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बेंगलुरू की अनु ने घर पर ही उगाई 80 तरह की सब्जियां- आपके लिए भी दे रही हैं ढेरों टिप्स

बेंगलुरू की अर्बन गार्डनर, अनु गणपति कहती हैं, “मुझे लगता है कि बागवानी जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आप एक बीज लगाते हैं और आप इसे अपनी आंखों के सामने बढ़ते हुए देखते हैं। मिट्टी को स्पर्श करना और उसके साथ काम करना काफी सुकून भरा हो सकता है।  एक बार जब आप यह करना शुरू कर देते हैं, तो आप फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते।”

बागवानी में खासी रुचि रखने वाली अनु कहती हैं कि सही खाद मिक्स, बीज और टिप्स के साथ कोई भी अपना टेरेस गार्डन बना सकता है। अनु एक होम-मेकर यानी कि गृहिणी हैं और उन्होंने करीब पाँच साल पहले बागवानी शुरू की थी। आज की तारीख में उनके अपने 2000 वर्ग फुट के टेरेस गार्डन में 80 से ज़्यादा सब्जियां, साग, फल, और औषधीय पौधे हैं!

Organic Gardening Tips

हरी सब्जियां और पेड़-पौधे उगाने के अपने शौक को अनु ने 2015 में एक नई दिशा दी और ‘इट्स टाइम टू गार्डन’ नाम का एक स्टार्ट-अप शुरू किया, जहां वह एक वर्कशॉप का आयोजन करती हैं और लोगों को गार्डनिंग के कौशल की ट्रेनिंग देती हैं।

तब से, अपने वर्कशॉप के ज़रिए, उन्होंने अपने दोस्तों, रिटायरमेंट होम, ऑर्गेनिक स्टोर और स्कूलों समेत करीब 1000 से ज्यादा लोगों के साथ अपना ज्ञान बांटा है. 

अनु ने ‘द बेटर इंडिया’ (TBI) से बात की और हमारे साथ कुछ बेहतरीन टिप्स शेयर किए हैं।

टेरेस गार्डन के लिए सलाह और टिप्स

अगर आप अनु से पूछेंगे कि उनके टेरेस गार्डन में कौन-कौन से पेड़-पौधे और सब्जियां है तो फिर आपको तसल्ली से कागज़ और कलम लेकर बैठना होगा। अनु बताती हैं, बैंगन, पालक और टमाटर कुछ ऐसी सब्जियां हैं, जो उन्होंने पिछले चार सालों से बाज़ार से नहीं खरीदी हैं।

इसके अलावा, अपने टेरेस गार्डन में वह कई और तरह की सब्जियां उगाती हैं, जैसे गोभी, कद्दू, करेला, मूली, बीन्स, मेथी, अजवाइन, और प्याज। उनके गार्डन में कई तरह के फलों के पेड़ भी हैं जैसे कि चीकू, अमरूद, खीरा, अंजीर, शरीफा, ड्रैगन फ्रूट्स, अनार, पपीता, बारबडोस चेरी, स्ट्रॉबेरी, एवोकैडो, नारंगी, और नींबू।

अनु बताती हैं, “घर के बगीचे की सब्जियों ने  हमारी आदतों को बिगाड़ दिया है।  एक बार जब जुबान में ताज़ी सब्जियों का स्वाद लग जाता है, तो फिर पीछे मुड़कर देखने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। ”

अनु ने हमारे साथ टेरेस गार्डन से संबंधित कई सारी सलाह और टिप्स साझा किये हैं, साथ ही उन्होंने ऐसी कई ग़लतियों के बारे में भी बताया जो उन्होंने की थी। अनु कहती हैं कि ग़लतियों के बारे में बताना ज़रूरी है ताकि टेरेस गार्डन में दिलचस्पी रखने वाले इसे ना दोहराएँ । 

अनु का कहना है कि जब कोई व्यक्ति बागवानी शुरू करने का फैसला करता है, तो सबसे महत्वपूर्ण होता है उद्देश्य को समझना।

