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8 महीने, 66 जगहें, 18000 किमी: नौकरी के साथ, पूरा किया घूमने का शौक

travelling is my passion

कहते हैं कि जिन्हें घूमने का शौक होता है, वह किसी चीज का इंतजार नहीं करते, बस निकल पड़ते हैं यात्रा पर। आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे ही शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो अक्सर लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं। यह कहानी भोपाल के आनंद बांठिया की है, जिन्होंने कुछ समय पहले ही बाइक से देश के अलग-अलग राज्यों की यात्रा पूरी की है। 

आनंद ने फाइनेंस में एमबीए किया है और फिर कुछ दिनों तक बेंगलुरु की एक कंपनी से जुड़े रहे, लेकिन अब उन्होंने नौकरी छोड़ दी है और ट्रैवलिंग के अपने शौक को पूरा कर रहे हैं। 

आनंद ने द बेटर इंडिया को बताया, “ऐसा नहीं है कि मुझे बचपन से ही घूमने का शौक है। यह शौक उम्र और अनुभव के साथ आया है। जब मैं पुणे में एमबीए कर कर रहा था, तो आसपास की जगहों पर ट्रेकिंग के लिए जाता था। उस दौरान मैंने 400 सीसी की बजाज डोमिनार बाइक खरीदी।” पढ़ाई पूरी करने के बाद आनंद को बेंगलुरु की एक कंपनी में नौकरी मिल गई। ट्रैवलिंग के शौकिन आनंद बाइक से ही बेंगलुरु निकल पड़े। 

“यह मेरी पहली लंबी ट्रिप थी और इसमें मुझे बहुत मजा आया। इसके बाद, मैंने ज्यादातर बाइक पर ही ट्रेवल किया है। नौकरी के दौरान भी मैं वीकेंड पर बेंगलुरु के आसपास की जगहें घूमने निकल जाता था,” उन्होंने आगे कहा। 

अबतक 18000 किमी की यात्रा 

आनंद कहते हैं कि 2020 की शुरुआत में उनकी बहन की शादी थी, जिस वजह से उन्हें बेंगलुरु से भोपाल आना पड़ा। वह कहते हैं, “इसी दौरान कोराना महामारी का संक्रमण शुरू हुआ और फिर देश में लॉकडाउन लग गया। जब लॉकडाउन में छूट दी गई, तो मैं फिर बेंगलुरु चला गया और फिर यहीं से मेरी बाइक ट्रैवलिंग शुरू हुई। मैंने बाइक से ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा की। 24 अक्टूबर 2020 से मेरी यात्रा शुरू हुई। पहले मैं पोंडिचेरी पहुंचा, फिर वहां से तमिलनाडु और फिर केरल। मैंने अबतक लगभग 10 राज्यों की यात्रा की है।”

सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने ट्रैवेलिंग अपनी नौकरी के साथ शुरू की। वह नौकरी के साथ-साथ यात्रा भी करते थे। आनंद ने बताया, “अगर किसी जगह की दूरी कम होती जैसे 100-150 किमी, तो मैं सुबह जल्दी अपनी यात्रा शुरू करता और फिर वहां पहुंचकर किसी हॉस्टल में रुक जाता था। फिर, दस-साढ़े दस बजे तक ऑफिस का अपना काम शुरू कर देता था। लेकिन अगर कहीं लम्बा रास्ता होता जैसे 300-400 किमी, तो मैं वीकेंड पर ट्रेवल करता और बाकी दिन उसी जगह पर रुककर बिताता था। मैंने बहुत आराम से हर जगह का पूरा आनंद लेते हुए अपनी यात्रा की,” उन्होंने कहा। 

इस दौरान उन्होंने कोविड-19 के सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया। उन्होंने कहा कि वह अकेले यात्रा कर रहे थे, लेकिन फिर भी हमेशा मास्क लगाए रखा और अपने साथ सैनिटाइजर भी रखा। “लेकिन कई जगह यह देखकर दुःख भी हुआ कि लोग कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। हालांकि, केरल एक ऐसा राज्य है, जहां मुझे हर कोई मास्क में दिखा। केरल में दाखिल होने के लिए मुझे ई-पास की जरूरत पड़ी और राज्य में प्रशासन से लेकर आम लोगों तक, हर कोई ज़रूरी दिशा-निर्देशों का पालन करता हुआ दिखा। इसके बाद हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में मुझे एक बार फिर ई-पास बनवाना पड़ा और आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराना पड़ा,” उन्होंने कहा। 

आनंद अबतक देश के अलग-अलग 66 जगहों की यात्रा कर चुके हैं, जिनमें चेन्नई, पोंडिचेरी, रामेश्वरम, वरकला, मुन्नार, कोडैकनाल, कूर्ग, गोकर्णा, गोवा, पुणे, मुंबई, सूरत, दिउ, सोमनाथ, भुज, कच्छ, उदयपुर, भोपाल, चडीगढ़, देहरादून, डलहौज़ी, चम्बा, मनाली, लेह आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि लगभग पांच महीने घूमने के बाद वह फिर से भोपाल पहुंचे। क्योंकि उनके ऑफिस की तरफ से काम बढ़ रहा था। भोपाल में वह अपने घर कुछ दिन रहे और इसके बाद उन्होंने मार्च में अपनी नौकरी छोड़ दी। 

