इस साल २५ बच्चों को राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन बच्चो ने अपने दोस्तो, अभिभावको या पड़ोसियों की जान डूबने से, चोरो से या विद्युत् प्रवाह से बचायी। सभी बच्चों ने बड़े साहस से अपनी जान जोखिम में डालकर प्रियजनों की जान बचायी। आईये जानते इन सभी की शौर्य कथाये।
२४ जनवरी को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिये गये। सोलह साल के बच्चे ने बाघ से लडाई की, १३ साल के बच्चेने अपने दोस्त को डूबने से बचाया। इस तरह ३ लडकियों और २२ लडको ने कठिन परिस्थिति में शौर्य और साहस की मिसाल कायम की।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समारोह में कहा–
“जिन बच्चों को ये सन्मान मिला है, उन सबकी ये शुरुआत है। आनेवाले समय में जब वो बड़े होगे तब उन्हें अपने करियर के साथ साथ समाज के प्रति अपने कर्तव्य को ध्यान में रखना है और लोगो की मदद करनी है।”
इंडियन कौंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (ICCW) ने राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार की शुरुआत की जिसके तहत ६ से १८ साल के बच्चों को पुरस्कार दिया जाता है जो अपने शौर्य से समाज की मदद करते है और औरो को भी प्रभावित करते है। पुरस्कार ५ अलग-अलग केटेगरी में है जैसे भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा पुरस्कार, गीता चोपड़ा पुरस्कार, बापू गैधानी पुरस्कार और जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार। मेडल के साथ एक सर्टिफिकेट और नगद राशी दी जाती है। भारत पुरस्कार में गोल्ड मेडल और अन्य पुरस्कार में सिल्वर मेडल दिया जाता है। ICCW के स्पोंसरशिप प्रोग्राम के अंतर्गत इंदिरा गाँधी स्कॉलरशिप के तहत जिन बच्चो को ये पुरस्कार दिया जाता है उन सबकी पढाई का खर्चा ICCW उठाते है।
आइये जानते है इस साल के पुरस्कार मिलने वाले सभी बच्चो की कहानी।
१.शिवमपेट रुचिथा, तेलंगाना
८ साल की शिवमपेट रुचिथा पुरस्कार पाने वाले बच्चो में से सबसे छोटी है। २४ जुलाई २०१४ को उसने अपने स्कूल के २ दोस्तों की जान तब बचायी जब एक ट्रेन उनके स्कूल बस से टकरायी। उसने देखा कि स्कूल बस पटरी पर रुकी और ठीक उसी वक्त ट्रेन आ रही थी। उसने तुरंत दो बच्चों को बस की खिड़की से बाहर धकेल दिया और खुद भी बाहर छलांग लगायी। दुर्भाग्यवश उसकी छोटी बहन जो बस में दूसरी जगह बैठी थी वो इस घटना में नहीं बच पायी। उसका छोटा भाई भी बस में था, उसे हलकी चोटे आयी। १६ बच्चे, ड्राईवर और कंडक्टर सभी इस घटना में मारे गये। शिवमपेट को गीता चोपड़ा पुरस्कार दिया गया।
“प्रधानमंत्री के हाथो से पुरस्कार मिलने पर ख़ुशी है पर मेरे बहन के जाने का दुःख भी है। हम सब उसे याद करते है।”
-शिवमपेट ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में कहा !
