Site icon The Better India – Hindi

आधुनिक सुविधाओं के साथ, 40 गायों को पाल, हर महीने लाखों कमा रहा यह इंजीनियरिंग ग्रेजुएट

Kerala Engineer

आज के दौर में युवा खेती-किसानी से दूर ही रहना पसंद करते हैं। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे इंजीनियरिंग ग्रैजुएट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो Dairy Farming (दूध उत्पादन) का बिजनेस कर, कामयाबी की एक नई इबारत लिख रहे हैं।

यह कहानी मूल रूप से केरल के मलप्पुरम निवासी जमशीर की है। 25 वर्षीय बी.टेक ग्रैजुएट जमशीर को बचपन से ही खेती और पशु चिकित्सा (Veterinary) से खास लगाव था और बाद के वर्षों में भी उनका यह जुनून बना रहा।

पढ़ाई और ट्रेनिंग

जमशीर को अहसास था कि डेयरी के विषय में सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान (थ्योरिटकल नॉलेज) से, उन्हें अपने सपनों को सच करने में मदद नहीं मिलेगी। इसीलिए, उन्होंने दोतरफा रुख अपनाया।

एक तरफ, उन्होंने सैद्धांतिक पहलुओं को सीखने के लिए, साल 2013 में केरल के वायनाड जिले में, ‘केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय’ में दाखिला लेने के साथ ही, दो वर्षीय डेयरी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में भी दाखिला लिया।

दूसरी ओर, व्यवहारिक पहलुओं को सीखने के लिए, शुरुआती कदम के तौर पर उन्होंने दो गाय तथा पाँच बकरियाँ खरीदी और उन्हें पालने लगे।

आगे, उन्होंने अपना ‘मिनी फार्म’ विकसित करने के लिए तीन और गायें खरीदी। डिप्लोमा पूरा होने के बाद, उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय के ‘डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज’ में दाखिला ले लिया।

इस कड़ी में जमशीर ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे कई लोग यह सोच कर निराश करते और डेयरी फार्मिंग छोड़ने के लिए कहते थे कि ऐसा करने से इंजीनियरिंग की पढ़ाई से मेरा ध्यान भटक सकता है। लेकिन, मैंने सुनिश्चित किया कि मैं एक समय में दोनों का ध्यान रख सकता हूँ और इस तरह साल 2020 में मेरा कोर्स भी पूरा हो गया।”

Dairy Farming

वह आगे कहते हैं, “साल 2017-18 में अपने परिवार और एक नीजी लोन की मदद से, मैंने मलप्पुरम के किजिसेरी (Kizhissery) में, अपने पीसीएम फार्म (PCM Farm) का निर्माण पूरा किया। आज मैं 40 गायों के साथ एक डेयरी फार्म का मालिक हूँ, जिसमें 28 दुधारू गाय शामिल हैं। इससे मुझे हर दिन 270-300 लीटर दूध मिलता है और मुझे एक लाख रुपये प्रति महिना कमाई होती है। मैं दूध Milma को बेचता हूँ, जो ‘केरल सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ’ (KCMMF) के अंतर्गत आता है। इसके अलावा, मैं कई दुकानों और होटलों में भी दूध बेचता हूँ। साथ ही, कुछ ग्रामीण मेरे फार्म पर भी दूध खरीदने आते हैं।”

आज उनके ‘सेमी हाई टेक’ फार्म में जर्सी क्रॉस, होल्स्टीन फ्रीजियन क्रॉस और कई अन्य नस्ल की गायें हैं। 

वह बताते हैं, “मैं गायों के चारे के लिए, अपने ही खेतों में घास उगाता हूँ। यहाँ लगे ‘ऑटोमैटिक वाटर बाउल सिस्टम’ से गायों को हमेशा ताजा पानी मिलता है। फार्म में गर्मी को कम करने के लिए, मैंने यहाँ छत के पंखे से लेकर ‘मिस्ट यूनिट कूलिंग सिस्टम’ तक की व्यवस्था की है। वहीं, गायों के आराम करने के लिए फर्श पर ‘रबर मैट’ (रबर की बना कालीन) लगाए गए हैं।”

हम अक्सर कहते हैं कि संगीत किसी के भी मूड को बदल सकता है लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसका असर जानवरों पर भी होता है?

यहाँ, गायों को संगीत सुनाने के लिए स्पीकर लगाए गए हैं। जमशीर कहते हैं कि अच्छा संगीत सुनने से गायें अधिक दूध देती हैं और उन्हें काफी आराम भी मिलता है।

वह कहते हैं, “गायों को खिलाने के बाद, मैं रेडियो चला देता हूँ। संगीत सुनने से गायों को अच्छा आराम मिलता है। इस तरकीब से दूध का उत्पादन अधिक होता है और मुझे ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ती है। मैं आपको भी अपने पालतू जानवरों को संगीत सुनाने की सलाह दूंगा, इससे आपको कई तरह से मदद मिलेगी।”

कोरोना महामारी ने खेती में नये रुझानों को दिया बढ़ावा

जमशीर कहते हैं कि उनसे कई ऐसे युवाओं ने संपर्क किया, जो इस तरीके से Dairy Farming का काम शुरू करना चाहते थे। उनका मानना है कि आज कई युवा ग्रैजुएट खेती की ओर रुख कर रहे हैं। जो खेती के लिए, उनके सकारात्मक रूप से बदलते रुझानों को दर्शाता है।

Dairy Farming

केरल में एक कृषि अधिकारी के रूप में नियुक्त, जशी भी इसी बात का समर्थन करते हुए कहती हैं, “पहले लोग खेती के काम को घृणित मानते थे। लेकिन, आज हालात बदल चुके हैं। मुझे लगता है कि यह बदलाव कोरोना महामारी के कारण आया है।”

जशी आगे कहती हैं, “आज खेती या इससे संबंधित कार्यों में मदद के लिए कई सरकारी योजनाएं हैं। लेकिन, जानकारी के अभाव में कई लोग इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। साथ ही, इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि आज कई ऐसे एनआरआई हैं, जो विदेशों में अपनी नौकरी खोने के बाद, कृषि आधारित बिजनेस को शुरू कर चुके हैं।”

मूल लेख – संजना संतोष

संपादन – प्रीति महावर

यह भी पढ़ें – 12वीं पास हैं भोपाल की अर्शी खान, पर खड़ा किया 75 लाख का बिज़नेस, जानिए कैसे

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version