अनु बताती हैं, “शुरू में, मैंने फैंसी सब्जियां जैसे चुकंदर और शतावरी (एक प्रकार का साग) को उगाने की कोशिश की जिसमें बहुत मेहनत लगती है। जल्द ही, मुझे एहसास हुआ कि मैं फ़िज़ूल में ही  अपना बहुत सारा समय खर्च कर रही थी जबकि मेरा उद्देश्य बाहर से कम खरीदना और रोज़ाना भोजन के लिए सब्जियां उगाना था। ”

वह बताती हैं, इनमें से खाने वाले कुछ पौधे उगाना सबसे आसान था, जैसे पालक, बीन्स, अजवाइन, मेथी, अदरक, हल्दी और प्याज।

इनमें से कुछ सब्जियां उगाने के बारे में उन्होंने यहां कुछ सलाह दी है – 

अनु हल्दी उगाने के बारे में विशेष रूप से प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। वह इसकी कटाई और भंडारण के बारे में कुछ टिप्स भी शेयर करती हैं ताकि, हल्दी में पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड, करक्यूमिन को शरीर में आसानी से सोख ले।

अनु सलाह देते हुए कहती हैं, “इसलिए, एक बार जब आप हल्दी को काट लें, तो इसे पानी में उबालें ताकि करक्यूमिन सक्रिय हो जाए। इसे छोटे टुकड़ों में काटें और इसे छाया में सुखाएं ताकि यह अपना रंग न खोए।  तीन महीने के समय के लिए पूरी कटाई का पाउडर ना बनाएं, केवल उतना ही पाउडर बनाएं जितनी आपको ज़रूरत हो। इसके बाकी हिस्से को एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें ताकि यह ताज़ा बना रहे। काली मिर्च और तेल के साथ अपने व्यंजनों में हल्दी मिलाएं, क्योंकि ये दो तत्व आपके शरीर को हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट गुणों को अवशोषित करने में मदद करते हैं। ”

क्या आपको नियमित रूप से कीट हमलों का सामना करना पड़ता है? अनु एक अच्छे जैविक बगीचे के लिए प्रभावी ढंग से कीटों का प्रबंधन करने के तरीके के बारे में भी कुछ टिप्स साझा करतीं हैं।

वूली एफिड्स सबसे आम कीटों में से हैं, जो पौधों पर हमला करते हैं। किसी भी प्रकार के कीट के हमले को रोकने के लिए, 5 मिलीलीटर नीम का तेल, आधा चम्मच रीठा (सोपबेरी) पाउडर लें, और इसे एक लीटर पानी में मिलाएं। हर दस दिनों में पत्तियों की जांच करना और स्प्रे करना न भूलें। घर पर सूखा गोबर रखें और इसे लगभग तीन घंटे तक पानी में भिगोएँ और अपने पौधों के चारों ओर मिश्रण डालें। यह पोषक तत्वों से भरपूर है और ये कीटों को दूर रखता है।

बागवानी करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

मुस्कुराते हुए अनु कहती हैं, “सबसे महत्वपूर्ण बात, बागवानी करते समय अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और अधिक गंभीर न हों। यह तनाव में करने लायक चीज़ नहीं है बल्कि आपको खुश रहना चाहिए।”

बच्चों का कराएं बागवानी से परिचय

अनु याद करते हुए कहती हैं कि बागवानी से उनका परिचय बहुत कम उम्र में हो गया था। अनु बताती हैं, “जब मैं आठ साल की थी तब तक एक संयुक्त परिवार में रहती थी। मेरी दादी के घर में कई पेड़ और पौधे थे। मुझे याद है कि मैं अपने चाचा के काम से लौटने का बेसब्री से इंतजार करती थी ताकि हम पौधों को एक साथ पानी दे सकें। ”

बागवानी एक मज़ेदार और बढ़िया गतिविधि है, जिसमें बच्चे शामिल हो सकते हैं। यह उबाऊ नहीं है। अनु ने बच्चों के लिए कई वर्कशॉप आयोजित किए हैं। उनके दोनों बच्चे भी बागवानी करते हैं और अनु भी बच्चों के लिए इसे दिलचस्प बनाने के तरीके जानती हैं।

