीब से जानना
राधिका जब चार साल पहले इस अपार्टमेंट में रहने आईं, तब वह यहां रहनेवाली स्मिता आंटी से मिलीं, जिनके घर में कई बर्ड फीडर लगे थे और उनके गार्डन में कई पक्षी भी आते थे। पक्षी प्रेमी होने के कारण राधिका को यह देखकर काफी अच्छा लगा। राधिका कहती हैं, “मैंने उनसे ही प्रेरणा लेकर घर पर कुछ फीडर लगाना शुरू किया। लेकिन लॉकडाउन के समय मुझे थोड़ा और समय मिला इन पक्षियों को करीब से समझने का।”
राधिका ने हर एक पक्षी की पसंद के अनुसार दाने रखना शुरू किया। वह जिस इलाके में रहती हैं, वहां तोते काफी आते हैं। इसलिए उन्होने तोतों को ध्यान में रखकर मूंगफली के दाने ज्यादा रखने शुरू किए।
उन्होंने अपने अनुभव से देखा कि बारिश के बाद, तोते ज्यादा आते हैं। इस दौरान तो उनके घर हर दिन करीब 60-70 तोते आते हैं और दिन के एक किलो मूंगफली तोतों को खिलाने में ही खत्म हो जाती हैं। वहीं गर्मियों में यह संख्या थोड़ी कम हो जाती है।
राधिका के घर में समय के साथ, बर्ड फीडर्स की संख्या भी काफी बढ़ गई है और फ़िलहाल उनके घर में दो किस्मों के तोते, बुलबुल, मैना, कौवे, वीवर बर्ड, चिड़िया सहित करीबन छह से सात किस्मों के पक्षी आते हैं।
उन्होंने अपने घर के हॉल की बालकनी और किचन बालकनी दोनों जगहों पर फीडर लगाए हैं, जहाँ पक्षियों के लिए खाना और पानी कभी कम नहीं होता।
पक्षियों की पसंद का रखती हैं विशेष ध्यान
धीरे-धीरे जब पक्षियों की संख्या बढ़ने लगी, तब राधिका ने देखा कि हर पक्षी की अपनी अलग-अलग पसंद है। जैसे तोता अगर मूंगफली और मकई के दाना खाता है, तो बुलबुल को केला पसंद है।
वह बताती हैं, “कई पक्षी तो सिर्फ पानी पीने आते हैं और कई पक्षी हमारे घर के किचन में आकर भी कुछ खाना लेकर जाते हैं। ऐसे ही एक बार मैंने देखा कि बुलबुल केला खा रही है, जिसके बाद से हमने केला काटकर रखना शुरू कर दिया।”
वहीं, वह चिड़ियों के लिए चावल और कौवों के लिए रोटी और घर का पका खाना भी रखती हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि पौधे देखकर पक्षी आते हैं। लेकिन राधिका के घर में पहले ज्यादा पौधे नहीं थे, हालांकि जैसे-जैसे पक्षी बढ़ने लगे, उन्होंने पक्षियों को प्राकृतिक माहौल देने के लिए पौधे बढ़ाना भी शुरू कर दिया। यानी इन पक्षियों के कारण उनके घर में हरियाली भी बढ़ गई है।
उन्होंने पक्षियों के बैठने के लिए एक सूखा पेड़ भी गार्डन में सजाया है। वह हर तरह से कोशिश करती हैं कि पक्षियों को पूरी तरह से प्राकृतिक माहौल दे सकें।
राधिका के साथ साथ उनके पति भी इन पक्षियों का पूरा ध्यान रखते हैं। अब राधिका को ऑफिस जाना पड़ता है, ऐसे में उनके पति पक्षियों के फीडर भरने में मदद करते हैं, क्योंकि फ़िलहाल वह घर से ही काम कर रहे हैं।
हालांकि, राधिका का यह घर किराये पर है और एक दिन शायद उन्हें यह घर छोड़ना भी पड़े। लेकिन राधिका की कोशिश रहेगी कि वह जहां भी जाएं, अपने लिए ऐसी ही खूबसूरत दुनिया बसाएं, जहां पक्षियों की चहचहाहट भी हो और प्रकृति का सुकून भी।
आशा है आप भी उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर अपने घर में कुछ बर्ड फीडर जरूर लगाएंगे, जिससे आपका घर भी ढेरों पक्षियों का बसेरा बन जाए। आप राधिका की इस सुन्दर दुनिया के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें यहां सम्पर्क कर सकते हैं।
संपादन – अर्चना दुबे
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