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महाराष्ट्र : अब तक 55 गाँवों में सौ से ज्यादा निःशुल्क कैंप लगाकर, हजारों लोगों को कैंसर से बचा चुके हैं डॉ. स्वप्निल माने!

“माँ मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूँगा और मुफ़्त में इलाज करके गरीबो की सेवा करूँगा” – अपने एक पड़ोसी को कैंसर से मरते हुये देखकर आठ साल के स्वप्निल माने ने अपनी माँ से यह वादा किया। बीस साल बाद स्वप्निल ने अपने पत्नी के साथ मिलकर महाराष्ट्र के 52 गाँवो में जाकर हजारो कैंसर ग्रस्त लोगो की मदद की है और आज तक 550 मरीज़ों का मुफ़्त में इलाज कर चुके है।

 बीस साल पहले आठ साल का बच्चा अपनी माँ से कह रहा था

“आई (माँ), मैं गोडसे काका की मदद करना चाहता हूँ

बेटा, पर हम उनकी मदद कैसे कर सकते है? बाबा के पास इतने पैसे नहीं है , जिनसे हम गोडसे काका का इलाज कर सके।”

“ आई, पर डॉक्टर उनका इलाज करके उन्हें ठीक क्यूँ नहीं कर देते ?”

“स्वप्निल, डॉक्टर सिर्फ उनका इलाज करते है, जिनके पास पैसे  होते है।

 माँ के कहे हुये शब्दो ने स्वप्निल को उनकी जिंदगी का मक्सद दे दिया।

डॉ माने मेडीकल फाउंडेशन ट्रस्ट और रिसर्च सेंटर, राहुरी, अहमदनगर, महाराष्ट्र

गोडसे काका स्वप्निल के पड़ोसी हुआ करते थे। वह मजदूरी का काम करते थे, जिससे दिन में वे 50-60 रुपये ही कमा पाते थे। पर अब बिमारी के कारण, वह इतना भी नहीं कमा पा रहे थे। स्वप्निल ने अपनी छोटी सी उम्र में ही गोडसे काका को हर रोज़ मरते हुये देखा था, गोडसे काकू को हर पल रोते हुए देखा था।

आई, बड़ा होकर मैं डॉक्टर बनूँगा और मुफ्त में इलाज करके गरीबो की सेवा करूँगा” –स्वप्निल ने माँ से वादा किया

एक दिन स्वप्निल को पता चला कि सिर्फ 50 हज़ार रूपए न होने के कारण गोडसे काका लंग-कैंसर का इलाज नहीं कर सके और आखिर इस जानलेवा बिमारी ने एक दिन उनकी जान ले ही ली। इस घटना से छोटे से स्वप्निल के मन पर बहुत गहरा असर पड़ा और उसने निश्चय किया कि वह बड़ा होकर कैंसर का डॉक्टर बनकर गरीब रोगियों का मुफ़्त में इलाज करेंगा।

Indian Council of Medical Research (ICMR) द्वारा National Cancer Registry Programme के तहत यह पता चला है, कि 2012 और 2014 में कैंसर पीड़ितो के मृत्यु दर में 6 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। 2014 में कैंसर से पाँच लाख लोगों की जान गयी है। हर साल सर्वाइकल कैंसर से 50 हज़ार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। और हर रोज 1300 लोग इस भयंकर रोग से पीड़ित होकर मरते है।

1 मई, 2011 से डॉ स्वप्निल माने (MBBS, MD, DGO, FCPS, MD—Oncosurgeon) ने कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज कम खर्च में करना शुरू किया। इतना ही नहीं गरीब लोगो का इलाज वे मुफ़्त में करते है। राहुरी गाँव, जिल्हा अहमदनगर, महाराष्ट्र में उन्होंने डॉ. माने मेडिकल फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर नामक स्वयं सेवी संस्था की स्थापना की है। साइंटिफिक एंड इंडसट्रीयल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (SIRO), डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने भी इस संस्था को मान्यता दी है।

डॉ. माने ने अपने 13 डॉक्टर और 6 सहकर्मियों के साथ मिलकर, अब तक महाराष्ट्र के 52 गाँवो में मुफ़्त कैंसर चेक-अप और दवाईयां बांटने के कैम्प का आयोजन किया है।

