हरियाणा के दामला गाँव के रहने वाले धर्मबीर कंबोज कभी दिल्ली में रिक्शा चलाते थे और आज फूड प्रॉसेसिंग के ज़रिए करोड़ों का बिज़नेस चला रहे हैं। बचपन से ही धर्मबीर ने गरीबी को बहुत करीब से जिया था और बहुत कम उम्र से ज़िम्मेदारियों का भार अपने कंधों पर ले लिया था। वह बचपन में स्कूल जाते तो थे पढ़ने, लेकिन आर्थिक तंगी और बड़े परिवार की ज़िम्मेदारियों के कारण वह पैसे कमाने का कोई न कोई जुगाड़ निकाल ही लेते थे।
कभी आटा पीसने का काम किया, तो कभी सरसों का तेल बेचने का। उम्र के साथ-साथ जिम्मेदारियों का एहसास बढ़ता गया और सिर्फ़ 70 रुपये लेकर, वह दिल्ली चले आए। वहां स्टेशन पर उन्होंने कुछ लोगों से बताया कि उन्हें काम चाहिए, तो उन्हें बताया गया कि यहां रिक्शा किराए पर लेकर चला सकते हैं। धर्मबीर स्टेशन पर लोगों ने जिससे संपर्क करने के लिए कहा था, वहां गए और रिक्शा किराए पर लेकर चलाने लगे।
कड़ाके की ठंड थी, न रहने का ठिकाना था और न ही खाने का। वह दिनभर रिक्शा चलाते और सड़क किनारे सो कर रात गुज़ारते थे। धीरे-धीरे जिंदगी आगे बढ़ ही रही थी कि तभी काम के दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया। उस हादसे के बाद, धर्मबीर ने सोचा कि अगर मेरी जान चली जाती, तो शायद मेरे घरवालों को पता भी नहीं चलता या फिर बहुते देर से उन तक यह ख़बर पहुंचती और बस धर्मबीर ने गाँव वापस आकर खेती करने का फैसला किया।
कैसे आया फूड प्रॉसेसिंग मशीन बनाने का ख्याल?
धर्मबीर ने दिल्ली में काम करते हुए, यहां की गलियों से बहुत कुछ सीख लिया था। उन्होंने देखा था कि वहां बाज़ारों में क्या-क्या चीज़ों मिलती हैं, लोग कैसे काम करते हैं? इसीलिए वह जब वापस लौटे, तो उन्होंने पारम्परिक अनाज के बजाय सब्ज़ियाँ उगाना शुरू किया।
शुरुआत में तो कई तरह की परेशानियां आईं, लेकिन फिर खेती में मुनाफ़ा होने लगा। एक बार किसानों के एक समूह के साथ उन्हें राजस्थान के पुष्कर जाने का मौका मिला। वहाँ उन्होंने देखा कि सेल्फ-हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाएँ खुद गुलाबजल और आंवले के लड्डू बनाती हैं। तब उन्हें समझ आया कि खेती में और फायदा चाहिए, तो प्रॉसेसिंग करके प्रोडक्ट्स तैयार करने होंगे।
यही वह मौका था, जब धर्मबीर के मन में पहली बार अपनी फूड प्रॉसेसिंग मशीन का ख्याल आया। गुलाबजल बनाने के लिए उन्होंने एक मशीन का स्कैच तैयार किया और पहुँच गए एक लोकल मैकेनिक के पास। 9 महीनों बाद बनकर तैयार हुई उनकी मशीन, जिसे नाम दिया गया ‘मल्टी-प्रोसेसिंग मशीन’, क्योंकि इस मशीन में न सिर्फ़ गुलाब बल्कि एलोवेरा, आंवला, तुलसी, आम, अमरुद जैसी कई चीज़ों को प्रॉसेस कर सकते हैं।
विदेशों में भी जा रहीं उनकी मशीनें
फूड प्रॉसेसिंग मशीन बनाने के बाद, धर्मबीर अपने खेत में उगने वाले फलों और सब्ज़ियों को सीधा प्रॉसेस करके जेल, जूस, कैंडी, जैम जैसे प्रोडक्ट्स बनाकर बेचने लगे। इसके बाद, उन्होंने FSSAI सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया और मशीन को पेटेंट कराया। धीरे-धीरे उन्हें मशीन के लिए पूरे देश से ऑर्डर्स मिलने लगे।
तब धर्मबीर ने अपनी मशीन को और थोड़ा मॉडिफाई किया और अलग-अलग साइज़ के पाँच मॉडल बनाए, ताकि हर कोई इस मशीन को खरीद सके। आज उनकी मशीन, दक्षिण अफ्रीका, केन्या और नाईज़ीरिया जैसे देशों तक भी पहुँच चुकी है। साथ ही वह अपने प्रोडक्ट्स को अपने बेटे के नाम से शुरू किए गए ‘प्रिंस ब्रांड’ के तहत देशभर के बाज़ारों में भी पहुंचा रहे हैं।
आज करोड़ों की कंपनी चला रहे धर्मबीर के साथ 20 लोग काम कर रहे हैं और अब तो उन्होंने एक लर्निंग सेंटर भी शुरू किया है, ताकि लोग यहां आकर चीज़ें सीखें और खुद अपना काम शुरू कर सकें।
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