जब डॉ गुरु ने सुना कि उन्ही की फ्लाइट में किसी बच्चे को अस्थमा का अटैक आया है, तो उन्होंने जल्दी से एक प्लास्टिक की बोतल का इनहेलर बनाया। इस उपकरण से उस बच्चे को समय पर काफी आराम पहुचा।
धरती से २०० फीट की ऊँचाई पर जब एक दो साल के बच्चे को अस्थमा का दौरा पड़ा, तब उसके माँ बाप के लिए एक चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गयी क्यूंकि गलती से उन्होंने उसकी दवाई अपने चेक इन लगेज के साथ रख दी थी।
प्लेन में मौजूद इनहेलर बड़े लोगो के लिए था, जिसे बच्चे को देना संभव नहीं था।
उस बच्चे के लिए ये सफ़र बहोत तकलीफदेह और लम्बा हो जाता अगर उसके साथ मौजूद इस डॉक्टर ने एक इनहेलर बना कर उसकी जान न बचायी होती।
स्पेन से यू एस जा रहे इस विमान में मौजूद डॉक्टर थे, डॉ खुर्शीद गुरु जो न्यू यॉर्क स्थित रोसवैल पार्क कैंसर इंस्टिट्यूट के निदेशक हैं।
जब इन्हें पता चला कि विमान में एक बच्चे को अचानक ही दौरा पड़ा है, तो उन्होने जल्दी से एक प्लास्टिक की बोतल, कप, टेप और ऑक्सीजन टैंक से एक इनहेलर बना डाला।
दरअसल उन्होंने बड़ों के ही इनहेलर को बच्चो के काम में आने वाले निम्बुलैसेर में तब्दील कर दिया। निम्बुलैज़र एक ऐसी मशीन है जो अस्थमा की दवाई को भाप में बदल देती है, जिसे एक मास्क की मदद से बच्चो द्वारा आसानी से लिया जा सकता है।
उन्होंने बड़ो द्वारा उपयोग में लायी जाने वाले इनहेलर को बोतल के मुह में लगा कर दूसरी तरफ से ऑक्सीजन मास्क लगा दिया ताकि बच्चा दोनों को साथ ही ले पाए। बच्चे के लिए इसे और आसान बनाने के लिए डॉ गुरु ने एक कप लिया और उसमे छेद कर दिया। फिर इसे बोतल के ऊपर लगा दिया ताकि बच्चे के मुह और नाक से लगा कर इसे रखा जा सके।
उन्होंने बच्चे के माता पिता से इस कप को बच्चे के मुह पर लगा कर थोड़ी देर रखने को कहा, और आधे घंटे के बाद बच्चे के भीतर ऑक्सीजन की मात्र सामान्य हो गयी।
डॉ गुरु ने कहा कि हर परिवार को इस घटना से सबक लेकर हमेशा अपनी दवाई अपने साथ रखनी चाहिए क्यूंकि ऐसी स्थिति कभी भी और कहीं भी आ सकती है। डॉ. गुरु ने पहले भी कई हाई टेक रोबोटों की मदद से रोगियों का इलाज किया है।