फाउंडेशन ने म्हैसगाँव और तहराबाद जैसे छोटे गाँव दत्तक लिये है और उन्हें सिर्फ दो साल में सर्वाइकल कैंसर से मुक्त किया है। संस्था ने अब तक 550 मरीज़ों का मुफ़्त में इलाज किया है और सौ से ऊपर कैंसर से संबधित कार्यक्रमो का आयोजन किया है।

डॉ. माने कहते है-

“कैंसर का निवारण करना और कम खर्च में इलाज करना ही हमारा लक्ष्य है। लोगों को कैंसर से संबधित शिक्षा और ज्ञान देकर, मेडीकल सर्विस प्रदान कर, हम प्रयत्न करते है कि कैंसर का इलाज करने की बजाय हम कैंसर का पूर्व निवारण कर सके।”

घर की परिस्थिति ठीक न होने से टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल से पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. स्वप्निल उसी अस्पताल में नौकरी करने लगे। मरीज़ों का इलाज करते वक्त, वे ये भूल जाते है कि मरीज गरीब है या अमीर! एक दिन अस्पताल में उन्होंने एक मरीज़ को परेशानी में देखा। पूछने पर उन्हें पता चला कि वह मरीज़ बहुत गरीब है और कैंसर का इलाज करने के लिये उसके पास पैसे नहीं है। उसके पास अपने गाँव वापस जाने के लिये भी पैसे नहीं थे।

डॉ. माने कहते है-

“मैंने उस मरीज को कुछ पैसे दिये और एक NGO की मदद से अस्पताल का बिल भी चुकाया। इलाज पूरा होने के बाद मैंने उसे गाँव जाने के लिये भी पैसे दिये। ठीक होने के बाद वह बहुत खुश था। उस दिन मैंने ठान ली कि मैं मुंबई जैसे बड़े शहरो में न रहकर गाँव में जाकर लोगों का इलाज करूँगा।”

पैसे न होने की वजह से गाँव से आकर मुंबई में फूटपाथ पर सोनेवाले मरीज़ों को देखकर डॉ. स्वप्निल हमेशा दुखी होते थे।

डॉ. स्वप्निल को पता चला कि उनके गाँव राहुरी से 50 किमी के भीतर एक भी कैंसर का अस्पताल नहीं है, जो मरीज़ों का इलाज सस्ते में करे। उनके गाँव में डॉक्टर-मरीज़ का अनुपात 1: 5000 है (राष्ट्रीय आधार के नुसार यह 1:1700 होना चाहिये)। उस इलाके में एक भी अस्पताल नहीं था, जो सर्वाइकल कैंसर का निदान कर सके। उस गाँव के 100 में से हर एक महिला को सर्वाइकल कैंसर था।

राहुरी के लोग खेती-बाड़ी करते है। लोगों के पास खुद की ज़मीन नहीं है, इसलिए वे दूसरो के खेत में मजदूरी करते है। परिवार के सदस्य को अगर कैंसर हो, तो इन लोगों के लिए मरीज़ के इलाज के लिए पैसे जुटा पाना नामुमकिन के बराबर है।

कुछ दिन के बाद डॉ. स्वप्निल ने राहुरी में अपना क्लिनिक शुरू किया और वो आधे खर्चे में लोगो का इलाज करने लगे। इसकी वजह से क्लिनिक पर मरीजो की भीड़ उमड़ने लगी। गाँव के दुसरे डॉक्टरों को इस बात से दिक्कत होने लगी। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उनका ये सामाजिक कार्य बंद करने के लिये उनके नाम पर एक नोटिस जारी किया। पर डॉ. स्वप्निल अपने ध्येय से पीछे नहीं हटे। ऐसी परिस्थिति में उनकी पत्नी डॉ. सोनाली माने ने उनका साथ दिया और दोनों मिलकर मरीजो का इलाज कम खर्चे में करने लगे। जो डॉक्टर, डॉ. माने के खिलाफ थे वो धीरे धीरे उनकी  मदद के लिए आगे आने लगे। इस तरह डॉ. माने मेडीकल फाउंडेशन की शुरुआत हुयी।

