Site icon The Better India – Hindi

सफलनामा! बचपन की फज़ीहतों ने दिखाई बिज़नेस की राह, खड़ा किया करोड़ों का बिज़नेस

Vaibhav Tidke, Founder of S4S Technologies

महाराष्ट्र के बीड के एक साधारण से किसान परिवार से आने वाले वैभव तिड़के ने एक सोलर ड्रायर बनाकर करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर दिया। दरअसल, उन्होंने बचपन से अपने पिता और गांव के दूसरे किसानों को फसल बेचने और उसकी सही कीमत हासिल करने के लिए संघर्ष करते देखा। उन्होंने देखा कि किसान, अपनी उगाई फल और सब्ज़ियों को बाज़ार में बेचने के लिए ले जाते हैं।

लेकिन अगर वहां पूरे दिन में उनकी उपज नहीं बिकती, तो या तो शाम तक उन्हें औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता या फिर उनकी उपज सड़कर बर्बाद हो जाती, क्योंकि उनके पास स्टोरेज की सुविधा नहीं थी। यह समस्या सिर्फ बीड की नहीं, बल्कि देशभर के किसानों की है।

वैभव के दिमाग में यह बात बचपन से ही बैठ गई थी। वह बचपन से पढ़ाई में काफी अच्छे थे, उन्होंने 12वीं के बाद केमिकल इंजीनियरिंग करने का फैसला किया और कॉलेज में पढ़ते हुए ही एक टीम बनाई, जो क्लाइमेट फ्रेंड्ली टेक्नॉलॉजीज़ पर काम करती थी, इसे उन्होंने नाम दिया Science for society.

कॉलेज में रख दी थी सोलर ड्रायर बिज़नेस की नींव

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वैभव ने नौकरी करने के बजाय कुछ ऐसा काम करने का फैसला किया, जिससे किसानों की परेशानियां दूर हो सकें। वैभव ने अगले 5 साल किसानों की समस्याओं को और करीब से समझा और इसका वैज्ञानिक हल निकाला।

उन्होंने एक सोलर ड्रायर बनाया, जिसकी मदद से बिना केमिकल या प्रिज़र्वेटिव्स के फलों और सब्जियों को सुखाकर स्टोर किया जा सके। इस पूरे काम के दौरान उन्हें जब भी पैसों की कमी हुई, तो वैभव और उनकी टीम ने कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट्स पर काम किया, यहां तक कि ट्यूशंस भी पढ़ाए ताकि, काम न बंद हो।

Solar Dryer

साल 2013 तक उन्हें समझ आ गया कि अगर बड़े स्तर पर प्रभाव डालना है, तो एक प्रॉपर कंपनी होनी चाहिए। वैभव के पास मशीन थी और टीम तो पहले से थी ही, बस…. उन्होंने शुरू कर दी S4S कंपनी, जो आज पूरी तरह से Food processing के लिए काम कर रही है।

9 बिलियन लोगों को भूखमरी से बचाना है लक्ष्य

वैभव ने देश के अलग-अलग शहरों में सोलर ड्रायर्स इंस्टॉल किए हैं, जहां 2000 महिलाएं काम करती हैं। वह देशभर के किसानों से उनकी उपज सही दाम पर लेते हैं और इन ड्रायर्स के ज़रिए उन्हें सुखाकर मार्केट में बेचते हैं। साथ ही फ्रांस, जमैका, वियतनाम, श्रीलंका और बांग्लादेश में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

आज हमारे देश के साथ-साथ दुनियाभर में न जाने कितने ही लोग भूखमरी का शिकार हैं, वहीं किसानों को मजबूरी में अपनी उपज को कचरे में फेंकना पड़ता है। वैभव दुनियाभर में भुखमरी का सस्टेनेबल हल ढूंढ रहे हैं, उनका सपना है कि साल 2050 तक 9 बिलियन लोगों को भूखमरी से बचाएं।

वैभव के काम को देखते हुए, उन्हें United Nations Environment Leadership Award के साथ-साथ, कई नेशनल और इंटरनेशल अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं। वैभव ने अपनी मेहनत से न सिर्फ एक सस्टेनेबल बिज़नेस खड़ा किया है, बल्कि किसानों की एक बहुत बड़ी समस्या का इको फ्रेंडली समाधान भी दिया है।

यह भी देखेंः सफलनामा! 70 रुपये लेकर दिल्ली आए, रिक्शा चलाया और शुरू किया बिज़नेस, पहुंचा विदेशों तक

Exit mobile version