उन्होंने कहा, “नौकरी छोड़ने का फैसला मैंने सोच-समझकर लिया क्योंकि मैं शेयर मार्किट में निवेश कर रहा था और मुझे इससे ठीक-ठाक आमदनी हो रही है। मेरे परिवार ने हमेशा मुझे अपने दिल की सुनने की सलाह दी है। शुरू में वे थोड़े चिंतित थे लेकिन उन्होंने कभी मुझपर यह चिंता जाहिर नहीं की,” उन्होंने बताया। मार्च 2021 में एक बार फिर से वह यात्रा पर निकल गए। उन्होंने अबतक बाइक से लगभग 18000 किमी की यात्रा पूरी की है। 

सफर के दौरान खुद पर बढ़ा विश्वास 

अपने अनुभव के बारे में आनंद कहते हैं कि जब तक आप यात्रा के लिए नहीं निकलते हैं, तब तक ही आपको डर होता है। लेकिन जैसे-जैसे आप यात्रा में आगे बढ़ते हैं, आप सिर्फ नए शहर नहीं देखते हैं बल्कि नए-नए लोगों से मिलकर बहुत कुछ नया सीखते हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने बहुत-से दोस्त बनाएं और बहुत कुछ नया जाना और सीखा। वह कहते हैं, “मेरे मन में भी एक डर था क्योंकि इतनी लम्बी यात्रा अकेले करना आसान नहीं है। लेकिन मैंने अपने डर को काबू कर बस अपने सफर पर ध्यान दिया। मैंने कुछ चीजों का ख्याल रखा, जैसे रात में यात्रा नहीं करना। वैसे अब तक की सभी यात्राओं का अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है।” 

अपनी एक यात्रा का किस्सा बताते हुए वह कहते हैं कि हम्पी में एक बार वह एक ढाबे पर खाना खाने के लिए बैठ गए। उन्होंने ध्यान नहीं दिया कि उनके जेब में ज्यादा पैसे नहीं हैं और ढाबे पर ऑनलाइन पेमेंट का सिस्टम नहीं है। “मैंने अच्छे से खाना खाया। लेकिन जब पैसे देने गया तो पता चला कि जेब में सिर्फ 20 रुपए का नोट है। मैंने ढाबे वाले भैया से कहा कि आप ऑनलाइन ले लो। लेकिन उनसे पास ऑनलाइन का सिस्टम नहीं था। मैंने उनसे पूछा कि आसपास एटीएम है तो मैं पैसे ले आता हूँ। उन्होंने बताया कि एटीएम लगभग 15 किमी दूर होगा। मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूं। लेकिन ढाबा वाले भैया ने कहा कि कोई नहीं, आप दोबारा आते समय पैसे दे जाना। इसके बाद मैंने उनसे वो 20 रुपए रखने को कहा लेकिन उन्होंने कहा कि आपको जरूरत पड़ सकती है तो रहने दीजिए,” आनंद ने बताया। 

वह कहते हैं कि उस दिन उन्हें समझ में आया कि इंसान पैसों से नहीं दिल से अमीर होता है। इसलिए कुछ अच्छा करते समय ज्यादा सोचना नहीं चाहिए कि बदले में हमें क्या मिलेगा बल्कि बस कर लेना चाहिए। इसी तरह सूरत में भी उन्हें एक शख्स मिले और उन्हें जब उन्होंने बताया कि वह बाइक पर ट्रेवल कर रहे हैं तो वह आनंद को खासतौर पर शहर की मशहूर डिश खिलाने लेकर गए और बाद में पैसे भी नहीं लिए। इसलिए वह कहते हैं कि जब भी लगे कि ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं हो रहा है तो आपको घूमने निकल जाना चाहिए। आगे उनकी योजना उत्तर पूर्वी राज्यों को घूमने की है।

“मुझे अपने अनुभव से बस इतना समझ में आया है कि प्लानिंग में समय गंवाने से बेहतर है कि आप अपने आइडियाज पर अमल करें। ज़िंदगी में व्यस्तता हमेशा रहेगी लेकिन अगर आप आज खुलकर नहीं जियेंगे तो कल किसने देखा है! इसलिए अगर कुछ अलग करना या सीखना है तो आपको घूमना चाहिए। और सबसे पहले देश घूमना चाहिए। हमारा देश बहुत खूबसूरत है, देश के लोग बहुत अच्छे हैं और ये आपको तब पता चलेगा, जब आप अपनी दैनिक ज़िंदगी से निकलकर कुछ अलग करेंगे,” उन्होंने अंत में कहा। 

आप उनके इंस्टाग्राम पेज पर उनसे संपर्क कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार: आनंद बांठिया

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