२.अर्जुन सिंह, उत्तराखंड
जुलाई २०१४ में १६ वर्षीय अर्जुन सिंह के घर में बाघ घुस आया। बाघ को देखकर उसकी माँ बेहोश हो गयी। अर्जुन ने बड़े ही साहस से बाघ से लढाई की और अपनी माँ की जान बचायी। अर्जुन एक लकड़ी से बाघ को पीटने लगा। जब गाँववाले आये तब बाघ भाग गया। अर्जुन को संजय चोपड़ा पुरस्कार से समानित किया गया।
३.स्वर्गीय शिवांश सिंग, उत्तर प्रदेश
१४ वर्षीय शिवांश सिंग फैजाबाद में रहता था। वह एक स्वर्ण पदक पुरस्कृत तैराकी था। सरयु नदी में डूबने वाले अपने एक दोस्त की जान बचाते हुए शिवांश ने अपनी जान दे दी। उसे मरणोपरांत भारत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
शिवांश की माँ नीलम सिंग ने टेलीग्राफ से कहा
“सभी बच्चे पुरस्कार से खुश है। काश, शिवांश भी आज यहाँ होता तो मुझे और ख़ुशी होती।”
४. स्वर्गीय गौरव कवडूजी सहस्त्रबुद्धे, महाराष्ट्र
गौरव सिर्फ १५ साल का था जब अम्बाझरी तालाब में डूबते हुए अपने ४ दोस्तों की जान बचाते बचाते उसकी मौत हो गयी। वह एक बहुत अच्छा तैराकी था। जून २०१४ की एक दोपहर को जब वह तालाब में अपने दोस्तों के साथ खेल्रह था तो उसने देखा कि उसके दोस्त तालाब में डूब रहे है, तब उसने तैर कर अपने सभी दोस्तों की जान बचायी। पर तालाब के एक पत्थर से टकराकर वो डूब गया। अपने आदमी साहस के लिए गौरव को मरणोपरांत भारत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
५.अरोमल एसम, केरला
१२ वर्षीय अरोमल को बापू गैधानी पुरस्कार दिया गया। १४ फीट गहरे नहर में डूबने वाली २ औरतो को उसने बचाया था।
६.राकेशभाई शानभाई पटेल, गुजरात
१३ वर्षीय राकेश को कुए में डूबते हुये बच्चे को बचाने के लिये बापू गैधानी पुरस्कार दिया गया।
७.रामदीनथारा, मिज़ोराम
२ जनवरी २०१५ को ट्रांसफार्मर फेंस में फसे २ बच्चो की जान रामदीनथारा ने बचायी। १५ साल के इस साहसी बच्चे ने अपने हाथो से दोनों बच्चो को ट्रांसफार्मर से अलग किया और अस्पताल ले गया। एक दिन जब वो रास्ते से गुजर रहा था तब उसने देखा की २ बच्चे ट्रांसफार्मर के फेंस में अटके पड़े थे। उसने बिना डर के दोनों को खीचा और उनकी बचायी। उसे बापू गैधानी पुरस्कार दिया गया।
८.अबिनाश मिश्रा, ओडिशा
१२ वर्षीय अबिनाश ने जब देखा की कुशभद्र नदी में उसका दोस्त डूब रहा था, तब उसने नदी में छलांग लगायी और तैरकर अपने दोस्त की जान बचायी। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया गया।
९.चोंगथम कुबेर मेईतेई, मणिपुर
१३ वर्षीय चोंगथम कुबेर मेईतेई ने १० फीट गहरे कुएं में डूबने वाली एक लड़की की जान बचायी। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया गया।
उसने टेलीग्राफ से कहा
“मैं झुठ नहीं बोलूँगा, मैं उस वक्त डर गया था। अगर मैं छलांग मारकर उसे नही बचाता तो वो डूब गयी होती।”
१०.कशीश धनानी, गुजरात
१० वर्षीय कशीश ने अपने १५ महीने के भाई को जर्मन शेफर्ड से बचाया। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया से सम्मानित किया गया।
११.मुहम्मद शामनाद, केरला
१४ वर्षीय मुहम्मद शामनाद ने अपनी जान पर खेलकर नहर में डूब रही बच्ची को बचाया। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
१२.मोहित महेंद्र दलवी, महाराष्ट्र
१४ वर्षीय मोहित ने १० सालके अपने एक पडोसी बच्चे को बनगंगा नदी में डूबते हुये बचाया। तब वहा बहुत भीड़ थी पर सिर्फ मोहित ने तुरंत छलांग लगाकर उसकी जान बचायी। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मोहित अनाथ है और अपनी चाची के साथ रहता है।
“ मुझे तैरना आता था इसलिये मैंने छलांग लगायी। मैंने देखा उस लड़की का पैर कीचड में फस गया था। मैंने उसे बाहर निकाला। बाहर आने के बाद लोगो ने हमारी मदद की।”
१३.अभिजीत के. वी. केरला
१५ वर्षीय अभिजीत को जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उसने २५ फीट गहरी नहर में डूबने वाले अपने दोस्त की जान बचायी।
