बेंगलुरु में रहने वाली प्रतिमा अदीगा लगभग चार साल से अपनी छत पर गार्डनिंग कर रही हैं। उनका टेरेस गार्डन तीसरे और चौथे फ्लोर पर है और इसमें वह अपनी घर की ज़रूरत की सभी तरह की सब्जी, फल और फूल उगाती हैं। उनके किचन में इस्तेमाल होने वाली लगभग 90% सब्ज़ियाँ उनके गार्डन से आती हैं। बाहर से वह सिर्फ आलू या प्याज खरीदती हैं।
प्रतिमा ने द बेटर इंडिया को बताया कि उन्होंने 18 साल तक अलग-अलग कन्नड़ टीवी चैनल के कुकरी शोज में बतौर शेफ काम किया है। उन्होंने बहुत से फ्रीलांसिंग प्रोजेक्ट भी किए हैं और लगभग 2500 एपिसोड्स का हिस्सा रही हैं। 18 सालों के लम्बे करियर के बाद उन्होंने अपने बेटे की शिक्षा पर ध्यान देने के लिए एक ब्रेक लिया।
“जब अपने परिवार के साथ ज्यादा समय मिलने लगा तो मैं हर एक चीज़ पर ख़ास ध्यान देने लगी। परिवार का खान-पान और लाइफस्टाइल हेल्दी हो, इस पर मेरा फोकस था। और इसी वजह से मैंने खुद अपने गार्डन में सब्जियाँ उगाना शुरू किया। मेरे पति सिविल इंजीनियर हैं और उन्हें पता है कि मुझे प्रकृति से लगाव है, इसलिए जब 14 साल पहले हमारा घर बना तो इसमें बागवानी के लिए खास जगह दिया गया,” उन्होंने आगे कहा।
प्रतिमा को गार्डनिंग का शौक अपने पापा से मिला। लेकिन ज़िंदगी की भाग-दौड़ में वह कभी गार्डनिंग नहीं कर पाई और चार साल पहले जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने इसे हाथों-हाथ लिया। गार्डनिंग में राजेंद्र हेगड़े और विश्वनाथ (अब स्वर्गीय) प्रतिमा के गुरु हैं और उनकी ही वर्कशॉप के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ठान लिया कि अब वह खुद ही सब्जियाँ उगाएंगी। प्रतिमा ने लगभग 20 गमलों से गार्डनिंग की शुरूआत की।
धीरे-धीरे उनके गार्डन में गमले और ग्रो बैग्स बढ़ते रहे और आज वह 300 से ज्यादा गमलों, ग्रो बैग आदि में पेड़-पौधे उगा रही हैं। प्रतिमा ने गार्डनिंग के साथ-साथ और भी कई तरह की गतिविधियों को अपनाया है जैसे होम-कम्पोस्टिंग और सस्टेनेबिलिटी।
उन्होंने अपने घर के गीले कचरे से खाद बनाना शुरू किया और अब वह एरोबिक और एनोरोबिक तरीकों से खाद बनाती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी सोसाइटी में ‘कोम्पोस्टर्स इन राजाजीनगर’ नाम से एक ग्रुप भी शुरू किया। इस ग्रुप में वह 125 सदस्यों को कम्पोस्टिंग के लिए गाइड करतीं हैं।
इसकी खासियत यह है कि ग्रुप के सभी सदस्यों को होम-कम्पोस्टिंग करते हैं और आपस में शेयर करते हैं। उनसे प्रेरणा लेकर ग्रुप के कई सदस्यों ने खुद अपनी सब्जियाँ भी उगानी शुरू की हैं। वह हर संभव तरीकों से लोगों की मदद करती हैं।
कम्पोस्टिंग के साथ-साथ वह रीसाइक्लिंग भी करती हैं। उनके गार्डन में आपको गमलों के तौर पर इस्तेमाल हो रहे पुराने प्लास्टिक के ड्रम, बाल्टियां, और डिब्बे आदि मिलेंगे। वह कंटेनर गार्डनिंग करती हैं और कभी-कभी यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन उन्हें यह करना अच्छा लगता है। अपनी किचन के गीले कचरे को वह खाद बनाने के लिए तो इस्तेमाल करती ही हैं, साथ ही, वह सब्ज़ियों और फलों के छिलकों से पेड़ों के लिए टॉनिक भी बनाती हैं, जिनसे पौधों को सभी तरह के पोषक तत्व भी मिलें।
