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इंजीनियरिंग के दौरान शुरू किया केंचुआ खाद का बिजनेस, 5 साल में बन गयीं करोड़पति सना खान

Woman Entrepreneur

बिजनेस शब्द सुनते ही, अक्सर हमारे दिमाग में किसी पुरुष बिज़नेस मैन की छवि सबसे पहले उभरती है। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी बिज़नेस वुमन से मिलवाने जा रहे हैं, जिनके काम की सराहना देश के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी भी अपने शो ‘मन की बात’ में कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहने वाली, सना खान (Sana Khan) की ‘एसजे ऑर्गेनिक्स’ कंपनी में प्राचीन तरीकों से वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाया जाता है। सना तब बी.टेक के चौथे वर्ष में थीं, जब उन्होंने अपने कॉलेज में वर्मीकम्पोस्टिंग के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। वहीं से उनकी दिलचस्पी इसमें बढ़ी। बाद में, उन्होंने वर्मीकम्पोस्टिंग में ही अपना कारोबार शुरु कर लिया।

दरअसल, सना बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन, उनका भविष्य उन्हें किसी और दिशा में ले जाने के लिए तैयार था। मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा में वह सफल नहीं हो सकीं। तब उन्होंने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में आईएमएस इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। बी.टेक की पढ़ाई के चौथे वर्ष के दौरान उन्हें एक वर्मीकम्पोस्टिंग प्रोजेक्ट पर काम करना था। लेकिन, यह कैसे किया जाता है, इसके बारे में उन्हें पहले से कोई जानकारी नहीं थी।

जैसे-जैसे सना खान (Sana Khan) ने इस पद्धति से मिलने वाले लाभ को देखना शुरू किया, उनकी दिलचस्पी और बढ़ने लगी। उन्होंने यह महसूस किया कि किसान इसका उपयोग बहुत सीमित स्तर पर करते हैं। उन्होंने फैसला किया कि वह अपने इस प्रोजेक्ट को फील्ड में लागू करेंगी। सना बताती हैं कि प्रोजेक्ट पर काम करते हुए, उन्होंने सोचा कि इस प्रोजेक्ट को बड़े पैमाने पर लागू करना चाहिए। वह कहती हैं, “मैंने केंचुए पालना शुरू किया और इससे बने खाद की मार्केटिंग करना शुरू कर दिया।”

वर्मीकम्पोस्टिंग, केंचुओं के उपयोग से अच्छी खाद तैयार करने की एक प्रक्रिया है। बायोमास केंचुओं का भोजन हैं और इनके द्वारा निकाली गई मिट्टी को ‘वॉर्म कास्ट’ कहा जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसी कारण इसे ‘काला-सोना’ भी कहा जाता है। केंचुए तीन साल तक जीवित रहते हैं और तेजी से प्रजनन करते हैं, जिससे यह प्रक्रिया बिजनेस के लिए टिकाऊ और सस्ती बन जाती है। जैविक खेती प्रणाली के एक मुख्य अंग के रूप में इसके बढ़ते महत्व के अलावा, वर्मीकम्पोस्टिंग को स्वच्छ, टिकाऊ और जीरो वेस्ट तरीका भी माना जाता है। क्योंकि, कचरे को नष्ट करने में रोगाणु, केंचुओं की बड़े पैमाने पर सहायता करते हैं।

सना कहती हैं, “हमने केमिकल उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कर, प्राकृतिक प्रणाली में हस्तक्षेप किया है, जो हमारे स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डालते हैं। जैविक उत्पादन चीज़ों की प्रकृतिक गुणवत्ता को बनाए रखते हैं और खराब नहीं होने देते हैं। ये न सिर्फ हमारी सेहत के लिए अच्छा है बल्कि इससे जमीन की उर्वरता भी बनी रहती है।”

डेयरी खाद

शुरुआत में, जब सना ने वर्मीकम्पोस्टिंग शुरू करने का फैसला किया, तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सना ने अपने परिवार को अपनी योजना के बारे में बताया। परिवार वाले सना की बातों के खिलाफ थे, क्योंकि उनके परिवार में कोई भी कृषि क्षेत्र से नहीं जुड़ा था और न ही सना के पास कोई औपचारिक ट्रेनिंग थी। सना की माँ ने उन्हें काफी समझाया कि उन्हें किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करनी चाहिए। लेकिन सना अपना फैसला ले चुकी थीं। अंततः सना को अपने पिता, जो  पेशे से दर्जी हैं, उनका और अपने भाई का समर्थन मिला।

सना बताती हैं, “मेरे पिता ने मुझसे कहा कि अगर मैं अपना बिजनेस शुरू करना चाहती हूँ, तो मुझे कोशिश करनी चाहिए और देखना चाहिए कि यह एक-दो साल में कहां तक जा सकता है। मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं वो काम करुं जो मुझे पसंद हो, फिर वह कोई भी काम हो इससे फर्क नहीं पड़ता।”

एसजे ऑर्गेनिक्स में बनाई गई वर्मीकम्पोस्ट

साल 2014 में 23 साल की उम्र में सना (Sana Khan) ने, अपने भाई जुनैद खान की मदद से ‘एसजे ऑर्गेनिक्स’ (SJ Organics ) की शुरुआत की। जुनैद ने उनके बिजनेस में पैसे लगाए। शुरुआत में, जब सना ने व्यवसाय शुरू किया, तो उन्होंने वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए डेयरी मालिकों से सीधा करार किया। ताकि उनकी डेयरी में होने वाले कचरे को सीधा प्रयोग में लिया जा सके। पर यह बिजनेस मॉडल असफल रहा। इसके बाद सना ने ठेकेदारों को नियुक्त किया, जो गाजियाबाद और मेरठ से डेयरी और बायोडिग्रेडेबल घरेलू कचरे को गवर्नमेंट इंटर कॉलेज (जहां वह एक वर्मीकम्पोस्टिंग साइट चला रही है), तक पहुंचाते हैं। इस कचरे को तुरंत लाल केंचुओं को खिलाया जाता है। ये विशेष तरह के केंचुए होते हैं, जो बहुत कुशल होते हैं और सना (Sana Khan) वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए इनका उपयोग करती है। जैविक पदार्थों को वर्मीकम्पोस्ट में बदलने की पूरी प्रक्रिया में करीब डेढ़ महीने का समय लगता है।

