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सफलनामा! चूड़ियां बेचने से लेकर सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर तक, पढ़ें कमल कुंभार की कहानी

Safalnama Success Story of Kamal Kumbhar
सफलनामा! चूड़ियां बेचने से लेकर Serial Entrepreneur तक, कहानी Kamal Kumbhar की। Episode 3

महाराष्ट्र की रहनेवाली कमल कुंभार ने ज़िंदगी में ढेरों परेशानियां देखीं और हर परेशानी का डटकर मुकाबला भी किया। कमल को गरीबी के कारण न तो बचपन में शिक्षा मिली और न ही शादी के बाद प्यार। लेकिन आज वह सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर कही जाती हैं और छह अलग-अलग बिज़नेस की मालकिन हैं व एक रोल मॉडल भी।

सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर कही जाने वाली कमल कुंभार, न सिर्फ खुद अपने पैरों पर खड़ी हुईं, बल्कि गरीबी, भुखमरी और सूखे से परेशान किसानों के आत्महत्या की ओर बढ़ते कदमों को नई दिशा भी दी।

करीब 42 साल पहले, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में एक दिहाड़ी मजदूर के घर कमल कुंभार का जन्म हुआ। पैसों की तंगी और सूखाग्रस्त इलाका, ऐसे में पढ़ना-लिखना तो संभव था नहीं, थोड़ी बड़ी हुईं तो शादी कर दी गई, लेकिन यहां भी कोई खास सुख मिला नहीं। 

500 रुपये निवेश कर शुरू किया चूड़ियां बेचने का काम

नाकाम शादी की तोहमत लिए बेटी घर लौटी थी, तो पूरा समाज जज बन गया, ताने और उलाहनों से तंग कमल के पास अब अपने पैरों पर खडे़ होने के सिवा और कोई चारा न था। लेकिन सवाल था कैसे? उनके पास न तो डिग्री थी, न ही पैसे। उस पर से लगातार पड़ते सूखे के कारण मजदूरी मिलना भी असंभव था।

तब महज़ 500 रुपये Invest कर, कमल ने चूड़ियां बेचनी शुरू कीं। बस यहीं से शुरू हुआ कमल के सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर बनने का सफर। क्योंकि कमल चूड़ियां बेचती थीं, तो रोज़ ढेरों औरतों से उनकी मुलाकात होने लगी और धीरे-धीरे उन्हें यह बात समझ आई कि ज्यादातर औरतें अपनी ज़रूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। ऐसे में वह सोचने लगीं कि इन महिलाओं को आर्थिक आज़ादी कैसे दी जाए?

चूड़ियां बेचकर बचाए गए पैसों में कुछ और उधार जोड़कर 1998 में उन्होंने 2,000 रुपये से कमल पॉल्ट्री ऐंड एकता प्रोड्यूसर्स कंपनी की शुरुआत की और इससे कई महिलाओं को जोड़ा। धीरे-धीरे कमाई बढ़ती गई। एक साल बाद, उन्होंने महिलाओं के लिए एक स्वयं सहायता समूह शुरू किया। साथ ही कमल ने एक आशा कार्यकर्ता की भी ट्रेनिंग ली, ताकि वह गांव की गरीब महिलाओं और बच्चों में जागरूकता पैदा कर सकें।

सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर सूखे से परेशान किसानों को दिखाई नई राह

Kamal Kumbhar in FICCI Awards

इलाके में जब रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी योजना आई, तो कमल ने ‘ऊर्जा विशेषज्ञ’ के तौर पर ट्रेनिंग ली और उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि 3,000 घरों में सोलर लैंप लग गए। साल 2012 से 2015 के बीच जिले में भीषण सूखा पड़ा। तब कमल ने कॉन्ट्रैक्ट पर ज़मीन लेकर बकरी पालन शुरू किया।

पॉल्ट्री फार्म से पहले ही अच्छी कमाई होने लगी थी। ऐसे में कमल की कामयाबी से प्रेरित होकर इलाके के कई लोगों ने यह काम शुरू किया और सिर्फ खेती-किसानी पर निर्भर लोगों को कमाई का नया ज़रिया मिल गया। साल 2017 में UNDP, नीति आयोग ने सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर कमल कुंभार से कॉन्टैक्ट किया और फिक्की (FICCI) ने भी उन्हें सम्मानित किया।

आज वह अपने संगठनों और कारोबारी संस्थाओं के जरिये लगभग 5,000 महिलाओं से जुड़कर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही हैं। उन्हें इसी साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

कमल इस बात की मिसाल हैं कि देश का निर्माण या उसकी सेवा करने के लिए किसी ऊंचे ओहदे की नहीं, बस कुछ बड़ा करने के जज़्बे की ज़रूरत होती है!

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