१४.सर्वानंद साहा, छत्तिसगढ़
सर्वानंद साहा को जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उसने महानदी नदी में डूब रहे एक आदमी की जान बचायी।
१५.साई कृष्णा अखिल किलाम्बी, तेलंगाना
१५ वर्षीय साई कृष्णा ने इलेक्ट्रिक शॉक से अपनी माँ की जान बचायी। अगापुरा में जब उसकी माँ फर्श साफ़ कर रही थी तब अचानक उनका हाथ एक इलेक्ट्रिक वायर को छु गया। साई कृष्णा ने बड़ी हिम्मत से सबसे पहले मेन स्विच बंद किया और अपनी माँ की जान बचाई। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
१६. दिशांत मेहंदीरट्टा, हरयाणा
४ अप्रैल २०१५ को दिशांत मेहंदीरट्टा घर पर अपनी माँ अर्चना और छोटे भाई के साथ था। उसके पिता काम से बाहर गये थे तभी एक अनजान व्यक्ति उनके घर आया और पिता के बारे में पूछने लगा। माँ ने अनजान आदमी को घर के अंदर बुलाया और अपने पति को फोन किया। दिशांत के पिता उस आदमी को नहीं पहचान पा रहे थे इसलिये उस आदमी को बाद मे आने के लिये कहा। उस आदमी ने बाथरूम इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी। जब अर्चना उसे बाथरूम दिखाने लगी तब उस आदमी ने जेब से छुरा निकाला और अर्चना के गले पर रखा। उसने बच्चो को धमकी दी और कहा की नगद और कीमती चीजे बाहर निकाले। दिशांत ने दिमाग में एक प्लान बनाया और तुरंत उस आदमी के पैर पड़ने लगा। थोडी ही देर में वो आदमी के हाथो से छुरा छिनकर भाग गया। घरवालो ने उस आदमी को पकड़कर पुलिस के हवाले किया। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
१७. जोएना चक्रबोर्ती, छत्तीसगढ़
जोएना ने जब देखा कि एक चोर उसके पिता का मोबाइल चुराकर भाग रहा था तब उसने चोर का पीछा किया। उसे पकड़कर मोबाइल वापस लिया और पुलिस के हवाले किया।
उसने बताया–
“लोग चिल्ला रहे थे की चोर के हाथ में छुरा है, फिर भी मैंने दौड़ कर उसके पैर पकड़कर उसे गिराया और उसे पकड़ा।”
१८. निलेश भील, महाराष्ट्र
निलेश भील कोथली, महाराष्ट्र में रहता है। उसने एक डूबते हुये बच्चे की जान बचायी इसलिये उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया गया।
१९. बिधोवन, केरला
१४ वर्षीय बिधोवन ने इलेक्ट्रिक शॉक से एक बच्चे की जान बचायी। उसे जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार से समान्नित किया गया।
२०. निथिन फिलिप मैथूव्, केरला
१३ वर्षीय निथीन के पड़ोसियों के घर पर सिलिंडर फटने से आग लगी थी। निथीन ने अपने साहस से सभी पड़ोसियों की जान बचायी।
२१. भीमसेन, उत्तर प्रदेश
१६ नवम्बर को शरयु नदी में एक बोट पलटी। १२ साल का भीमसेन उस बोट पर सवार था। उसने १४ लोगो को डूबने से बचाया।
२२. एंजेलिका त्य्न्सोंग, मेघालय
री भोई जिल्हे की सात वर्षीय एंजेलिका त्य्न्सोंग ने १, फेब्रुवारी २०१५ को अपने घर पर लगी आग में ७ महीने के भाई की जान बचायी। घटना के दिन उसके माता-पिता घर पर नहीं थे। एंजेलिका कपडे धो रही थी और छोटा भाई अंदर सो रहा था।
२३. आनंदु दिलीप, केरला
१४ साल के आनंदु दिलीप अपने दोस्तों के साथ ट्यूशन जा रहा था। पूल क्रॉस करते वक्त उसका एक दोस्त १० फिट कैनल में गिर गया। आनंदु ने तुरंत पानी में छलांग लगाकर अपने दोस्त को बचाया।
२४. मौरिस येंगखोम, मणिपुर
मौरिस अपने दोस्त के साथ टेरेस पर खेल रहा था। अचानक उसके दोस्त को इलेक्ट्रिक शॉक लगा। मौरिस ने बड़े शौर्य से अपने दोस्त की जान बचायी। १४ साल के मौरिस ने लकड़ी के चेयर से दोस्त को जोर जोर से मारा और उसे बचाया।
२५. वैभव रमेश घांगरे, महाराष्ट्र
वर्धा, महाराष्ट्र के वैभव रमेश घांगरे को जनरल राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया गया। वैभव ने ६ साल के एक बच्चे को डूबने से बचाया।
हमें गर्व है भारत माँ के इन सभी बच्चो पर और यकीन है कि ये आगे चलकर भी देश का नाम उंचा करेंगे!