इसके बाद कम्पोस्ट को छाना जाता है और फिर उसमें गौमूत्र मिलाया जाता है, जो प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक का काम करता है। प्रमाणित मानकों को पूरा करने के लिए, वर्मीकम्पोस्ट के प्रत्येक बैच का लैब टेस्ट किया जाता है और फिर इन्हें पैक किया जाता है। इसके बाद इन्हें मार्केट किया जाता है। वर्मीकम्पोस्ट को किसान, खुदरा दुकान और नर्सरी द्वारा खरीदा जाता है। जरुरत पड़ने पर किसान कभी-कभी मिट्टी की रिपोर्ट लाते हैं और मिट्टी की आवश्यकताओं के अनुसार वर्मीकम्पोस्ट को अतिरिक्त पोषक तत्वों के साथ समृद्ध किया जाता है।

2015 तक, सना ने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया और इसे बढ़ाने पर काम करने लगीं। 2020 तक, कंपनी ने 500 टन कचरा प्राप्त किया और 1 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार के साथ प्रति माह 150 टन वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन किया। आज, सना (Sana Khan) उत्पादन संभालती हैं, जबकि उनके भाई जुनैद और पति सैयद अकरम रज़ा बिजनेस की मार्केटिंग करते हैं।

वर्मीकम्पोस्ट को भारत के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना

शुरुआती चुनौतियों के बारे में बात करते हुए सना बताती हैं, “मुझे जैविक खेती के तरीकों के बारे में किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए गांवों की यात्रा करनी पड़ती थी। लेकिन, तब लोग अक्सर मुझे गंभीरता से नहीं लेते थे।”

साल 2018 में, किसानों की मदद के लिए स्थायी पहल करने वाली एक महिला उद्यमी के तौर पर, सना के काम का जिक्र प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में किया।

सना कहती हैं, “मन की बात के 41वें एपिसोड में पीएम ने एक वीडियो चलाया, जिसमें मेरे और ‘एसजे ऑर्गेनिक्स’ में वर्मीकम्पोस्ट कैसे बनाया जाता है, उस बारे में बताया। अब किसान मुझे गंभीरता से लेते हैं और जैविक खेती के तरीकों को अपनाने में रुचि रखते हैं।”

एसजे ऑर्गेनिक्स में वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए, कम लागत में बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए ट्रेनिंग और परामर्श सेवाएं भी दी जाती हैं। सना ने रोजगार के अवसरों की एक श्रृंखला भी स्थापित की है। कंपनी में 10 स्थायी कर्मचारी हैं और अन्य दिहाड़ी मजदूर भी नियुक्त किए जाते हैं। कुल मिलाकर सना की कंपनी करीब 30 लोगों को रोजगार प्रदान करती है।

सना बताती हैं, “हम सीधे तौर पर रोजगार बढ़ाने में मदद करते हैं। क्योंकि, हम ठेकेदारों को काम पर रखते हैं, जो कचरे को ढोने तथा परिवहन में मदद करने के लिए मजदूरों को नियुक्त करते हैं। इसके अलावा, हमारे ट्रेनिंग प्रोग्राम, उद्यमियों को अपना उद्यम शुरू करने में मदद करते हैं। जिससे आगे देश भर में लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।”

सना खान एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान

रोजगार के अवसर पैदा करने के अलावा एसजे ऑर्गेनिक्स ने वर्मीकम्पोस्टिंग को लोकप्रिय बनाने में भी मदद की है। मेरठ के 104 स्कूलों ने एसजे ऑर्गेनिक्स के परामर्श से वर्मीकम्पोस्टिंग साइट्स (जगह) स्थापित की हैं। सना को उम्मीद है कि वर्मीकम्पोस्टिंग के बारे में अपने ज्ञान को साझा करके, न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि पूरे भारत में वह जैविक खेती के तरीकों को लोकप्रिय बनाने में मदद कर सकती हैं।

भविष्य के लिए अपनी आर्थिक योजनाओं के बारे में बात करते हुए, सना (Sana Khan) कहती हैं कि उन्होंने हाल ही में मेरठ के बाहरी इलाके अब्दुल्लापुर में, एक एकड़ जमीन खरीदी है, जहां वह उत्पादन का विस्तार करने और वर्मी वॉश जैसे नए उत्पादों का उत्पादन करने की योजना बना रही हैं।

अंत में, महिला उद्यमियों के लिए संदेश देते हुए, सना कहती हैं, “एक मिथक है कि महिलाएं केवल घरेलू काम कर सकती हैं। महिलाओं को कृषि उद्योग में प्रवेश करने में संकोच नहीं करना चाहिए। इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं। महिलाएं मनचाही सफलता प्राप्त कर सकती हैं। अगर हमारी महिलाएं कृषि क्षेत्र में सक्रिय रूप से प्रवेश करती हैं, तो यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान साबित होगा।”

मूल लेख: उर्षिता पंडित

संपादन – प्रीति महावर

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