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Infosys की नौकरी छूटी तो चुनी खेती की राह, बंजर ज़मीन पर लगा दिए फलों के 8000 पेड़

बहुत से लोगों को लगता है कि अगर आपने अच्छी पढ़ाई-लिखाई नहीं की तो आप जीवन में सफल नहीं हो सकते हैं। लेकिन सफलता के लिए पढ़ाई-लिखाई से भी ज्यादा ज़रूरी है काबिल होना और मजबूत इच्छाशक्ति। यदि आप काबिल हैं और मेहनत करना जानते हैं तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। आज द बेटर इंडिया आपको एक ऐसी ही सफल महिला किसान की कहानी सुनाने जा रहा है।

कर्नाटक के रायचूर जिले में रहने वाली कविता मिश्रा ने कंप्यूटर में डिप्लोमा किया हुआ है और साइकोलॉजी में मास्टर्स की है। लेकिन आज उनकी पहचान एक सफल किसान के तौर पर है। कविता ने द बेटर इंडिया को बताया, “खेती किसानी के क्षेत्र में सफल होना आसान काम नहीं है। मुझे अपने जीवन में ढेर सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मेरी इस खूबसूरत मंजिल का रास्ता बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ है। शादी के बाद मैं भी ढेर सारे अरमान लिए ससुराल पहुँची थी लेकिन पता नहीं था कि सभी सपने एक झटके में टूट जाएंगे। वैसे यह भी सच है कि मैं कभी निराश नहीं हुई और हमेशा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रही।”

शादी के बाद कविता को इनफ़ोसिस कंपनी में काम करने का मौका मिला लेकिन उनके पति उमाशंकर ने उनसे नौकरी छुड़वा दी। दरअसल उनके ससुराल में सभी लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हुए थे, इसलिए उन्होंने कविता को भी खेतों में ही काम करने के लिए कहा। कविता खुद भी किसान परिवार से थीं लेकिन वह कुछ अलग करना चाहती थीं।

कविता कहतीं हैं, “मेरे पति 43 एकड़ जमीन में खेती करते थे, जिसमें से उन्होंने 8 एकड़ जमीन मुझे दे दी और खेती करने के लिए कहा। उन्हें लगा कि मुझे इससे खुशी मिलेगी जबकि मेरी इच्छा खेती करने की नहीं थी, मुझे कुछ और करना था।”

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से लेकर खेती करने तक का सफर

खुद किसान परिवार से आने के बावजूद कविता का मन खेती में नहीं लगता था। उनकी रूचि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में थी लेकिन उन्हें जबरदस्ती खेती करने के लिए कहा गया। इसके बारे में कविता कहतीं हैं, “मन को जरूर ठेस पहुँची लेकिन रोने-धोने या फिर उदास होने की बजाय मैंने इसे एक मौके की तरह लिया और खेती में हाथ आज़माने की ठानी। मैंने आज से ठीक 11 साल पहले खेती की शुरूआत की थी। उस वक्त खेती शुरू करने के लिए मैंने अपने सोने के सभी गहनों को बेच दिया था।”

कविता आगे बतातीं हैं, “जो ज़मीन मुझे मेरे पति ने दी थी वह बंजर थी। मैं बहुत परेशान थी कि इस जमीन में खेती कैसे शुरू की जाए। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। उस बंजर जमीन को साफ किया और फिर वहाँ कुछ उगाने की सोची। हालाँकि, मुझे बहुत ज़्यादा उम्मीदें नहीं थी। सोने को बेचकर जो भी पैसे मिले उसका उपयोग खेती के बारे में नई जानकारी हासिल करने में लगाया और फिर मैंने उसी बंजर जमीन को तैयार कर फल की खेती की शुरू की।”

कविता ने फल की खेती की शुरूआत अनार से की, जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ और उन्होंने आगे भी अनार उगाने की ठानी। इसके बाद उन्हें चंदन की खेती के बारे में पता चला। हालांकि वह इस बात से वाकिफ थीं कि चंदन की फसल में वक़्त लगता है लेकिन बहुत ज़्यादा मुनाफा है। इसलिए उन्होंने अपने खेतों में कुछ चंदन के पौधे भी लगाए।

