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डॉक्टरो का कहना था कि वह सिर्फ सौ घंटे जी सकेगी! आज 16 साल की मुस्कान सबके लिए एक मिसाल है!

    “खुदी को कर बुलंद इतना कि, हर तकदीर से पहले , खुदा  बन्दे से खुद पूछे ,

                                 “बता तेरी रजा क्या है?” !!!”

मोहम्मद इकबाल का ये शेर सुनने में तो नामुमकिन सा लगता है पर इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है 16 साल की एक आम सी दिखनेवाली लड़की ने, जिसकी तकदीर में लिखा था कि वो सिर्फ 100 घंटे तक ही जी सकेगी!

ब मुस्कान का जन्म हुआ तो उसके दिल में छेद था, उसके फेफड़े ठीक से विकसित नहीं थे, शरीर के कुछ हिस्सों में लखवा (पार्शियल पैरालिसिस) था, तथा और भी दूसरी दिककते थी। डॉक्टर्स का कहना था कि मुस्कान 100 घंटे से ज़्यादा नहीं जी पायेगी। पर आज मुस्कान 16  साल की है और हज़ारो लोगो के जीने की प्रेरणा है। मुस्कान ने दो किताबे लिखी है, एक प्रेरक प्रवक्ता (मोटिवेशनल स्पीकर) है, रेडियो पर एक शो करती है और इससे भी कई ज़्यादा और भी बहुत कुछ कर रही है।

क्या मैं बहुत ज़्यादा और बहुत तेज़ बोल रही हूँ?” 16 साल की मुस्कान ने एक लंबे इंटरव्यू के दौरान कई बार ये सवाल पूछा। वो बिलकुल किसी भी और स्कूल जाने वाली अल्हड बच्ची की तरह अपने दोस्तों, परिवारवालो और अपने सपनो के बारे में बता रही थी।

पर मुस्कान किसी भी और साधारण बच्चे की तरह नहीं है। मुस्कान को पैदाइश से ही हेमिप्लेजिया है। इस बिमारी से शरीर का एक तरफ का हिस्सा लखवें के कारण पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है।

डॉक्टर्स का कहना था की मुस्कान सिर्फ १०० घंटे तक ही जीवित रह सकती है। पर वही मुस्कान अब 16 साल की है और कमाल के काम कर रही है।

सिर्फ लखवा ही नहीं, उसके दिल में छेद भी था और फेफड़े भी कमज़ोर थे। मुस्कान की माँ, जामिनी जी भावुक होकर कहती है,”डॉक्टर्स का कहना था कि मुस्कान १०० घंटे से ज़्यादा नहीं जी सकती। पर वो ज़िंदा रही और  इससे ज़्यादा ईश्वर से मैं और कुछ मांग भी नहीं सकती थी। अब वो 16 साल की है और उसके जन्म से लेकर अब तक का हर दिन हमारे लिए ख़ास रहा है। मैंने अपना पूरा जीवन मुस्कान को समर्पित कर दिया है। वो एक बहुत अच्छी बेटी है और उसे पाकर मैंने सब कुछ पा लिया।”

मुस्कान का जन्म अहमदाबाद में हुआ था पर उसे जल्द ही न्यूज़ीलैंड ले जाया गया क्योंकि जिस किस्म की बिमारी उसे थी उसका इलाज भारत में नहीं हो सकता था।

मुस्कान को अपने छोटे भाई से बहुत लगाव है और वही उसका पहला और सबसे अच्छा दोस्त है।

विदेश में नए स्कूल में, नए माहौल में घुलने मिलने में मुस्कान को बहुत मुश्किल आई। मुस्कान अपने बीते दिनों को याद करते हुए बताती है –

“स्कूल में बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते थे। कोई मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहता था। मैं हमेशा अकेली ही रहती। और घर आकर खूब रोती थी। मैं कई बार भगवान् से पूछती कि उन्होंने मुझे ऐसा क्यों बनाया है? मैं भी दूसरे बच्चों की तरह एक सामान्य जीवन जीना चाहती थी।”

वो अपना समय किताबे पढ़कर गुज़ारने लगी। जब वो नौ साल की थी तब वह तैरना सीखना चाहती थी पर ऑकलैंड के स्थानीय स्विमिंग पूल ने उसकी विकलांगता के कारण उसे इस बात की इजाज़त नहीं दी।

उसे ये भी बताया गया कि वह कभी तैरना नहीं सीख सकती। लेकिन आज मुस्कान उसी स्विमिंग पूल में उच्च स्तर की तैराक है।

मुस्कान का बचपन ज़्यादातर अस्पतालों के चक्कर काटते हुए गुज़रा पर इससे उसके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा।

क्योंकि मुस्कान के ज़्यादा दोस्त नहीं बन पाये इसलिए उसका लगाव अपने परिवार के प्रति और बढ़ता गया, खासकर उसके छोटे भाई के प्रति।.

