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बेंगलुरु: जिसे कचरा समझकर जला देते थे लोग, उसी लकड़ी से बना रहे सस्ता, सुंदर व टिकाऊ फर्नीचर!

मेरा हमेशा से यह सपना रहा है कि मैं एक ऐसे घर में रहूँ जहाँ की हर एक ईंट मेहनत और लगन से लगाई गई है। लेकिन क्या एक खाली घर को सच में घर कहा जा सकता है? मुझे लगता है कि एक घर को घर लगने के लिए फर्नीचर का होना बेहद ज़रूरी है।

हो सकता है आपने एक टिकाऊ घर का निर्माण किया हो लेकिन वह सही मायने में तब तक पर्यावरण के अनुकूल नहीं होता है जब तक कि आप अपने घर में पेड़ों को काटकर बनाए गए फर्नीचर नहीं रखते हैं। 

एक तर्क यह हो सकता कि लकड़ी का फर्नीचर निश्चित रूप से बेहतर है और प्लास्टिक और प्रदूषणकारी फर्नीचर से ज़्यादा चलते हैं। लेकिन क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हमें ऐसे फर्नीचर भी मिल सकें जो इको फ्रेंड्ली भी हो और ज़्यादा समय तक चलें भी? 

इसका जवाब शायद बेंगलुरू की फर्नीचर कंपनी Ubyld के पास है। यह कंपनी शिपिंग उद्योग में उपयोग की जाने वाली लकड़ी को अपसायकल करती है और ग्राहकों के लिए सुंदर फर्नीचर बनाती है, जिससे पर्यावरण पर असर नहीं बनता है। दरअसल, यह हर साल लगभग 90 टन लकड़ी को लैंडफिल में जाने से रोकता है।

पाइनवुड से बने फर्नीचर काफी टिकाऊ होते हैं इन्हें पानी से और बाहर धूप में रखने से भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता।

और यह कोई ऐसी-वैसी लकड़ी नहीं होती है। Ubyld, अच्छी गुणवत्ता वाले पाइनवुड का उपयोग करता है, जिसका उपयोग यूरोप से भारी मशीनरी आयात करने के लिए किया जाता है। Ubyld के साथ पार्टनर और डिज़ाइनर के तौर परकार्य कर रही लावण्या रविशंकर कहती हैं, कि “इन मशीनों का निर्माण करने वाली कंपनियां दुनिया भर में अपनी मशीनों के परिवहन के लिए बड़े कंटेनर बनाती हैं। ये कंटेनर घर के कमरों जितने बड़े होते हैं। भारत में लोगों को पता नहीं होता है कि इन लकड़ियों का क्या करना है। उन्हें या तो वो आग में जला देते हैं या फिर फैक्ट्रियों में इस्तेमाल करते हैं। और ये इतनी अद्भुत लकड़ी बेकार चली जाती है।

इस कंपनी की स्थापना 2015 में एक आईटी पेशेवर, प्रदीप नायर ने की थी। धीरे-धीरे,  इस काम में उनके आईटी कंपनी के पूर्व सहयोगी, लावण्या और अरुण अशोक भी उनसे जुड़ गए। 

इस काम का आइडिया प्रदीप को एक दिन अचानक ही आया। आईटी पेशेवर को कबूतरों का काफी शौक था। उन्होंने कबूतरों के लिए पाइनवुड का उपयोग करके एक मचान बनाया और उन्हें छत पर रखा। उन्होंने पाया कि बारिश और धूप के संपर्क में होने के बावजूद, लकड़ी को नुकसान नहीं पहुंचा था!

फिर इस संबंध में उन्होंने रिसर्च किया। उन्हें पता चला कि भारत में शीर्ष श्रेणी की पाइनवुड लकड़ी यूरोप से आती है और इसका उपयोग भारत में आयात होने वाली मशीनों के लिए कंटेनर बनाने के लिए किया जाता है।

प्रदीप लोगों को सस्टैनबिलिटी के बारे में शिक्षित करने के साथ सस्ती और गुणवत्ता वाले फर्नीचर प्रदान करना चाहते थे। 2015 में उन्होंने कंपनी की स्थापना की। 

लावण्या, प्रदीप और अरुण(बायें से दायें)

