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केरल में दो युवा आईएएस अफसरों ने किया उदाहरण स्थापित, आदेश देने की बजाय चावल के बोरे ढोते नजर आये!

पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश के चलते आयी बाढ़ के कारण केरल में सामान्य जीवन तहस-नहस हो गया है। ख़बरों के मुताबिक अब तक लगभग 39 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के इड्डुकी और वायनाड ज़िले में बाढ़ के चलते हालात ख़राब हैं।

कुछ स्त्रोतों की माने तो केरल में यह इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है। बाढ़ की वजह से 8,136 करोड़ रूपये की सम्पत्ति अब तक बर्बाद हो चुकी है और 60,000 से भी ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।

लेकिन फिर भी कुछ लोग हैं जो इस त्रासदी के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। हम आपको ऐसे लोगों की कहानियां बता रहे हैं, जो डटकर इस मुसीबत का सामना कर रहे हैं और पीड़ित लोगों तक हर संभव मदद पहुंचा रहे हैं।

एक उदाहरण स्थापित करते हुए, दो आईएएस अधिकारी- जी राजमानिक्यम, आपदा प्रबंधन से संबंधित विशेष अधिकारी, और वायनाड के उप-कलेक्टर एनएसके उमेश (जो बाढ़ प्रभावित जिले में राहत कार्यों की देखरेख कर रहे हैं) ने खुद राहत शिविर में बांटने के लिए कलेक्टरेट में चावल के बोरों को उतारना शुरू कर दिया।

बस बैठकर ऑर्डर देने की बजाय, उन्होंने अन्य राहत कर्मचारियों के साथ मिलकर रात के लगभग 9:30 बजे चावल के बोरों से भरा वाहन खाली करवाया ताकि वे उसे जल्द से जल्द जरूरतमंदों तक पहुंचा सकें।

कुछ नागरिकों के मुताबिक अन्य सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ ये आईएएस अफसर केवल चंद घंटे ही सोते हैं और बाकी समय रहत कार्यों में जुटे रहते हैं।

आप भी केरल के लिए अपनी तरफ से यथा-संभव मदद कर सकते हैं। आप पैसे के अलावा बर्तन, कपडे, कुर्सी, मेज, दाल, चावल, अनाज, जूते-चप्पल, कम्बल, बाल्टी, सैनेटरी नैपकिन, फर्स्ट ऐड किट, मोमबत्ती, और पैकेजड़ फ़ूड आदि भेजकर मदद कर सकते हैं।

आप मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में भी दान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, #DoForKerala, सोशल मीडिया अभियान द्वारा भी मदद कर सकते हैं। इसे एर्नाकुलम के जिला प्रशासन के सहयोग से, अंबोदु कोच्ची द्वारा लॉन्च किया गया है।

राज्य में मदद करने के लिए आवश्यक सम्पर्कों की सूची आपको यहां मिल सकती है।

यदि आप बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए काम कर रहे किसी अन्य संगठन के बारे में जानते हैं, तो हमें उनका विवरण मेल करें, और हम इसके बारे में लिखेंगें। Contact@thebetterindia.com पर हमें लिखें।

मूल लेख: रिनचेन नोरबू वांगचुक

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