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मिलिए, ट्विटर के ज़रिये यात्रियों तक मदद पहुँचाने वाली रेल मंत्रालय की टीम से !

ट्विटर के जरिए रेल यात्रियों की मदद की खबरे आजकल सुर्खियां बन रही हैं। चाहे किसी युवती के साथ छेड़छाड़ का मामला हो या किसी बीमार बच्चे को डॉक्टर की आवश्यकता पड़ गयी हो। रेलवे के ट्विटर हैंडल @RailMinIndia पर एक ट्वीट करने की देर है, इस से जुड़े अधिकारी हर शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, उस समय तक उस शिकायत पर नज़र रखते हैं, जब तक शिकायतकर्ता तक मदद न पहुँच जाए।

क्या कभी आपने सोचा है कि यह कैसे संभव हो पाता है और इतने दिनों से इसे सफलता पूर्वक संचालित करने की क्या प्रक्रिया है, और इसके लिए कौनसे अधिकारी इतनी तत्परता से काम कर रहे है?

यह सब मुमकिन हो पाता है, रेल मंत्रालय की चौथी मंजिल पर कमरा नंबर-454 से। यह भारतीय रेलवे का ट्विटर कंट्रोल रूम है। आइये परिचय करें यहाँ बैठने वाले मुख्य अधिकारियो से।

Source: Flickr

मदद के लिए एक भी ट्वीट आने पर यह टीम एक्टिव हो जाती है। सुरक्षा सम्बंधित शिकायत को 182 पर संपर्क करने का सुझाव दिया जाता है। जीपीएस से कनेक्ट होने के कारण ट्रेन की लोकेशन पता कर लिया जाता है और उसी के लिहाज से तुरंत मदद दिलवाई जाती है। अन्य शिकायतों के लिए 138 पर संपर्क करवाया जाता है और कोशिश की जाती है कि अगले स्टेशन पर ही मदद पहुंचाई जा सके।

अनंत स्वरूप के मुताबिक, एक दिन में करीब 5-6 हजार ट्वीट आते हैं। इनमें से 30 फीसदी रि-ट्वीट होते हैं। जबकि 20-30 फीसदी कमेंट आते हैं। टीम की निगरानी खुद रेल मंत्री करते हैं। रोज रात में उस दिन की रिपोर्ट रेल मत्री द्वारा ली जाती है। साथ ही, मंत्रालय में आने के बाद ट्विटर पर सुबह आए गंभीर मामलों की जानकारी और उस पर लिए गए एक्शन पर चर्चा करते हैं। रेल मंत्री, सुरेश प्रभु खुद अपने ट्विटर हैंडल @sureshpprabhu और रेलवे के ट्विटर हैंडल @RailMinIndia पर नजर रखते हैं।

दैनिक भास्कर  में छपी एक खबर के अनुसार, रेलवे के एडीजी पीआर अनिल सक्सेना के मुताबिक, इस टीम को निजी कंपनियों के साथ-साथ पीएमओ और विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया विंग से ट्रेनिंग दिलाई गई है। कंट्रोल रूम तीन शिफ्ट में काम करता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक, 2  से रात 10 बजे तक और 10 से सुबह 6 बजे तक। रात 10 से सुबह 6 बजे तक का जिम्मा अनंत स्वरुप  और अन्य रेल मंत्री के स्टॉफ के पास रहता है।

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