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यह मिस्त्री हर साल बन जाता है ‘मॉन्स्टर मैन’, ताकि करवा सके गरीब दिव्यांग बच्चों का इलाज!

र्नाटक के उदुपी में हर साल कृष्ण-जन्माष्टमी पर देश-विदेशों से लोग यहाँ घुमने आते हैं। इस मौके पर स्थानीय कलाकार अलग-अलग समूहों में रंग-बिरंगे कॉस्टयूम पहनकर और करतब दिखाकर उनका मनोरंजन करते हैं। ये सभी कलाकार अपनी कला से कुछ पैसे कमाना चाहते हैं।

हालांकि, इन्हीं में से एक कलाकार हैं रवि कटापड़ी, जो उदुपी के पास कटापड़ी के निवासी हैं। रवि का उद्देश्य बेशक इस कला के जरिये पैसे कमाना है, लेकिन इन तीन दिनों के अवसर से कमाए हुए पैसों का इस्तेमाल वे जिस काम के लिए करते हैं उसे सुनकर सभी दंग रह जाते हैं।

इस उत्सव के दौरान अपने कॉस्टयूम को पहनकर करतब दिखाने से उन्हें जो भी पैसे मिलते हैं, उनसे वे गरीब विकलांग बच्चों का इलाज करवाते हैं।

रवि खुद एक गरीब परिवार से हैं। आर्थिक समस्याओं के चलते रवि सिर्फ नौंवी कक्षा तक पढ़ पाए। उनके माता-पिता का देहांत भी हो चूका है और अभी वे अपने भाई-भाभी के साथ रहते हैं। रोजमर्रा की ज़िन्दगी चलाने के लिए रवि मिस्त्री का काम करते हैं। कभी काम मिलता है तो कभी नहीं मिलता। लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है।

स्त्रोत: मिलाप

आज से पाँच साल पहले एक दिन रवि ने एक ख़बर सुनी कि जन्म के समय डॉक्टर की लापरवाही की वजह से एक छोटी-सी बच्ची हमेशा के लिए अपने एक हाथ से विकलांग हो गयी है। अन्विता नाम की इस बच्ची के माँ-बाप बहुत गरीब हैं और वे उसके इलाज का खर्चा नहीं उठा सकते थें। इस ख़बर ने रवि को बहुत प्रभावित किया।

शुरू में रवि ने बहुत हताश महसूस किया कि वह उस बच्ची के लिए कुछ नहीं कर सकते। लेकिन कहते हैं न कि जहाँ चाह वहां राह! रवि के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उस बच्ची की मदद करने के लिए आतुर रवि ने फ़ैसला किया कि जन्माष्टमी के उत्सव पर उन्हें अपनी कला दिखाने के लिए जो भी पैसे मिलेंगें वह इस बच्ची के इलाज के लिए दे देंगे।

रवि ने जब यह बात अपने समूह के अन्य सदस्यों को बताई, तो सब उनकी मदद के लिए तैयार हो गये। पूरे एक महीने की मेहनत से उन सब ने ‘पैन्स लाब्य्रिन्थ’ फिल्म के एक राक्षस ‘फौन’ का कॉस्टयूम तैयार किया। जिसे पहनने के लिए रवि को 22 घंटे लगते हैं और उन्हें वह कॉस्टयूम तीन दिन तक पहनना होता है।

रवि यह पहनकर कुछ खा नहीं सकते है ताकि उन्हें वाशरूम का इस्तेमाल करने की जरूरत न पड़े! इसे पहनने के बाद वे पानी भी सिर्फ स्ट्रॉ से ही पी सकते है।

रवि ने अन्विता के इलाज के लिए दो दिन में 1 लाख रूपये इकट्ठे कर लिए। आज अन्विता पूरी तरह से ठीक है। लेकिन रवि के लिए यह उसके नेक काम का अंत नहीं बल्कि शुरुआत थी। उसके बाद अब वह हर साल इसी तरह पैसे इकट्ठे कर गरीब विकलांग बच्चों की मदद करता है।

अब तक रवि और उनके साथियों ने मिलकर 11 गरीब विकलांग बच्चों का इलाज करवाया हैं।

इस बार भी रवि पैसे इकट्ठा कर चार बच्चों का इलाज करवाना चाह रहे थे। पर वे लगभग 5 लाख रूपये ही इकट्ठे कर पाए जो कि चारों बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए रवि ने मिलाप संगठन के साथ मिलकर पैसे इकठ्ठा करने की मुहीम चलायी है ताकि वे उन बच्चों का इलाज करवा सकें।

रवि के इस नेक और निःस्वार्थ काम में डोनेशन देकर उनकी मदद करने के लिए यहाँ क्लिक करें

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