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पुराने घरों से निकलने वाले खिड़की-दरवाजों से बनाते हैं नया फर्नीचर

“जब भी लोग अपने घर, कैफ़े या दफ्तर के लिए फर्नीचर खरीदते हैं, तो चाहते हैं कि फर्नीचर एकदम नयी और अच्छी लकड़ियों से बना हुआ हो। अक्सर ग्राहक यही सवाल करते हैं कि फर्नीचर किस लकड़ी का बना है। लेकिन, मेरा मानना है कि हर किसी को बहुत सोच-समझकर फर्नीचर लेना चाहिए। क्योंकि हम पहले ही लकड़ियों की आपूर्ति के लिए, अपने जंगलों को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं। अब भी, हम चीजों को एक बार इस्तेमाल करके फेंक रहे हैं, जो गलत है।”, यह कहना है 32 वर्षीय समरान अहमद का। 

कर्नाटक के मंगलौर में रहने वाले वाले समरान, फर्नीचर बनाने का काम करते हैं। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह फर्नीचर बनाने के लिए, पुरानी और इस्तेमाल हो चुकी लकड़ियों को फिर से इस्तेमाल करते हैं। उन्हें पुराने-जर्जर हो चुके घरों और इमारतों को ध्वस्त करने के बाद, जो लकडियां या अन्य सामान मिलता है, उन्हें ही वह फर्नीचर बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “हमारा परिवार पिछले 40 सालों से इस काम से जुड़ा हुआ है। हमें लोगों से, उनके पुराने और जर्जर हो चुके घरों को तोड़ने का काम मिलता है। इन घरों या इमारतों से, जो भी दरवाजे, खिड़कियाँ, लकड़ी के तख्ते या अन्य कोई चीज निकलती है, उन्हें हम खरीद लेते हैं। पापा पहले इन सभी चीजों को दूसरे ग्राहकों को बेच दिया करते थे। लेकिन, अब हम इन सभी चीजों को फिर से इस्तेमाल में लेकर, अलग-अलग तरह के फर्नीचर बनाते हैं।” 

बिज़नेस मैनेजमेंट में ग्रैजुएशन करने वाले समरान कुछ साल दुबई में नौकरी करने के बाद अपने वतन लौट आए। वह कहते हैं कि लगभग चार साल पहले, उन्होंने अपने व्यवसाय को संभालना शुरू किया और इसे एक नया रूप भी दिया। उनकी फर्म का नाम ‘सफा एंटरप्राइजेज इको वुड सोल्यूशंस’ (SAFA ENTERPRISES ECO WOOD SOLUTIONS) और व्यवसाय का उद्देश्य, चीजों को रिड्यूज, रीयूज और रिसायकल करना है। 

Samran Ahmed Reusing Old and reclaimed wood to make new furniture

पर्यावरण की दिशा में बेहतर कदम: 

वह आगे बताते हैं कि उन्हें जो भी पुरानी लकडियां मिलती है, उन्हें वह इकट्ठा करके अपने यहां ले आते हैं। इसके बाद, उनके कारीगर सभी लकड़ियों के सड़े-गले हिस्से को अलग कर, अच्छे से साफ करते हैं। फिर जो अच्छी लकड़ियां बचती हैं, उन्हें इस्तेमाल में लिया जाता है। वह कहते हैं कि इस तरह के पुराने घरों या इमारतों से मिलने वाली, लगभग 90% लकड़ियों और अन्य सामानों को वह फिर से इस्तेमाल में ले पाते हैं। 

उन्होंने कहा, “हमें जो लकड़ी की पट्टियां या तख्ते मिलते हैं, उन्हें हम नया फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, जो दरवाजे और खिड़कियाँ थोड़ी-बहुत मेहनत से ठीक किए जा सकते हैं, उन्हें हम सही करते हैं। साथ ही, कई पुरानी चीजों को नया रूप दे देते हैं। जैसे- हमने एक ग्राहक के कैफ़े के लिए पुरानी खिड़कियों से मेज बनाई थी।”

इसके अलावा, वह इन्हीं पुरानी लकड़ियों से लोगों के घरों के लिए खिड़कियाँ, दरवाजे, अलमारी और अन्य फर्नीचर भी बनाते हैं। उन्होंने बताया कि बहुत से लोगों को लगता है कि ऐसी लकड़ियों से बनी चीजें, ज्यादा नही चलती। लेकिन, ऐसा नहीं है। क्योंकि लकड़ी जितनी ज्यादा पुरानी होती है, उतनी ही अच्छी होती है। उन्होंने कहा, “आजकल पुरानी लकडियाँ मिलना बहुत ही मुश्किल है। अगर हम पहले से इस्तेमाल हो चुकी लकड़ियों को फिर से इस्तेमाल करें, तो यह सस्ती होने के साथ-साथ ज्यादा समय तक चलती भी हैं। साथ ही, ऐसा करने पर आप पेड़ों की कटाई रोकने में भी मदद कर पाएंगे।” 

