आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में रहने वाली 23 वर्षीया रचना रोनांकी ने बॉयोटेक्नोलॉजी में मास्टर्स की। पढ़ाई के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक नौकरी भी की लेकिन कुछ निजी कारणों के चलते उन्हें अपनी जॉब छोड़नी पड़ी। लगभग 2 साल पहले उन्होंने अपनी छत पर किचन गार्डनिंग की शुरुआत की, जहाँ वह लगातार नए प्रयोग कर रही हैं।
पेड़-पौधों और प्रकृति के प्रति यह लगाव उन्हें अपने पिता से मिला। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने पिता से गार्डनिंग के गुर सीखे। हालांकि, पहले यह सिर्फ़ घर में दो-चार पौधों तक सीमित था लेकिन फिर उन्होंने बड़े स्तर पर सब्जी और फूल उगाना शुरू किया।
रचना ने गार्डनिंग की शुरुआत कुछ फूल और कुछ आसानी से उगने वाले सब्ज़ियों जैसे धनिया, टमाटर और मिर्च आदि से की। धीरे-धीरे उनकी छत पर पौधों की संख्या बढ़ने लगी। अब उनकी छत पर 100 से ज्यादा पेड़-पौधे हैं।
“मुझे शुरुआत में थोड़ा समझने में वक़्त लगा लेकिन मात्र 6 महीनों में ही मुझे अच्छी उपज मिलने लगी। कुछ बेसिक पौधे लगाने के बाद मैंने कुछ एक्सपेरिमेंट भी किए। पापा हमेशा मुझे गाइड करते रहते हैं। सोशल मीडिया के ज़रिए भी दूसरे लोगों से सीखती रहती हूँ,” उन्होंने बताया।
आगे रचना कहती हैं कि अगर आप गार्डनिंग की शुरुआत कर रहे हैं तो किसी विश्वसनीय जगह से बीज खरीदें या फिर पहले किसी से कंसल्ट कर लें। उन्होंने बताया, “बहुत बार बीज की क्वालिटी ठीक न होने के कारण पौधे नहीं पनपते हैं और हमें लगने लगता है कि हमसे गार्डनिंग नहीं होगी। इसलिए हार न मानें, बस कोशिश करते रहें।”
रचना ने अपनी छत पर छोट-छोटे गमलों से शुरुआत की और फ़िलहाल, उनके पास कुछ ग्रो बैग्स भी हैं। इन दिनों वह भिन्डी, कद्दू, लौकी, तोरई, मक्का, प्याज, बीन्स, खीरा, अमरुद और सूरजमुखी आदि उगा रही हैं। वह बताती हैं कि हार्वेस्टिंग के समय उन्हें जो उपज मिलती है, उससे आराम से उनके घर की आपूर्ति हो जाती है। कई बार वह दूसरों को भी बाँटती हैं।
“लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि मुझे इस तरह से पेड़-पौधे लगाने चाहिए, जिससे पूरे सालभर हमें सब्जी मिलती रहे। अब मैं अपने गार्डन को इसी तरह से तैयार कर रही हूँ। साथ ही, हमारे शहर का मौसम बहुत गर्म रहता है और इसलिए अब मैंने कुछ ऐसे ग्रेन्स उगाने पर भी फोकस किया है। जैसे पिछली बार मैंने रागी का एक्सपेरिमेंट किया था,” उन्होंने आगे बताया।
रचना ने अपने टेरेस पर रागी उगाई है और उन्हें सफलता भी मिली। उन्होंने बहुत ही सीमित मात्रा में रागी उगाई लेकिन अब वह आश्वस्त हैं कि आगे भी वह यह फसल उगा सकती हैं। हम सब जानते हैं कि रागी को सुपरग्रेन कहा जाता है और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छी होती है।
रचना कहती हैं कि उन्हें गर्मियों के हिसाब से कुछ उगाना था और उन्हें रागी के बारे में पता चला। वह एक जगह से रागी के कुछ बीज ले आईं और कुछ गमलों में उन्हें बो दिया।