कविता ने कर्नाटक और तेलंगाना के अलग-अलग किसानों से चंदन के पेड़ खरीदे और अपने खेत में लगाए।

 

 

कविता कहतीं हैं, “हमारे यहाँ पानी की समस्या है इसलिए हम धान या रागी जैसी पारंपरिक फसलों की खेती नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें अधिक पानी की आवश्यकता होती है। यही सोचकर मैंने अपने खेत में पेड़ को जगह दी है क्योंकि हम सभी को पता है कि मानसून के दौरान, पेड़ वर्षा जल को सहेजते हैं, जिसका उपयोग चार महीनों के लिए हो जाता है और शेष आठ महीने के लिए, हम अपने बोर के पानी का उपयोग करते हैं। मेरा मानना ​​है कि धरती माता ने कभी हमारा हाथ नहीं छोड़ा, भले ही हमारे परिवार के सदस्य हमें छोड़ दें। मुझे मेरी धरती माँ पर भरोसा है, और वह अभी भी खेती में हर तरह से मेरी मदद करती है।”

कविता का मानना ​​है कि जैविक उर्वरक अच्छी उत्पादकता देते हैं, इसलिए वह गोमूत्र और भेड़ के गोबर का उपयोग करते हैं, जो उनके खेत में उपलब्ध हैं।

“मेरा खेत पक्षियों और सांपों का घर भी है। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना ​​है कि यदि हम उन्हें परेशान नहीं करते हैं, तो वह भी हमें नुकसान नहीं पहुंचाते है। ये सांप और पक्षी फसलों से कीड़े और चूहों को दूर रखने में मदद करते हैं,” कविता कहती हैं।

आज, चंदन के अलावा, कविता 8,000 फल-फूल वाले पेड़ों की खेती भी करती हैं जैसे – आम, अमरूद, कस्टर्ड सेब, आंवला, स्वीट लाइम, नींबू, नारियल, ड्रमस्टिक, और जामुन। उसकी जमीन पर 800 टीकवुड के पेड़ भी हैं।

हाई सिक्योरिटी सिस्टम

 

 

“हमारे पास डॉग स्क्वॉड है जो खेत में लगे चंदन पेड़ की सुरक्षा करता है। इसके अलावा, हमने अपने पेड़ों में एक माइक्रोचिप भी डाली है। अगर कोई कुल्हाड़ी से इन्हें काटने की कोशिश करता है, तो पेड़ वाइब्रेट करेंगे, जिससे मेरे स्मार्टफोन पर अलर्ट आएगी। यदि हमारे खेत तक पहुँचने से पहले चोर पेड़ को ले जाते हैं, तो हम जीपीएस का उपयोग करके भी ट्रैक कर सकते हैं,” कविता ने बताया। इस तरह की सुरक्षा जरूरी है, क्योंकि चंदन के पेड़ों की चोरी एक गंभीर चिंता का विषय है।

मुनाफे के बारे में वह कहती है, “हमें प्रति माह 20-30 लाख रुपये मिलते हैं। फलों के पेड़ मासिक और वार्षिक आय देते हैं। जंगल के पेड़ (जैसे टीक) हमारी रिटायरमेंट के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट हैं। हम हैदराबाद-गोवा राजमार्ग पर 10-15 दिनों के लिए एक स्टॉल लगाकर अपने कृषि उत्पादों को बेचते हैं। इसके अलावा खेत के सामने भी एक स्टॉल लगाया हुआ है।”

वह किसानों को ग्राफ्टिंग विधि द्वारा फलों के पौधे भी बेचते हैं। फलों की कीमत बेंगलुरु के बाजार के अनुसार तय की गई है। कविता लोगों की खेती में शुरुआती मदद करने के लिए भी तैयार है। भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग इसके बारे में अधिक जानने के लिए अक्सर रविवार को उनके फार्म पर आते हैं।

कविता मिश्रा की खेती के बारे में और अधिक जानकारी के लिए 8861789787 पर संपर्क कर सकते हैं।

मूल लेख: संजना संतोष 

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