अब, Ubyld ने पाइनवुड को अपसायकल यानी उसे दोबारा इस्तेमाल करता है और उनके पास विभिन्न उत्पादों जैसे कि किचन, वॉर्डरोब , कॉट, डाइनिंग सेट, टेबल, अलमारियां, जूता रैक आदि के 25,00 से भी ज़्यादा डिज़ाइन हैं। लगभग 90 फीसदी उत्पादन में स्थानीय कारीगरों को शामिल किया जाता है। यहाँ क्लाइंट अपनी आवश्यकता के अनुसार फर्नीचर को कस्टमाइज़ भी करा सकते हैं। अब तक कंपनी के पास 3,000 से भी ज़्यादा ग्राहक हैं। 

मौसम प्रतिरोधी होने के अलावा, इन फर्नीचर में दीमक लगने का जोखिम भी नहीं होता है। इसका सरल मतलब हुआ कि Ubyld जो फर्नीचर बनाता है वह जीवन भर चल सकता है। 

अपसायकल और मूल्य में वृद्धि

यह एक संयोग की बात थी कि तीन लोगों की यह तिकड़ी एक साथ आई और इको-फ्रेंड्ली फर्नीचर बनाने वाली कंपनी की स्थापना की गई।

एचडीएफसी और आईबीएम जैसी कंपनियों के साथ काम करने के वर्षों के अनुभव के बाद, जब प्रदीप ने पहली बार कंपनी शुरू की, तो उन्होंने इसे DIY (डू इट योरसेल्फ) फर्नीचर कंपनी के रूप में शुरू किया।

यहाँ ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर देते थे और फिर उन्हें एक मैन्युअल के साथ लकड़ी, गोंद, कीलें और स्क्रूड्राइवर्स भेजे जाते थे, जिसमें फर्नीचर असेंबल करने के निर्देश दिए जाते थे। 

ये जानना  बेहद दिलचस्प है कि लावण्या Ubyld के पहले ग्राहकों में से एक थीं।

पाइनवुड से बनायीं गई शेल्फ

लावणया कहती हैं कि वह और प्रदीप दोनों मैसूर से थे इसलिए वह उन्हें पहले से ही जानती थी। वह कहती हैं कि कुछ साल पहले जब प्रदीप ने उन्हें अपनी कंपनी के बारे में बताया तो उन्होंने कंपनी की वेबसाइट देखने का फैसला किया। वेबसाइट पर 14 तरह के विभिन्न फर्नीचर थे। लावण्या  ने अपने घर के लिए एक टेबल और दो कुर्सियाँ मंगवाई। उन्होंने ये फर्नीचर खुद असेंबल किये जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहे थे। 

गुणवत्ता वाले पाइनवुड को अपसायकल करके फर्नीचर बनाने की अवधारणा से वह इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने खुद इस पर रिसर्च करने का फैसला किया। उन्होंने एना व्हाइट जैसे यूरोप के सफल फर्नीचर डिजाइनरों के बारे में पढ़ा जिन्होंने पाइनवुड को असायकल करके फर्नीचर बनाने का बिजनेस शुरू किया था।

इससे लावण्या काफी प्रेरित हुई और उन्होंने प्रदीप को फर्नीचर डिजाइन पर इनपुट देना शुरू किया। लावण्या बताती हैं, “हालांकि, मुझे फर्नीचर डिजाइनिंग का अनुभव नहीं था इसलिए मैं अपने विचारों को प्रभावी ढंग से बताने में असमर्थ थी। इसलिए, मैंने पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करने का फैसला किया।”

उनके पास पहले से जर्नलिज़्म में बैचलर की डिग्री, लिट्रेचर में मास्टर डिग्री और एमबीए की डिग्री है। 2015 के मध्य में उन्होंने एक फैशन और इंटीरियर डिज़ाइन स्कूल, आईडीईए वर्ल्डवाइड से एक वर्षीय पेशेवर इंटीरियर डिज़ाइन कोर्स में दाखिला लिया।

कोर्स पूरा करने पर, वह फुलटाइम डिजाइनर के रूप में Ubyld में शामिल हो गईं और जल्द ही कंपनी में भागीदार बन गईं।

बाद में, अरुण ने भी आईटी क्षेत्र में अपनी नौकरी छोड़ दी और हेगड़े नगर में कंपनी के स्टोर और सेल्स देखते हैं। प्रदीप मार्केटिंग, सेल्स और प्रोडक्शन का ध्यान रखते हैं।

