कोड़िकोड (कोझीकोड) के पेरिम्परा में आप बिंदु और जोजो के घर के सामने से गुज़रें और उसे पलट कर न देखें, ऐसा शायद मुमकिन नहीं। उनके घर में खिले बोगनविलिया फूलों के चटकीले रंग हर किसी को अपनी तरफ खींच ही लेते हैं। आपको इस बागीचे में हर रंग के फूल देखने मिल सकते हैं।
पिछले 36 सालों से यह कपल अपनी 15 हज़ार वर्ग फुट ज़मीन पर फूलों की खेती कर रहा है। खास बात यह है कि अब ये अपने बगीचे से हर महीने 2 लाख रूपये की कमाई भी कर रहे हैं। बगीचे में मौजूद फूलों के खूबसूरत रंग घर के सामने आने-जाने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं। लोग रूक कर वहां के नज़ारे का मज़ा तो लेते ही हैं, साथ ही कई लोग फूलों से संबंधित सुझाव भी मांगते हैं।
केरल का यह कपल बोगेनविलिया फूल उगाने के साथ इन फूलों का व्यवसाय भी करता है। वो फूलों के खूबसूरत पौधे बेचते हैं, शादियों में फूलों की सप्लाई करते हैं और अपने ग्राहकों के लिए इंस्टेंट गार्डन यानी तत्काल बगीचा सेटअप करते हैं। ये दोनों नौकरी और खेती के कामों में काफी व्यस्त रहते हैं लेकिन फिर भी वीकेंड पर स्कूलों और कॉलेजों सहित कई संस्थानों के लिए प्रेरक और उद्यमिता कक्षाएं भी संचालित करते हैं।
अपने इस अद्भुत काम के लिए इस जोड़ी को 2003 में केरल राज्य युवा कृषक पुरस्कार और प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय प्रगतिशील किसान पुरस्कार से मिल चुका है।
परिवार का साथ
40 वर्षीय बिंदु जोसफ गुज़रे वक्त को याद करते हुए बताती हैं कि जब वह पहली बार इस घर में आई थीं तो उन्होंने देखा कि जोजो की माँ, ट्रेसिया ने अपनी 12 एकड़ ज़मीन में एक छोटा अमेज़ॅन का जंगल बनाया हुआ था। वह कहती हैं कि वह भी एक किसान परिवार से ही संबंधित थीं लेकिन ऐसा नज़ारा उन्होंने कभी नहीं देखा था। वह कहती हैं, वहां नारियल के पेड़, मवेशी, सुंदर फूल और कई फलों के पेड़ थे।
बिंदु मुस्कुराते हुए बताती हैं कि जब उनकी शादी हुई तब उनका संयुक्त परिवार था जिसमें जोजो के 11 भाई-बहन और उनके परिवार साथ रहते थे। वह बताती हैं कि परिवार के सभी लोग खेतों में दिन रात काम करते थे, जिन्हें देख कर बिंदु को भी प्रेरणा मिली। जल्द ही उन्होंने भी खेती के लिए समय निकालना शुरू कर दिया और अपनी सास से खेती के कई गुर सीखे। बिंदु कहती हैं कि वह समय उनके लिए ट्रेनिंग अवधि की तरह था और इसने उन्हें जोजो के परिवार को समझने और हिस्सा बनने का मौका दिया।
अपने बच्चों के जन्म के बाद, बिंदु और जोजो अपने परिवार के घर से कुछ किलोमीटर दूर अपने नए घर पर चले गए और जल्द ही अपने घर के आसपास की 15 हज़ार वर्ग फुट जमीन में खेती शुरू कर दी। उसी समय, बिंदु ने पेरम्बरा के सेंट मीरा के हायर सेकेंड्री स्कूल में इकोनोमिक्स टीचर के रूप में अपना करियर फिर से शुरू किया।
जोजो जैकब एक फुलटाइम किसान हैं। वह कहते हैं कि बच्चों के बड़े होने के बाद बिंदु एक शिक्षक के रूप में अपने करियर को फिर से शुरू करने के लिए तैयार थीं। इसलिए उन्होंने घर के पास की ज़मीन पर खेती करने का फैसला किया। उन्होंने अपने घर से कुछ पौधे लिए और कुछ उन्होंने केरल के विभिन्न नर्सरी से इकट्ठा किया था। कई सारी चीज़ें उनके लिए नई थी लेकिन जोजो और बिंदु दोनों हर काम करने के लिए दृढ़ थे।
बोगनविलिया के अलावा, वो हल्दी, अदरक, काली मिर्च, लीची भी उगाते हैं। यहां तक कि उन्होंने एक नर्सरी भी शुरू की है, जहाँ से ग्राहक और उनके शानदार बगीचे को देखने आने वाले लोग पौधे खरीद सकते हैं।
…जहां बोगोनविलिया खिलते हैं
केवल एक वर्ष के समय में, इस दंपति ने जमीन के हर कोने पर पौधा लगाया। पौधों के लिए छत और बाड़ का इंतज़ाम भी किया गया था।
बिंदू कहती हैं कि उनके बगीचे में जो बोगोनविलिया उगाए जाते हैं वे स्थानीय किस्म के नहीं हैं इसलिए वे 7-8 फीट तक बढ़ जाते हैं और बाड़ पर गिर जाते हैं। यह नज़ारा लोगों को बहुत भाता है। वे आते हैं और उनसे इस खेती की तकनीक पूछते हैं। लोगों की दिलचस्पी देखते हुए जल्द ही इस कपल ने पौधे बेचना शुरू कर दिया। साथ ही शादियों के लिए फूलों की व्यवस्था करने का काम और यहां तक कि ग्राहकों को इंस्टेंट गार्डन स्थापित करने में मदद भी करने लगे।