ग्राहकों को देते हैं #DIY का मौका:

इसके साथ ही, उनकी कोशिश है कि वह ग्राहकों के हिसाब से काम करें। उन्होंने कहा कि आजकल #DIY का ट्रेंड है। लोगों के पास बहुत से आईडिया तो होते हैं, लेकिन साधनों की कमी होती है। ऐसे लोगों के लिए, समरान की फर्म किसी सपने से कम नहीं है। क्योंकि, समरान अपने ग्राहकों के आईडिया के हिसाब से काम करने में विश्वास रखते हैं। 

उनकी एक ग्राहक, अन्विता राय कहती हैं, “मेरा शहर में एक ‘जीरो वेस्ट कैफ़े’ है और जब मैं इसे खोलने की तैयारी कर रही थी तो मैंने शहर में कई जगह फर्नीचर देखे। लेकिन मुझे कुछ भी सही नहीं लगा। क्योंकि तकरीबन हर जगह लोग, एकदम नयी लकड़ियों का इस्तेमाल करके चीजें बना रहे हैं। मैंने कई सेकंड हैंड फर्नीचर के विकल्प भी देखे, लेकिन कुछ समझ नहीं आया।” 

लेकिन अन्विता जब समरान के यहां पहुंची, तो उन्हें न सिर्फ अच्छा काम मिला बल्कि उन्होंने अपने आईडिया के मुताबिक, उनसे फर्नीचर बनवाये। उन्होंने बताया, “मैंने जैसे ही उन्हें अपना आईडिया बताया, उन्होंने तुरंत मुझे अपने पास रखे पुराने खिड़की-दरवाजे दिखाए। मैंने पुरानी खिड़कियों को इस्तेमाल करके चार मेज बनवाई। साथ ही, पुराने दरवाजे से एक बड़ी मेज भी बनवाई। इसके अलावा, उनके पास पुरानी इस्तेमाल की हुई चीड़ की लकड़ियां भी थी। जिससे उन्होंने मुझे एक ऐसी कुर्सी बनाकर दी, जिसे जरूरत पड़ने पर सीढ़ी के रूप में भी काम में लिया जा सकता है। हालांकि, मेरे कई जानने वालों ने कहा कि पुरानी लकड़ियों का इस्तेमाल करना शायद ठीक न रहे। लेकिन, मुझे पहले पर्यावरण के बारे में सोचना था और मुझे ख़ुशी है कि समरान के बनाये फर्नीचर, न सिर्फ देखने में बल्कि गुणवत्ता में भी बहुत अच्छे हैं।” 

समरान कहते हैं कि फर्नीचर बनाते समय, वह हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि कम से कम कचरा हो। उनकी कोशिश जितना हो सके, इको-फ्रेंडली तरीकों से काम करने की है। फिलहाल, उनके साथ 11 कारीगर काम कर रहे हैं। समरान उन्हें ग्राहकों की जरूरत और आईडिया के बारे में समझाते हैं। और कारीगर सभी आईडिया को बहुत ही उम्दा तरीकों से हकीकत में बदल देते हैं। 

अंत में वह कहते हैं, “हम साल भर में, लगभग 600 टन पुरानी लकड़ियों को फिर से इस्तेमाल में लेते हैं। मैंने कभी कोई हिसाब नहीं लगाया कि इससे हम पर्यावरण की कितनी मदद कर पा रहे हैं। लेकिन, इतना अंदाजा जरूर है कि अगर कोई फर्नीचर बनवाने के लिए नयी लकड़ी इस्तेमाल कर रहा है, तो इसके लिए कम से कम तीन पेड़ कटेंगे। अब आप ही सोचिये कि इस तरह, हर साल कितने सारे पेड़ कटते होंगे। लेकिन, अगर लोग पुरानी लकड़ियों को फिर से इस्तेमाल में लें, तो बहुत सारे पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है।” 

अगर आप समरान अहमद से संपर्क करना चाहते हैं तो उनका इंस्टाग्राम पेज फॉलो कर सकते हैं। 

संपादन – प्रीति महावर

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