प्रतिमा बताती हैं कि वह देसी बीजों से सब्जियाँ उगाती हैं और इसे साथ-साथ वह कुछ विदेशी किस्में भी उगाती हैं। हर एक मौसम में उनका गार्डन अलग-अलग तरह की सब्जियों से भरा हुआ रहता है। गार्डनिंग करने का उनका तरीका कुछ ऐसा है कि उन्हें पूरे सालभर उपज मिलती रहे। इसके लिए वह हर तीन हफ्ते के अंतराल पर अलग-अलग बैच में सब्जियाँ उगाती हैं।
वह अपने गार्डन में लौकी, कद्दू, पेठा, टमाटर, मिर्च, बीन्स, बैंगन, शकरकंद, हल्दी, अदरक, निम्बू, गोभी, ब्रोकली, तोरई, खरबूज, शलजम, खीरा, मूली, गाजर, सभी तरह की पत्तेदार सब्जी और फूल आदि उगाती हैं। इनमें भी वह अब तक 30 किलो कद्दू, 70 किस्म के टमाटर, 15 किस्म की बीन्स, 9 किस्म की शकरकंद आदि उगा चुकी हैं। वह अपने गार्डन की प्लानिंग ही इस तरह करती हैं कि उनके किचन में पूरी आपूर्ति रहे। उनके लिए गार्डनिंग उनका स्ट्रेस बस्टर है और उन्होंने अपने बेटे को भी गार्डनिंग का महत्व समझाया है।
प्रतिमा को ख़ुशी होती है कि गार्डन की वजह से उनके बेटे को भी काफी राहत मिलती है। वह भी यहाँ पर अपना अच्छा समय बिताता है और उनकी मदद करता है। उनके पति भी काफी सपोर्टिव हैं।
लॉकडाउन में भी उन्हें सब्जियों की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि उन्हें गार्डन से भरपूर उपज मिल रही थी। प्रतिमा कहतीं हैं कि वैसे भी उनका फोकस इस बात पर रहता है कि वह ऐसी सब्जी उगाएं जो जल्दी से खराब नहीं होती हैं। वह कद्दू की अलग-अलग किस्में ज्यादा मात्रा में उगाती हैं।
“जब लॉकडाउन हुआ तो मेरे घर में लगभग 7 किलो कद्दू रखे थे और लॉकडाउन के दौरान भी हमने लगभग 20 किलो अलग-अलग कद्दू की किस्मों की उपज ली। अभी भी घर में लगभग 15 किलो रखा हुआ है और ये काफी ज्यादा वक़्त तक खराब नहीं होते हैं और आप इन्हें अलग-अलग रेसिपी से बनाकर खा सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी ये अच्छे होते हैं,” उन्होंने कहा।
प्रतिमा घर के लिए हल्दी भी गार्डन में ही उगा लेती हैं। उन्होंने लगभग साढ़े 23 किलो हल्दी उगाई और इससे उन्होंने हल्दी पाउडर बनाया। इस तरह से उन्हें अपने घर से ही जैविक मसाले भी मिल रहे हैं। हर बार वह अपने गार्डन में कुछ नया उगाने की कोशिश करती हैं। वह कहती हैं कि जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे तब तक सफल कैसे होंगे।
“मुझे लगता है कि हर किसी को अपने घर में सब्जियाँ उगाने की कोशिश करनी चाहिए। यह इतना भी मुश्किल नहीं है। गार्डनिंग के साथ आप सस्टेनेबिलिटी की तरफ बढ़ते हैं। मैं गार्डनिंग के साथ कम्पोस्टिंग और रीसाइक्लिंग तो करती ही हूँ, साथ ही, घर में फ्लोर क्लीनर्स के लिए बायोएंजाइम भी बनाती हूँ। इससे आपकी केमिकल्स पर निर्भरता कम होती है। इसलिए मैं हर किसी को यही सलाह देती हूँ कि सब कोई गार्डनिंग करें,” उन्होंने अंत में कहा।
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