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“मैं काशीबाई बाजीराव पेशवा बोल रही हूँ !!”

 

इतिहास में जब भी मराठा वीर पेशवा बाजीराव का ज़िक्र होता है तो उनके जीवन के दुसरे महत्वपूर्ण पहलुओ को छोड़, हमेशा उनके और मस्तानी के प्रेम सम्बन्ध की ही चर्चा होती रही है। आईये जानते है कि यदि बाजीराव की पत्नी काशीबाई आज यहाँ होती तो वे इस बारे में क्या कहती।

बीते कई सालों से जब भी बाजीराव का जिक्र होता है, तब मस्तानी का ही नाम सामने आता है। मैं तो जैसे इतिहास के पन्नो में कहीं गुम हो गयी हूँ। शायद बहुत कम लोग ये जानते है कि मैं बाजीराव की पत्नी हूँ। पर इन दिनों कुछ कारणवश मुझमे लोगो की दिलचस्पी बढ़ रही है। सब लोग मेरे बारे में जानने के लिये उत्सुक है।

मेरा जन्म पुणे के चासकमान गाँव में चासकर परिवार में हुआ था। घरवालो ने मेरा नाम काशीबाई रखा पर प्यार से लोग मुझे लाडोबाई के नाम से पुकारते थे। मेरा परिवार अमीर होने के साथ साथ मराठी संस्कारो से परिपूर्ण था, इसलिये मुझे शिक्षा और पढाई में दिलचस्पी थी।

सन १७११ में मेरी शादी पुणे के बाजीराव पेशवा के साथ हुयी।

पेशवा बाजीराव

ये शादी चासकर परिवार के लिये एक बड़ा त्यौहार था, जिसे उन्होंने बडी धूमधाम से मनाया। मेरे पिताजी ने शादी के लिये २५००० रुपये खर्च किये। सन १७२० में मेरे ससुर बालाजी विश्वनाथ पेशवा की मृत्यु हुयी तब छत्रपति शाहूजी राजे भोसले ने बाजीराव को मराठा साम्राज्य का प्रधान बनाया।

अपने पुरे शासन के दौरान बाजीराव ने ४१ लड़ाईयाँ जीती थी, इसलिये उन्हें पेशवा घराने के सबसे शक्तिशाली योद्धा के ताज से नवाजा गया।

इन ऐतिहासिक पलों की मैं गवाह रही हूँ। शादी के कुछ सालो बाद हमारे पुत्र नानासाहेब और रघुनाथराव का जन्म हुआ। सन् १७३० में शनिवारवाडा की नीव रखी गयी और अथक परिश्रमो के दो साल बाद सन् १७३२ में ये ऐतिहासिक महल बनकर तैयार हुआ। उस दिन के बाद ये महल ही मेरा घर बना और इस वास्तु से मेरा एक अटूट रिश्ता जुड़ गया।

शनिवार वाडा

२८ अप्रैल १७४० में नर्मदा नदी के किनारे बसे रावेरखेडी गाँव में बाजीराव पेशवा का देहांत हुआ।

उनके पश्चात् नानासाहेब मराठा के प्रधान बने। मराठा साम्राज्य की उन्नति को मैंने बहुत करीब से देखा है। और कुछ सालो बाद मैंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

मस्तानी

आज जब बाजीराव पेशवा का नाम उनके शौर्य, साहस और उपलब्धियो को नजरअंदाज करके सिर्फ कुछ किस्सों से जोड़ा जाता है, जिनसे उनकी प्रतिमा मलिन होती है, तो मुझे बड़ा दुःख होता है।

मैं काशीबाई बाजीराव पेशवा आप सभी से निवेदन करती हूँ कि इतिहास को सही ढंग से पेश करे और मराठा साम्राज्य की बुनियाद बुलंद करके भारत वर्ष में एक अच्छी मिसाल कायम करे।”

(सूत्र: विकिपीडिया और गूगल)
इसे विडम्बना ही कह लीजिये कि जब हमने बाजीराव और काशीबाई के सम्बन्ध में खोज की तो सिर्फ मस्तानी की ही तस्वीरे सामने आई। काशीबाई की तस्वीर उनके इतिहास की तरह ही नदारद मिली!
Disclaimer: इस लेख में व्यक्त किये गए विचार संपूर्णतः लेखक की कल्पना पर आधारित है।

 

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