डॉ. सोनाली बताती है-

“जब मेरी शादी हुयी तब मुझे नहीं पता था कि मेरे पति जो कर रहे है वो सही है या नहीं। वो ये काम बहुत ही लगन और इमानदारी से कर रहे थे। एक दिन वाम्बोरी गाँव में कैंसर डिटेक्शन कैम्प के दौरान एक महिला आयी। उस महिला से इतनी बदबू आ रही थी कि कोई उसे कैंप के पास आने नहीं दे रहा था। जब हमें इस बात का पता चला तो हमने तुरंत उसे अन्दर लाकर उसकी जांच की। महिला के वजाइना से  बेहद बदबूदार पस निकल रहा था। वो इसी अवस्था में कई महीनो से थी पर पैसे न होने के कारण अपना इलाज नहीं करवा पा रही थी। उसे चौथे स्टेज का कैंसर था इसलिए हमने तुरंत उसका ऑपरेशन करके युटेरस निकाल दिया। वो महिला उस दिन के बाद हमेशा हमारे क्लिनिक में आने लगी और हमें धन्यवाद देने लगी। इस बात से जो ख़ुशी मिलती है उसके सामने पैसो के कोई मायने नहीं है।”

डॉ. माने मेडीकल फाउंडेशन और रिसर्च सेंटर कैंसर के क्षेत्र में अनुसन्धान करके मरीजो का इलाज कर रहे है।

बाये तरफ डॉ. सोनाली माने और दाये तरफ डॉ. स्वप्निल माने एक मरीज़ के परिवार के साथ।
मरीजो को ऑपरेशन टेबल से शिफ्टिंग ट्राली पर ले जाने के लिये बेल्ट का इस्तेमाल होता है।CBR No17524 तारीख: २२/११/२०१३ (डॉ. माने ने इसका पेटेंट किया है)

किराये की जगह पर अस्पताल चलाना मुश्किल हो रहा था इसलिये डॉ. माने ने ८ अगस्त २०१५ को अपना अस्पताल ‘साई धाम’ के नाम से शुरू किया।

अपने संशोधन के अंतर्गत डॉ. माने को ये पता चला कि कैंसर का दर्द कुछ दवाइयों से कम होता है। फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री शिशिर मांड्या ने aloe vera में मिलने वाले mucco-polysaccharides पर संशोधन किया है। इस विषय में उनका अभ्यास बहुत ही महत्वपूर्ण है और पिछले ४० साल से वो आयुर्वेद के क्षेत्र से जुड़े हुए है।

शिशिर मांड्या एलोवीरा की मदद से मरीजो का इलाज करते है। कैंसर ट्रीटमेंट में एलोवीरा का महत्व समझाने के लिये वो सहकारियो के साथ कैम्प का आयोजन करते है।

श्री शिशिर मांड्या अहमदनगर स्थित लार्सेन एंड टर्बो कम्पनी में कैंसर में “एलोविरा का महत्व” इस विषय पर लेक्चर देते हुए।

शिशिर बताते है-

“संशोधन से ये पता चलता है कि एलोविरा कैंसर कि ट्यूमर को बढ़ने नहीं देता है, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है, ट्यूमर नेक्रोसिस लेवल बढाता है और टिश्यू की ग्रोथ करता है। इस विषय पर बहुत सारा अध्ययन हुआ है। पिछले ३० सालो के रिसर्च से ये पक्का हुआ है कि एलोविरा कैंसर कम करने में मदद करता है। एलोविरा का इस्तेमाल बिनाइन और मलिगंत ट्यूमर के इलाज में भी होता है।“

कैंसर का प्रभाव सिर्फ शरीर तक ही सीमित नहीं रहता। कैंसर और उसके इलाज के दौरान उसका असर मरीजो की तबियत, आवाज, समतोल और शरीर पर होता है। मरीजो को शरीर में होनेवाले बदलाव से समझौता करना पड़ता है। इसलिये इलाज के वक्त इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि मरीज की मानसिक और दिमागी हालत ठीक रहे।

डॉ. माने मेडीकल फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री. आशीष कलावार जो इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियर और मैडिटेशन ट्रेनर है, मरीजो पर होनेवाले दिमागी असंतुलन पर मैडिटेशन के ज़रिये इलाज करते है।