इसी पाइनवुड से बनता है फर्नीचर

कंपनी ने धीरे-धीरे DIY फर्नीचर से प्री-असेंबल फर्नीचर बनाने की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया क्योंकि इस सेगमेंट की मांग ज़्यादा थी।

उन्होंने ग्राहकों के लिए डिजाइनों को कस्टमाइज़ करना भी शुरू किया और होटल, बुटीक और कैफ़े के लिए इंटीरियर डिज़ाइन प्रोजेक्ट्स लेना शुरू किया। 

इको फ्रेंड्ली और टिकाऊ फर्नीचर

लावण्या ने बताया कि यूरोप में पाइनवुड की खेती है वैसी ही है जैसा कि भारत में बांस का उत्पादन होता है। विदेशों में कुछ ही कंपनियों को इन पेड़ों को काटने की अनुमति है और जब एक बार वे पेड़ काटते हैं  तो वे इसकी जगह एक और पौधा लगाते हैं।

पेड़ काटने के बाद उन्हें समयोचित किया जाता है।

इस प्रक्रिया के लिए, कटे हुए पेड़ों को लगभग 8-9 महीनों के लिए नदी के पानी में भिगोया जाता है। चूंकि लकड़ी कठोर होती है, इसलिए वह सड़ती नहीं है। भिगोने के बाद, इसे पट्टे में काट दिया जाता है, खुले खेतों में सुखाया जाता है, और दुनिया भर में शिपिंग मशीनों के लिए कंटेनरों में बदल दिया जाता है।

इन लकड़ियों के भारत पहुंचने के बाद Ubyld का काम शुरू होता है। कंपनी के पूरे बेंगलुरु के डीलरों से संपर्क हैं जो इस लकड़ी की बड़ी मात्रा उपलब्ध होने पर उन्हें सूचित करते हैं। यह कंपनी डीलरों से लकड़ियाँ खरीदती है और उन्हें उपचारित करती है ताकि इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जा सके।

पॉलिश के बाद धूप में सूखता फर्नीचर

लावण्या कहती हैं, जब लकड़ी उनके पास आती है, तो उसमें से कुछ छिल जाती है, उस पर कोड और बहुत सारी कीलें होती हैं। इन लकड़ियों को थानिसंद्रा में दो कारखानों में ले जाया जाता हैं, जहां कीलों को बाहर निकाल दिया जाता है और पट्टों को साफ किया जाता है। अगर पट्टों में कोई छेद होती है तो उन्हें पुट्टी से भरा जाता है और इसे चिकना बनाने के लिए रेत का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद फर्नीचर का डिज़ाइन बनाया जाता है जिसके बाद इसे काटा जाता है, जोड़ा जाता है और पॉलिश किया जाता है। उसके बाद, फर्नीचर धूप में सुखाया जाता है। खास बात ये है कि इनको सुखाने के लिए किसी भी आर्टिफिशिअल तरीके का उपयोग नहीं किया जाता है।

इको-फ्रेंडली होने के अलावा, अन्य विशेषताएं हैं जो Ubyld के फर्नीचर को अलग बनाती हैं। इस पाइनवुड की घनत्व बहुत अधिक है, जो मजबूत फर्नीचर के लिए एकदम सही है जो बाहर रखे जाने पर भी खराब नहीं होता है।

अपसाईकल लकड़ी से बनी खूबसूरत डाइनिंग टेबल

लावण्या बताती हैं कि लकड़ी की एक और दिलचस्प विशेषता है कि इन पर दीमक जैसे कीटों द्वारा हमले का जोखिम नहीं होता है।

वह आगे बताती हैं, जब लकड़ी में नमी होती है, तो रोगाणुओं की संभावना ज़्यादा होती है और यह दीमक को आकर्षित करता है। लेकिन, पाइनवुड में राल के उत्पादन करने का विशेष गुण है, जो स्वभाविक रूप से कीटों को रोकता है। और इस तरह कीट हमलों को रोकने के लिए इन्हें केमिकल का इस्तेमाल कर उपचारित करने की ज़रूरत नहीं होती है।

लोगों को अपने फर्नीचर की बेहतर समझ के लिए, वो ग्राहकों को अपने स्टोर पर आने के लिए कहते हैं। लावण्या फर्नीचर डिजाइन करती हैं और 3 डी डिजाइन भेजती हैं। ग्राहकों से हरी झंडी के बाद, वो उत्पादन करते हैं और 2-3 सप्ताह के भीतर फर्नीचर डिलिवर करते हैं।