अनु कहती हैं, “कीचड़ से सीड बॉल बनाना एक मज़ेदार गतिविधि है और बहुत उपयोगी भी है। मुझे याद है कि मेरी बेटी और उसके दोस्त इसका भरपूर मज़ा लेते थे। आप बाद में इन सीड बॉल को अपने पड़ोसियों को दे सकते हैं। मैं उन्हें अपने गेट के बाहर रखती हूँ,और अपने पड़ोस के लोगों को सूचित करती हूँ ताकि वे इसे इकट्ठा कर सकें और बागवानी शुरू कर सकें। ”

अनु बताती हैं, “भोजन उगाने के इन नए तरीकों से बच्चों का परिचय कराने से उनमें रुचि और अंतर्ज्ञान बना रहता है। साथ ही, उन्हें बागवानी में शामिल करके और उनके द्वारा लगाए गए उत्पाद के साथ साधारण सलाद बना कर भोजन में शामिल करने से उन्हें भोजन का महत्व समझ में आता है और साथ ही वे भोजन की बर्बादी भी कम करते हैं। ”

ग्रीन वर्ल्ड में कदम 

अनु ने अमेरिका और बेंगलुरु में 14 वर्षों तक कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम किया! लगभग पांच साल पहले, जब अनु ने बेंगलुरू में कचरा समस्या पर ध्यान देना शुरू किया, तो उन्होनें अपने कचरे का प्रबंधन खुद करने का फैसला किया। 

वह याद करते हुए कहती हैं, “मेरे लिए पहला कदम खाद बनाना शुरू करना था। लेकिन, यह मेरे लिए आसान काम नहीं था। मुझे वास्तव में कचरे से आने वाली गंध से बहुत परेशानी होती थी और उसमें कीड़े भी आ रहे थे। लेकिन मैंने कोशिश जारी रखी और चार महीने के समय में, मुझे पहली बार सफलता मिली। मैं आपको नहीं बता सकती कि यह कितना अद्भुत लग रहा था। मेरे लिए, यह काले सोने जैसा था।”

इस खाद का उपयोग करने के लिये, उनके लिए अगला कदम अपने बगीचे को तैयार करना था. इसके अलावा, कुछ नए बदलावों वाली फसल और उससे होने वाले स्वास्थ्य खतरों की काफी खबरें आ रही थी, जिसने उन्हें बागवानी को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। 

लेकिन यहां फिर से उन्हें एक और चुनौती का सामना करना पड़ा।

वह बताती हैं, “मैं इन बीजों को मिट्टी में डालती थी  और बहुत आशा के साथ, मैं हर सुबह उनके पास जाती। वहां कोई नया जीवन ना देख कर मैं निराश हो जाती थी। फिर मैंने एक गार्डनिंग वर्कशॉप में शामिल होने का फैसला किया। हालाँकि मुझे वहां मज़ा आता था, लेकिन लौटने पर, मुझे लगता था कि बागवानी एक बहुत जटिल चीज़ है। ”

अनु के पति ने उन्हें काफी प्रोत्साहन दिया जिससे उनका उत्साह बढ़ा और इरादा मजबूत हुआ और फिर उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह खुश थी कि उनमें धैर्य था।

अनु कहती हैं, “अपने पूरे जीवन में, मैंने देखा है कि जो लोग गार्डनिंग करते हैं वे स्वभाव से कोमल, दयालु और प्रकृति के करीब होते हैं। कुछ उगाने से ज्यादा, यह पूरी प्रक्रिया है जो वास्तव में बहुत कुछ सिखाती है। मुझे सच में विश्वास है कि गार्डनिंग आपको शांत, खुश और अद्भुत बना सकती है।”

घर पर बागवानी न केवल आपको प्रकृति को घर लाने में मदद करती है बल्कि एक बहुत बढ़िया शौक है जिसे आप इस लॉकडाउन में भी पूरा कर सकते हैं। कई अध्ययन बताते हैं कि गार्डनिंग आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है, और कई लोगों में यह चिंता और अवसाद को कम करता है।

इन दिनों लॉकडाउन के चलते लोग घर पर बहुत कुछ आज़मा रहे हैं, ऐसे में अगर आप कुछ ऐसा करें जो आपको प्रकृति के और भी करीब ले जाए, आपके लिए बेहतर हो सकता है. खासतौर पर युवा लोगों के लिए  गार्डनिंग, खुद को संवारने का  एक अच्छा अवसर हो सकता है।   

मूल लेख-  ANGARIKA GOGOI

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