हर दिन महिलाओं पर होते अत्याचार की ख़बरें , जाति और धर्म के नाम पर होते झगड़ों की खबरें , ये सब देख कर तो यही लगता है कि देश में काफी सुधार की जरुरत है। लेकिन इस नफरत और नकारात्मकता के बीच , घोटालों और दंगों के बीच, हमारे इस देश में कुछ अनोखी और अच्छी चीज़ें भी हो रही हैं। क्या आप उनसे अवगत है?
पेश हैं उन चीज़ों की एक सूची जिसमे हमारे देश ने पूरी दुनिया को पीछे छोड़ दिया है :
१.तम्बाकू की चेतावनी
तथ्य : भारत में हर तम्बाकू से बनी चीज़ पर चित्र के साथ लिखित चेतावनी होना आवश्यक है जो उस पैक के आगे और पीछे का ८५ प्रतिशत हिस्सा कवर करता हो। इस मामले में भारत और थाईलैंड दुनिया में सबसे आगे हैं जहाँ इस चेतावनी को इतनी जगह दी जाती है।
२. पढने की आदत
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क्या आपको पता है, भारतीय विश्व के सबसे बड़े किताबी कीड़े हैं? इस सर्वे के मुताबिक़ भारतीय हर हफ्ते करीबन १०.७ घंटे किताबें पढ़ते हैं। और ये काफी ज्यादा है। आज के युग में जब स्मार्टफोन और लैपटॉप ने हर जगह अपना कब्ज़ा जमा रखा है ,ये आंकड़े कमाल के है। अमेरिका और इंग्लैंड का पढने का औसत हमसे आधा है।
३. इतने सारे कृषि उत्पाद
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अपनी विविधता के साथ भारत कई मामलों में अमीर है । भारत कपास, केले, आम, बाजरा, सूखी फलियाँ , दालों ,पपीता , जीरा, मिर्च, गोलमिर्च, मटर, हल्दी इत्यादि का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस तरह भारत पूरी दुनिया के खाने में स्वाद लाता है।
४. पोस्ट ऑफिस
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जी बेशक! अब जमाना ईमेल का है, पर एक नजर भारतीय डाक की पहुँच पर भी डालिए। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में १५४,९१९ पोस्ट ऑफिस है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है और हाँ ये मजाक नही हकीकत है।
५. स्टॉक एक्सचेंज
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी एस ई ) एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज होने के साथ साथ दुनिया का सबसे तेज़ स्टॉक एक्सचेंज भी है, जिसकी मीडियन ट्रैड स्पीड, ६ माइक्रोसैकेण्ड है । इस १३७ साल पुराने बी एस ई में ५५०० से ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हैं।
६. मंगलयान
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इस बात को हम कैसे भूल सकते है कि भारत दुनिया का वो पहला देश है जो मंगल ग्रह पर अपना मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन ) स्थापित करने में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल रहा था।
७. फिल्मे !
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१०३ साल पुरानी हमारी फिल्म इंडस्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। १०३ साल पुरानी यह इंडस्ट्री सबसे ज्यादा फिल्मों की निर्माता है, जहाँ हर साल १६०० से भी अधिक फ़िल्में रिलीज़ होती हैं और वो भी एक दो नही बल्कि पूरी २० भाषाओँ में।
मूल लेख श्रेया पारीक द्वारा लिखित