एक कैफ़े की इंटीरियर डिजाइनिंग

सभी फर्नीचर हाथों द्वारा बनाए जाते हैं और ज़्यादातर पारंपरिक रूप से बढ़ईगीरी का अभ्यास करने वाले विश्वकर्मा समुदाय इस काम में शामिल हैं। लावण्या कहती हैं, “मनीष हमारे पहले बढ़ई इसी समुदाय से थे औ उन्होंने हमें अपने गृहनगर से दूसरे बढ़ई से संपर्क कराया। ये सभी अब हमारे कारखाने में हमारे साथ काम करते हैं। ”

कंपनी के पास फर्नीचर के कुछ DIY स्टॉक हैं, जैसे अलमारियाँ, स्टोरेज यूनीट, और सीटर।

ग्राहकों तक सामान पहुंचाने में आने वाली चुनौतियाँ

लगभग तीन साल पहले, रोहित जॉन पुलिकल और उनकी पत्नी टेरेसा ने बेंगलुरु में एक अपार्टमेंट खरीदा था और वे फर्नीचर की तलाश में थे। टेरेसा ने ऑनलाइन रिसर्च किया और Ubyld की खोज की। दंपति ने स्टोर का दौरा किया और वे वहां मौजूद असं

ख्य डिजाइनों से चकित थे।

वह बताते हैं, “हम भी स्थिरता कारक से प्रभावित थे। इसलिए, जब खरीदने की बात आई, तो हमने फिर से स्टोर पर जाने का फैसला किया। हमने अपनी आवश्यकताओं के बारे में बताया और उन्हें और अधिक गौर से सुना।”

अब, इस कपल के घर में किचन कैबिनेट, चार वार्डरोब, चार कॉट, एक टीवी युनिट, एक क्रॉकरी कैबिनेट, और एक डाइनिंग टेबल सेट है, जो कि Ubyld द्वारा बनाया गया है!

अपने प्रॉडक्ड के खुश ये कपल कहते हैं, “हमारे पिछले अपार्टमेंट में, हमारे पास कंप्रेस्ड लकड़ी से बना फर्नीचर था, जो बहुत टिकाऊ नहीं था। उसकी तुलना में, Ubyld का फर्नीचर टॉप-ग्रेड यूरोपीय लकड़ी को अप-सायकल करके बनाया गया है और यह पैसे और गुणवत्ता, दोनों के लिहाज़ से बेहतर है।”

ग्राहकों की एक सेट द्वारा इस तरह के फर्नीचर की सराहना करने के बावजूद, एक टिकाऊ फर्नीचर ब्रांड बनाने की राह इतनी आसान नहीं रही है।

लावण्या का कहना है कि चूंकि उनकी अवधारणा नई और अनोखी है, इसलिए बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं और इसलिए उन्हें शिक्षित करना पड़ता है।

लावण्या आगे बताती हैं, “ हम एक व्यवसाय-केंद्रित कंपनी नहीं हैं, बल्कि हमारा इरादा पर्यावरण को बचाने में योगदान देना है। हम कीमतों को कम रखने की कोशिश करते हैं ताकि अधिक ग्राहक फर्नीचर खरीद सकें और यह लोगों को इस अवधारणा के बारे में पता चल सके।”

वह कहती हैं कि चूंकि उनका सारा फर्नीचर हाथ से बनाया जाता है इसलिए प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है। डिजाइनिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक, हर पहलू पर नज़र रखनी पड़ती है। 

पाइनवुड से बना टीवी कैबिनेट

लावण्या बताती हैं कि, इन चुनौतियों के बावजूद वे अधिक लोगों को अपनी अवधारणा के बारे में शिक्षित करने की योजना बना रहे हैं।

वर्तमान में, महामारी ने व्यापार को बढ़ाने की उनकी योजनाओं को रोक दिया है।

अंत में वह कहती हैं कि, “हम पर्यावरण के प्रति जागरूक फर्नीचर का उत्पादन करने के लिए लकड़ी को अप-सायकल करने की कोशिश कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि लोग यह समझें कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना भी फर्नीचर बनाए जा सकते हैं।”

 

मूल लेखAngarika Gogoi 

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