अगर आप भारत का भौगोलिक केंद्र देखने के इच्छुक हैं, तो आपको बस नागपुर जाना है, और वहां शुन्य मील के पत्थर का पता खोजना है । यह एक तलुआ पत्थर (sandstone) का खंभा है जिस पर चार घोड़े के चित्र अंकित है। कहा जाता है कि यह स्मारक औपनिवेशिक भारत का भौगोलिक केंद्र हुआ करता था। इसकी स्थापना ब्रिटिश राज के समय की गयी और इसका उपयोग नागपुर से अन्य राज्यों की दूरी मापने के लिए किया जाता था।
विधान भवन के दक्षिणपूर्व में स्थित इस स्मारक पर कई महत्त्वपूर्ण शहरो की दूरी अंकित है।
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जब भारत को अलग-अलग प्रान्तों में बांटा जाने लगा तब ब्रिटिश सरकार ने नागपुर को भारत का केंद्र माना था।
वे नागपुर को अन्य राजधानी के रूप में विकसित करना चाहते थे। बाद में जब राज्यों का निर्माण हुआ, तब नागपुर महाराष्ट्र के हिस्से में आया और इसे महाराष्ट की दूसरी राजधानी का दर्जा प्राप्त हुआ।
एक परिदर्शक के अनुसार, स्मारक के खम्भे की सीधी तरफ G.T.S. STANDARD BENCHMARK, 1907 अंकित है और उसकी आड़े मुख की तरफ ” इस खम्बे की ऊँचाई समुद्री तल से 1020।171 फीट है” अंकित है।
यहाँ G.T.S का अर्थ ग्रेट ट्रीगोनोमेट्रीकल सर्वे है, जो उन्नीसवी सदी में सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा की गयी एक परियोजना है। सर्वे ऑफ़ इंडिया एक ऐसी संस्था है जिसे भारत में विभिन्न मानचित्रण एवं सर्वेक्षण करवाने का दायित्व सौंपा जाता है।
हांलाकि अब इस से कुछ विवाद जुड़ गए हैं। ऐसा माना जाने लगा है कि अब यह स्मारक भारत का भौगोलिक केंद्र नहीं रहा। कुछ रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के विभाजन के उपरांत, यह केंद्र नागपुर से हट कर मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव पर आ गया है। यह जबलपुर जिले के सिहोरा से करीब 40 कीमी दूर करैन्दी में स्थित है।