श्री. आशीष कालावार गाँव में मैडिटेशन के क्लासेस लेते हुये।

श्री. आशीष कलावार समझाते है-

“मानवीय शरीर के फिजिकल और सटल ऐसे दो भाग है। सटल शरीर मतलब विचारो की ताकत है। नेगेटिव विचारो से उत्पन्न होनेवाली नेगेटिव एनर्जी इंसान के सटल शरीर से फिजिकल शरीर में दौड़ती है।मैडिटेशन में हम लोग नेगेटिव एनर्जी को बाहर निकालके सटल शरीर को स्वच्छ करते है। ये उपाय हमारे फिजिकल शरीर को बीमारियों से दूर रखता है।”

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार सर्वाइकल कैंसर पूरी दुनिया की महिलाओ में पाया जाता है। कैंसर का निदान और सही इलाज सर्वाइकल कैंसर को ठीक करता है। डॉ. माने मेडीकल फाउंडेशन का उद्देश है कि वो कैंसर का निदान जल्दी करके लोगो को इस बीमारी से बचाये। इसलिये फाउंडेशन के डॉक्टर्स निदान, योग और आयुर्वेद का इस्तेमाल करते है।

एक दिन डॉ. माने के अस्पताल में कोलपेवाड़ी गाँव से (राहुरी से २५ किमी दूर) १५ साल की सोनाली कोलपे आयी, जिसका पेट काफी बड़ा था। वो शादीशुदा नहीं थी फिर भी ८ महीने की गर्भवती लग रही थी। डॉ. माने ने  जब उस लड़की को चेक किया तब पता चला कि उसे ओवेरियन ट्यूमर है। डॉ. माने ने गुस्से से लड़की के पिता को पूछा कि उसका इलाज क्यों नहीं किया। पिता ने बताया कि उन्होंने पिछले ४ साल से अहमदनगर और पुणे के अस्पताल में चक्कर काटे तब पता चला कि इलाज के लिये ५०००० रुपये से १ लाख रुपये का खर्च होगा। उनकी आर्थिक परिस्थिति अच्छी ना होने का कारण उन्होंने अपने बेटी का इलाज नहीं किया।

डॉ. माने कहते है-

“ये सुनकर मैं सुन्न सा रह गया। मैंने उसका इलाज मुफ्त में किया। ओवेरियन ट्यूमर का वजन ५ कीलोग्राम था। दुसरे डॉक्टर मरीज के दर्द को अनदेखा कैसे कर सकते है? डॉक्टर को सिर्फ पैसा कमाने के लिये नहीं सिखाया जाता बल्कि लोगो की बीमारिया दूर करके उन्हें परेशानी से मुक्त करना भी सिखाया जाता है।“

डॉ. माने का अस्पताल “साईं धाम” एक आधुनिक कैंसर का अस्पताल होगा जिसमे अत्याधुनिक रिसर्च, और इलाज से कैंसर को ठीक किया जायेंगा।

श्रीमती बेबी सालवे फ्री ऑपरेशन के बाद डॉ. माने और उनके सहकारियो को धन्यवाद देते हुये।

डॉ. माने अपील करते है-

“गाँव-गाँव में फ्री मेडीकल कैम्प का आयोजन करने के लिये हमें आपका सहयोग चाहिये। हम साईंधाम अस्पताल में मुफ्त में इलाज करना चाहते है, गरीबो की मदद करना चाहते है, कैंसर का इलाज करना चाहते है इसलिए हमें आपके मदद की जरुरत है। कैंसर फ्री इंडिया मिशन के लिये आप हमारे साथ जुड़ सकते है।“

डॉ. माने मेडीकल फाउंडेशन और रिसर्च सेंटर से आप निम्नलिखित संपर्क माध्यमों से जुड़ सकते हैं –

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Dr.Swapnil Mane

 DNB,DGO,FCPS,MBBS-Obstetrician and Gynaecologist,  Gynaec-oncosurgeon ,President-Dr.Mane Medical Foundation and Research center-SAIDHAM HOSPITAL,Near Shirdi-saibaba,nagar-manmad road,near water tank,Behind  hotel Bhagyashri at Rahuri Dist Ahmednagar (Maharashtra -India) Pin413705,PAN(Trust):AABTD6717C,12A,80G,FCRA,SIRO(Scientific &Industrial  Research organization-Govt. of India)

मूल लेख मानबी कटोच द्वारा लिखित 


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