इस जोड़े की एक ग्राहक हैं मारिया थॉमस। मारिया थॉमस ने इनके मदद से इंस्टेंट गार्डन बनाया है। वह अपने बगीचे से बहुत खुश हैं। अपनी खुशी जाहिर करते हुए वह बताती हैं, “बिंदू ने मेरे नए घर के लिए जो इंस्टेंट गार्डन बनाया है, वह बहुत शानदार है। सिर्फ एक हफ्ते में, उन्होंने उस जगह को बॉल अरालिया झाड़ियों और खूबसूरत बोगनविलिया से भर दिया। इसने मेरे गृह प्रवेश को बेहद खूबसूरत बना दिया था।”
इसके साथ ही, यह दंपति हल्दी, अदरक, लीची और आम जैसे कई अन्य पौधों की भी खेती करते हैं। जलवायु आवश्यकताओं के अनुसार वे पौधों के लिए जगह बनाते हैं ताकि ज़मीन का ठीक तरह से इस्तेमाल कर पाएं।
इस बारे विस्तार से समझाते हुए जोजो बताते हैं, “उदाहरण के लिए, बोगेनविलिया को धूप की बहुत ज़रूरत होती है, इसलिए गर्मियों के दौरान हम बगीचे में गमले रखते हैं और बरसात के मौसम में, हम उन्हें छत पर शिफ्ट कर देते हैं, जबकि हम हल्दी और अदरक को नीचे बगीचे में में ले आते हैं।”
धीरे-धीरे जोजो और बिंदू की 36 सेंट ज़मीन पर की जाने वाली खेती काफी लोकप्रिय होने लगी। आगे चल कर उन्होंने प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय प्रगतिशील कृषि पुरस्कार सहित कई सम्मान मिला।
दंपति को जब राष्ट्रीय प्रगतिशील कृषि पुरस्कार मिला, उसके बाद, इंडियन इंस्ट्यूट ऑफ स्पाइस रिसर्च कोझीकोड प्रशासन के तहत आने वाली कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने इस जोड़े के लिए, एक नर्सरी सेटअप करने के साथ स्पॉन्सर करने का फैसला किया ताकि कोझीकोड में खेती को प्रोत्साहन मिले और प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।
इस बारे में बिंदू विस्तार से बताते हुए कहती हैं, “केवीके ने हमें एक मॉडल फार्म के रूप में स्थापित किया और जल्द ही कई छात्र और शोधकर्ता आने लगे। इनमें कई लोगों ने हमारे फार्म से पौधे भी खरीदे। हमारे पास हर हफ्ते करीब 60 वीजिटर आने लगे।”
बिंदू बताती हैं कि हर कोई उनके जैसा ही बगीचा चाहता था। इसलिए उनके लिए, इस कपल ने इंस्टेंट गार्डेन बनाना शुरू किया जिसमें उन्हें ये गमले में लगाए और पूरी तरह से खिले हुए बोगोविलिया देते थे। गमलों की संख्या के आधार पर इंस्टेंट गार्डन बनाने की लागत 20,000 से 30,000 रूपये तक आती है।
फल देने के प्रयास
पिछले कुछ वर्षों से, दंपति सुबह 5 बजे से रात के 11 बजे तक इसी काम में व्यस्त रहते हैं। इनकी रोज की रूटीन में खेती, बिक्री, शिक्षण और यहां तक कि प्रेरक वार्ता और कक्षाएं भी शामिल हैं!
दिनचर्या के बारे में बात करते हुए बिंदू कहती हैं कि क्योंकि उन्हें स्कूल जाना होता है इसलिए वह सुबह पांच बजे उठती हैं, नर्सरी साफ करती हैं और सबके लिए लंच पैक करती हैं। दिन के समय बगीचे का ध्यान जोजो रखते हैं। स्कूल से आने के बाद, शाम 4 बजे से वह फिर बगीचे के काम में जोजो का हाथ बंटाती हैं। वह कहती हैं कि कभी-कभी उन्हें रात के 11 बजे तक भी गार्डन में रुकना पड़ता है।
बिंदू का एक यूट्यूब चैनल भी है जिसके 64,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। बिंदु बताती हैं कि करीब दो साल पहले उन्होंने टेक फ्लोरा नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया था। वह कहती हैं, “यह प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी होती है कि लोग वास्तव में उस कार्य की सराहना करते हैं जो हम करते हैं।”
वह मुस्कुराते हुए कहती हैं कि पैसे और लोकप्रियता से ज़्यादा खुशी उन्हें अपने फलते-फूलते बगीचे को देख कर मिलती है।
जोजो और बिंदु का फल और फूलों से भरा ये बगीचा अब कई शहरी बागवानों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। इसके साथ ही यह इस सच्चाई को भी दर्शाता है कि समय और समर्पण के साथ छोटे से ज़मीन के टुकड़े पर पर भी फल और फूल उगाए जा सकते हैं।
मूल लेख- SERENE SARAH ZACHARIAH
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