“मेरे छोटे भाई के होने से पहले मैं बहुत अकेला महसूस करती थी। मेरा कोई दोस्त नहीं था। पर उसके जन्म के बाद से उसने मुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। वो इस बात का ध्यान रखता है, कि मैं हमेशा खुश रहू। वो मेरा बहुत ज़्यादा ध्यान रखता है और मुझसे बहुत प्यार करता है। वही मेरा पहला और सबसे अच्छा दोस्त है।”

-अपने भाई के लिए अपने प्यार को मुस्कान ने इन शब्दों में बयान किया

एक बार जब मुस्कान रोज़ की तरह अपने फिजियोथेरेपी सेंटर पहुंची तो उसने गौर किया कि सेंटर को एक एक्सरसाइज बाइक की ज़रूरत थी पर उसे खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

ये देखकर मुस्कान ने फैसला किया कि वो इस बाइक को खरीदने के लिए एक किताब लिखकर पैसे इकठ्ठे करेगी। और हैरानी की बात यह है कि यह किताब उसने एक ही दिन में लिख डाली।

मुस्कान को अलग अलग मंचो पर अपनी बेहद प्रेरणादायी जीवन के बारे में बताने के लिए बुलाया जाता है

भगवान् श्री गणेश पर आधारित मुस्कान की पहली किताब तभी छप गयी थी जब वो सिर्फ नौ साल की थी। यह किताब बहुत मशहूर हुई तथा २०१० के मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन के जर्नल में शामिल की गयी। इस जर्नल को न्यूज़ीलैंड के सभी स्कूलो में बांटा गया।
इसके बाद मुस्कान ने बिलकुल पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसने स्थानीय प्रकाशनों के लिए कई लेख लिखे। और यहाँ तक की अपनी जीवनी भी लिखी।

‘आई ड्रीम टू इंस्पायर अदर किड्स वित डिसेबिलिटी ‘ नामक उनकी ये जीवनी ऑकलैंड के वेस्टलेक गर्ल्स स्कूल के नौंवी कक्षा के छात्रो को पढ़ाई जाती है।
इस किताब के अब तक 1000 प्रतिया छप चुकी है जिनमे से 500 प्रतिया खरीदी जा चुकी है। इसकी बिक्री से जो 2500 NZD उन्हें मिले, वो उन्होंने ऑकलैंड के स्टारशिप हॉस्पिटल को दान कर दिए। जब मुस्कान 13 साल की थी तब इसी अस्पताल में उनकी पहली सर्जरी हुई थी।

एक मशहूर लेखक होने के अलावा मुस्कान न्यूज़ीलैंड के हिंदी रेडियो चैनल पर अपना एक शो भी करती है।

मुस्कान के इस शो के हज़ारो चाहनेवाले है।

इस चैनल पर शो करनेवाली वो सबसे कम उम्र की कलाकार है और ‘मुस्कान एंड यू एव्री वीक‘ नामक इस शो को सुनने का करीबन ५९००० लोग हर हफ्ते  बेसब्री से इंतज़ार करते है।

मुस्कान, रेडियो के इस शो के बारे में बताती है –
मैं काफी अलग अलग विषयो पे बात करती हूँ। जैसे की बेवजह किसी को चिढ़ाना, रोड सेफ्टी, स्वाभिमान, शिक्षा, संगीत, फिल्में और भी बहुत कुछ।”

सिर्फ नौ साल की उम्र में मुस्कान ने अपनी पहली किताब लिखी।

मुस्कान – एक ऐसी लड़की जिसने कभी सिर्फ साँसे लेते रहने के लिए भी संघर्ष किया, अब हज़ारो बच्चों और बड़ो के लिए भी एक प्रेरणा है।

मुस्कान एक प्रेरक प्रवक्ता भी है और सितम्बर महीने के ‘फ्यूचर एंड ज़ील टॉल पॉपी’ फेस्टिवल में बोलने वाली है। यह फेस्टिवल समाज को प्रेरणा देने वाले युवाओ को दुनिया के सामने लाता है। अपनी अच्छी और प्रेरक सोच से मुस्कान ने  न सिर्फ अपनी ज़िन्दगी बदली है, बल्कि उसने अपने आस पास के कई लोगो का भी जीवन बेहतर कर दिखाया।

“मैं कभी ना नहीं कहती। मैं चुनौतियों का सामना करती हूँ और उनपर जीत हासिल करके रहती हूँ।

TEDx पर आप मुस्कान की इसी तरह की और भी बेहद प्रेरक बाते सुन सकते है।

मुस्कान के बारे में जानने के लिए आप उनकी माँ जमीनी से jaimini_devta@yahoo.com इस ईमेल आईडी पर संपर्क कर सकते है।

मूल लेख – श्रेया पारीक

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