मुंबई की रहने वाली 22 साल की हरसिमरन वालिया, अपने घर से ही सड़क पर घायल जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर चलाती हैं। उनका पूरा परिवार 100 बेजुबानों के साथ रहता है और यहां इंसान और जानवरों के बीच गज़ब का प्यार है। हरसिमरन जब सिर्फ 5 साल की थीं, तब से उन्हें सड़क पर घायल या भूखे बेजुबानों के प्रति हमदर्दी थी।
अपनी माँ अमन वालिया के साथ मिलकर वह न सिर्फ इनको खाना खिलाती थीं, बल्कि कुछ जानवरों की देखभाल करने के लिए उन्हें अपने घर में लेकर आ जाया करती थीं और बचपन से शुरू हुआ वह सिलसिला आज तक जारी है।
सालों से उनका परिवार अपने खर्चे पर बेजुबानों की मदद करता आ रहा है। लेकिन दो साल पहले उन्होंने Aman Animal Rehabilitation Foundation नाम की एक संस्था भी शुरू की है, ताकि लोगों की मदद के साथ इस काम को और बेहतर तरीके से कर सकें।
हाल में 100 से ज़्यादा जानवर उनके घर पर रह रहे हैं, वहीं वे रोज़ आस-पास के तक़रीबन 1000 से ज़्यादा बेजुबानों को घूम-घूमकर खाना खिलाते हैं।
बेजुबानों को आसरा देने के लिए बेच दिया अपना घर
शुरुआत में जब हरसिमरन घायल पशुओं को घर लाती थीं, तब परिवार वाले तो उनका साथ देते थे, लेकिन जिस सोसाइटी या कॉलोनी में वे रहते थे, वहां इतने सारे कुत्तों या बिल्लियों को रहने की इजाज़त नहीं थी।
जैसे-जैसे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी वैसे-वैसे दिक्कतें भी बढ़ने लगीं। समय के साथ उन्हें कई घर भी बदलने पड़े। हरसिमरन ने बताया कि उन्होंने इन बेजुबानों की देखभाल के लिए अपने खुद के घर को बेच दिया। फ़िलहाल उनका पूरा परिवार शहर से दूर एक छोटे से घर में रह रहे है, ताकि उनके साथ ये सभी बेजुबान जानवर भी आराम से रह सकें।
फिलहाल, हरसिमरन अपनी नौकरी और अपने पिता की सेविंग से यह काम कर रही हैं, वहीं उन्हें कुछ नियमित डोनर्स भी मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि वे खुद ही अपने घर में इन सभी बेजुबानों के लिए खाना पकाते हैं और दिन के 5 हजार रुपये खर्च करके इनका पेट भरते हैं।
वालिया परिवार और इन बेजुबानों की दोस्ती ऐसे ही बरकरार रखने में आप भी उनकी मदद कर सकते हैं। उन तक मदद पहुंचाने के लिए उन्हें इंस्टाग्राम पर सम्पर्क करें।
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