उनके मुताबिक, रागी को बहुत ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती है क्योंकि यह हीट-टोलेरेंट होती है। उन्होंने बाकी सब पौधों की तरह ही इसके लिए भी पॉटिंग मिक्स तैयार किया जिसमें मिट्टी, वर्मीकंपोस्ट/गोबर की खाद और नीमखली शामिल थी। साथ ही, वह मिट्टी में थोड़ा कोकोपीट भी मिलाती हैं ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। इसका एक और फायदा है कि पानी अगर गमले में ही रिटेन रहता है तो छत को खराब नहीं करता। टेरेस पर गार्डनिंग करने वालों को खासतौर पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके गमले बहुत ज्यादा भारी न हो और न ही, पानी बहुत ज्यादा छत पर बहे।
रचना कहती हैं, “रागी को उगने के लिए सही पानी और काफी जगह की ज़रूरत होती है। इसके अलावा, उन्हें किसी खास ट्रीटमेंट की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती। मैंने जब रागी लगाई तो उसमें कोई पेस्ट भी नहीं लगे थे और गर्मियों में उनका काफी अच्छा उत्पादन हुआ।”
लेकिन साथ ही, वह यह भी कहती हैं कि अगर किसी को बहुत ज्यादा मात्रा में रागी उगानी है तो इसके लिए काफी ज्यादा जगह चाहिए। तभी आप ज्यादा उपज ले पाएंगे। वह यही सलाह देती हैं कि जिनके पास काफी ज्यादा जगह और आसपास कोई प्रोसेसिंग मशीन का इंतजाम हो, उनके लिए रागी उगाना और उसका आटा बनवाना काफी आसान रहेगा।
“मुझे जितनी उपज मिली, उसमें में मैंने थोड़ा-सा आटा बनवाया। बाकी कुछ पंछियों के लिए दाने रख लिए और बाकी बचे हुए भूसे को मैंने जानवरों के लिए चारे के रूप में दे दिया। अगर कोई एक्सपेरिमेंट करना चाहता है तो उसे ज़रूर करना चहिए क्योंकि अनुभव से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं,” उन्होंने कहा।
अपनी गार्डनिंग के बारे में रचना आगे बताती हैं कि अच्छे उत्पादन के लिए ज़रूरी है अच्छा पॉलीनेशन होना। इसके लिए ही वह अपने गार्डन में फूलों की कई किस्म उगाती हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि किचन गार्डनिंग में फूलों का क्या काम? लेकिन फूल आपके गार्डन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
इनके कई फायदे हैं:
*सबसे पहले तो ये अपने रंग और खुशबू की वजह से कई तरह के कीट और तितली आदि को आकर्षित करते हैं।
*सभी कीट अगर फूलों की तरफ चले जाएंगे तो आपकी सब्जियों में बीमारी नहीं लगेगी।
*इसके साथ ही, तितली जैसे जीव आने से पेड़-पौधों में पॉलीनेशन होगा।
रचना कहती हैं कि आप जो खुद उगाकर खाते हैं, उसकी बात ही अलग होती है। हर किसी को कुछ न कुछ ज़रूर उगाना चाहिए चाहे फिर वह सिर्फ हर्ब्स ही क्यों न हो। अगर आपके पास ज्यादा जगह न भी हो तब भी आप इन्हें आसानी से उगा सकते हैं। गमले खरीदने की भी ज़रूरत नहीं है आप डिब्बों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुराने प्लास्टिक के डिब्बों को आप इस काम के लिए इस्तेमाल में ले सकते हैं।
“मैं सबसे यही कहूँगी कि गार्डनिंग ज़रूर करनी चाहिए। बच्चों को स्कूलों में कम से कम हफ्ते में एक बार गार्डनिंग अवश्य सिखानी चाहिए। अपना खुद का खाना उगाना उतना ही ज़रूरी है, जितनी कि हमारे सिर पर छत। इस महामारी ने यह बात हम लोगों को वैसे भी बहुत अच्छे से समझाई है। आने वाला भविष्य तभी अच्छा हो सकता है अगर आज की पीढ़ी को प्राकृतिक और स्वस्थ खाना उगाने और खाने के बारे में जागरूक किया जाए,” उन्होंने अंत में कहा।
रचना से संपर्क करने के लिए आप उनका इंस्टाग्राम अकाउंट देख सकते हैं!
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