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Benefits of Barley: अपना देसी ‘जौ’ है विदेशियों का मिलेट, इटली में भी है ख़ासा मशहूर

benefits of barley

पिछले कुछ समय से भारत में लोगों के बीच अपने स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर जागरूकता बढ़ी है। अधिकांश लोग ज्यादा से ज्यादा हेल्दी खान-पान को अपनी जीवनशैली में शामिल कर रहे हैं। मुझे लगता है एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह ज़रूरी भी है, लेकिन थोड़ा अटपटा तब लगता है, जब लोग अपनी देसी चीजों को छोड़कर, विदेशी विकल्पों की तरफ बढ़ने लगते हैं। जैसे मेरे कई जाननेवालों का जोर क्विनोआ पर है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि यह पोषण से भरपूर आहार है। लेकिन डायटीशियन अर्चना बत्रा का कहना है कि क्विनोआ की जगह आप बहुत से देसी आहार अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। जिनका पोषण क्विनोआ के बराबर या इससे ज्यादा ही है। इसमें वह सलाह देती हैं जौ या Barley की (Benefits of Barley)। शायद ही कोई भारतीय परिवार होगा, जिन्होंने जौ का नाम नहीं सुना होगा। भारत में वर्षों से जौ की खेती होती आ रही है। सिर्फ किसानों के खेतों में नहीं, बल्कि बहुत से घरों में नवरात्रों के दौरान पूजा स्थल पर जौ बोए जाते हैं। 

सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं, बल्कि बाइबल में भी जौ का संदर्भ मिलता है।  शायद इसी कारण, जौ को ‘Holy Grain’ मतलब ‘पवित्र अनाज’ भी कहा जाता है। यह दुनिया में उगाये जाने वाले सबसे पुराने अनाजों में से एक है। इसलिए कई बार रिसर्चर इसे ‘ओरिजिनल सुपरफूड‘ भी कहते हैं। तिब्बत में लोग जौ को भूनकर और पीसकर, याक के दूध में मिलाते हैं। उनके इस व्यंजन का नाम है Tsampa और वहीं, भारत में जौ के आटे की रोटियां या जौ का दलिया भी बनाया जाता है। 

जौ: द सुपरफूड 

Barley (Source)

जौ में मौजूद पोषण के कारण, इसे न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनियाभर में ‘सुपरफ़ूड’ (Benefits of Barley) माना जाता है। यह इतना फायदेमंद है कि अगर आप सिर्फ ‘जौ का पानी’ भी हर रोज पिएंगे तो आपको कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे होंगे। इसके पोषक तत्वों के कारण ही, कई जगहों पर सत्तू बनाते समय चने के साथ-साथ जौ को भी भूनकर पीसा जाता है। Asian Journal of Pharmaceutical Research and Health Care में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, जौ वजन घटाने, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने, टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड शुगर को कम करने और कोलोन कैंसर को भी रोकने में मददगार है (Benefits of Barley)। 

जौ में सोल्युबल और इनसॉल्युबल फाइबर मिलते हैं। इसके अलावा, प्रोटीन, विटामिन B व E, कार्बोहाइड्रेट के साथ कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फोस्फोरस जैसे मिनरल्स से समृद्ध होता है। जिस कारण यह कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को कम करता है। हालांकि, जौ में ग्लूटन होता है, इसलिए ग्लूटन से एलर्जी वाले लोग इसका सेवन नहीं कर सकते हैं। हालांकि, अगर किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल है या डायबिटीज की समस्या है तो अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

जौ के बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक 

अमेरिकन जर्नल ऑफ़ गैस्ट्रोइंटोलोजी के मुताबिक, जौ में इन्सॉल्यूब्ल फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह महिलाओं के गॉल ब्लैडर को भी स्वस्थ रखता है और पथरी नहीं होने देता है। एक कप जौ में 13.6 ग्राम फाइबर की मात्रा होती है।

कॉफ़ी का बेहतरीन विकल्प है जौ 

Barley Coffee (Source)

जौ का इतिहास जितना पुराना है, उतने ही अलग-अलग तरीकों से इसका उपयोग हो रहा है। हालांकि, गेहूं, धान जैसे मुख्य अनाजों की तुलना में जौ का उत्पादन कम होता है। लेकिन अलग-अलग देशों में लोग इसे कई तरह से अपने आहार में शामिल करते हैं। भारत में जौ का दलिया बनाकर या इसका आटा बनाकर रोटी बनाई जाती हैं। मेरे पापा अक्सर बताते हैं कि पहले सर्दियों में दादी ज्यादातर बाजरे या जौ के आटे की रोटियां बनाकर खिलाती थीं। क्योंकि इसमें ज्यादा ताकत होती है (Benefits of Barley)। मवेशी को भी जौ खिलाए जाते हैं, ताकि दूध की गुणवत्ता अच्छी हो। 

इसके अलावा, बताया जाता है कि विश्व युद्धों के दौरान जौ का सेवन किया गया था। क्योंकि सैनिकों के लिए रसद पहुंचाने के कारण गेहूं और धान की कमी बढ़ रही थी और ऐसे में, अन्न का कोई विकल्प चाहिए था, जिससे कि लोगों की भूख मिटाई जा सके। पहले विश्व युद्ध के दौरान, अमेरिका में खाद्य अधिकारियों ने आम लोगों के बीच गेहूं की जगह ओट्स, मक्का, जौ, आलू आदि के सेवन पर जोर दिया। इसी तरह, इटली में कॉफ़ी की जगह भुने हुए जौ का प्रयोग किया गया। आज भी इटली में जौ से बनी कॉफ़ी, Orzo पी जाती है और यह काफी मशहूर है। 

जौ से बनने वाली कॉफ़ी की खासियत यह है कि यह प्राकृतिक रूप से ही 100% कैफीन फ्री होती है। लोगों के बीच जौ को मशहूर करने के लिए अब ‘व्हीट ग्रास’ की तरह ‘बारले ग्रास’ को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जौ घास के जूस और पाउडर बनाकर लोग सेवन कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि जौ घास का पाउडर इंसानों के शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने और उन्हें पोषण देने के लिए सबसे बेहतरीन आहार है। इसलिए आजकल लोग जौ घास को उगा रहे हैं। इसलिए अगर आप जौ को बतौर अनाज इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं तो माइक्रो ग्रीन के रूप में अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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