मुंबई के साकीनाका की निवासी माधवी गोंबरे (23 वर्षीय) ने हाल ही में विश्व एमेच्योर शतरंज बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है।
शतरंज बॉक्सिंग खेल, शतरंज, जो एक दिमागी खेल है और बॉक्सिंग (शारीरिक खेल) को जोड़ता है। यह बहुत ही दिलचस्प खेल है जिसमें दोनों खेल एक के बाद एक राउंड में खेले जाते हैं।
इस खेल की शुरुआत मात्र एक कला प्रदर्शन के तौर पर साल 2003 में डच कलाकार लेप रूबिंग द्वारा की गयी थी। लेकिन कुछ ही समय में यह एक प्रतिस्पर्धी खेल बन गया। इस साल, कोलकाता में आयोजित इस प्रतियोगिता में रूस, फिनलैंड, यूएसए, जर्मनी और अन्य देशों के 100 से भी अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया था।
माधवी ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मुश्किलों भरा सफर तय किया है। उनकी माँ एक स्कूल में चपरासी के रूप में काम करती हैं और उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिछले साल जब माधवी ने पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग लिया तो साकीनाका पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक अविनाश धर्माधिकारी ने उसकी फीस दी। इस प्रतियोगिता में भाग लेने की फीस 30, 000 रूपये थी।
बाद में डोंगरी में सहायक आयुक्त पुलिस (एसीपी) के रूप में नियुक्त होने के बाद भी अविनाश इस लड़की को नहीं भूले और उसकी सहायता करते रहे। इस साल अविनाश ने अनेक दानकर्ताओं के माध्यम से माधवी के लिए फीस के पैसे इकट्ठा किये।
मिड डे से बात करते हुए माधवी ने कहा, “मैं बहुत खुश हूँ। इसका पूरा श्रेय धर्मधिकारी सर को जाता है, जिन्होंने मेरी मदद की। उनके कारण ही मैंने लगातार दो साल तक स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने साकीनाका की निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता लविता पॉवेल का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उनकी शिक्षा और मुक्केबाजी प्रशिक्षण के लिए 1.5 लाख रुपये दिए।
न्यूज़ डीपली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शतरंज बॉक्सिंग का यह खेल भारत में लड़कियों के जीवन को बदल रहा है। रिपोर्ट में कोलकाता स्कूल की एक प्रधानाध्यपिका का कहना है कि शतरंज मुक्केबाजी ने घरेलू श्रम का एक विकल्प दिया है।
उम्मीद है कि माधवी के लिए भी यह खेल एक उज्जवल भविष्य बनाने में मदद करेगा!