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मुंबई के झुग्गी झोपडी में रहनेवालो को आखिरकार मिली अपने घरो में शौचालय बनाने की आजादी

मुंबई में झुग्गी झोपडी में रहने वालो के लिए एक अच्छी खबर! बी एम् सी के ताज़ा निर्णय के अनुसार अब यहाँ के लोग अपने घरो में शौचालय बनवा सकते हैं।

संविधान की धारा २१ के अनुसार स्वच्छता जीवन का अधिकार है। किन्तु आज तक यह मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों के लिए गैर कानूनी था।

खुले में शौच करने के ऊपर रोक लगाने के लिए ब्रिहंमुम्बई नगर निगम ने ७४० झोपड़ियों में शौच निर्माण की अनुमति दे दी है।

Photo Credit: Meena Kadri/Flickr

इन झोपड़ियो में रहने वाले करीब ६० लाख लोगों को इस से लाभ पहुंचेगा तथा उन्हें शहर के सीवर नेटवर्क से भी जोड़ा जायेगा ।

यदि इस विभाग की योजना सफल हुई तो इन लोगो में से अधिकांश को, अगले कुछ वर्षो में शौचालय की सुविधा मिल जायेगी ।

चूँकि शौचालय निर्माण के लिए लोगो को पानी के कनेक्शन की भी आवश्यकता पड़ेगी, नगर निगम ने पाइपलाइन बिछाने के नियमो को भी सरल करने का प्रस्ताव रखा है। बुधवार को यह प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने रखी जायेगी।इसके अनुसार झुग्गियो में रहने वालो की जलापूर्ति के लिए कनेक्शन की दर ४.३२ रुपये प्रति १००० लीटर कर दी जायेगी।

इन निवासियों के पास दो विकल्प होंगे – या तो ये प्लम्बिंग लाइन को अपने सीवर लाइन से जोड़ लें या फिर सेप्टिक टैंक को आपस में मिल कर उपयोग में लायें । यदि ये झोपड़ियां आपस में जुडी हुई होंगी जिस से पाइपलाइन बिछाना संभव नहीं हो पायेगा तो निगम वहां सेप्टिक टैंक का निर्माण करेगा जिसे समय समय पर साफ़ करने की भी व्यवस्था की जायेगी ।

नगर निगम के उच्चाधिकारियो ने यह निर्णय तब लिया जब खुले में शौच करने पर रोक लगाने के लिए लगने वाले जुर्माने से भी कोई अंतर नहीं पड़ रहा था। अतः निगम के उच्चायुक्त अजय मेहता के साथ मिल कर अधिकारोयों ने यह निर्णय लिया कि इस स्थिति से निपटने के लिए दंड देने के बजाय उन्हें कोई समाधान निकालना पड़ेगा। उन्होंने इस योजना को स्वच्छ भारत योजना से भी जोड़ने का निर्णय लिया।

यह कदम उन संरक्षण कार्यकर्ताओं को भी एक बड़ी राहत प्रदान करेगा जिन्हें मल की सफाई करनी पड़ती थी। यह कार्य पहले से भारत में गैर कानूनी माना गया है।

हमारे संविधान की धारा २१ पर प्रकाश डालते हुए सन् १९९५ में उच्चतम न्यालय ने कहा था, ” आश्रय का अधिकार का अर्थ रहने के लिए पर्याप्त स्थान, सुरक्षित एवं सभ्य संरचना, स्वच्छ एवं सभ्य परिवेश, पर्याप्त रौशनी, शुद्ध जल एवं वायु, बिजली, सफाई व्यवस्था तथा अन्य नागरिक सुविधाए जैसे सड़के आदि हैं जिससे नागरिक अपनी दैनिक कार्य आसानी से कर पाएं।” 

उपरोक्त वाक्य में सफाई व्यवस्था के अंतर्गत शौचालय भी आता है। अतः बॉम्बे उच्च न्यायलय ने इसी निर्णय के आधार पर पिछले वर्ष बी एम सी को गैरकानूनी झोपड़ियो में भी जलापूर्ति का निर्देश दिया था। यहाँ गैर कानूनी का अर्थ उन झोपड़ियो से है जिनका निर्माण १ जनवरी २००० के बाद हुआ है। इसके पहले की बनी हुई झोपड़ियों को बी एम् सी द्वारा कानूनी घोषित कर दिया गया है।

 

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