पुणे के बावधन इलाके में रहने वाली गीता काले घर घर जाकर झाड़ू-पोछा, बर्तन व खाना बनाने का काम करती हैं। पर पिछले कुछ दिनों से उन्हें काम पर रखने के लिए पुणे ही नहीं बल्कि मुंबई से भी फोन आ रहे हैं। देखते-देखते ये कॉल्स इतने बढ़ गए कि उन्हें अपना फ़ोन स्विच ऑफ रखना पड़ा।
उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है, इसकी वजह जानकर आप मुस्कुरा उठेंगे और आपको इस बात पर यकीन हो जायेगा कि हम पूरी दुनिया तो नहीं बदल सकते लेकिन अगर चाहें तो किसी एक इंसान की दुनिया बिल्कुल बदल सकते हैं। क्योंकि ‘अच्छी नीयत में बहुत ताकत होती है।’
ऐसा ही कुछ गीता के साथ हुआ। घरेलु सहायक का काम करने वाली गीता का विजिटिंग कार्ड इंटरनेट पर आपको आसानी से मिल जाएगा। जी हाँ, विजिटिंग कार्ड, जिस पर गीता का नाम, वह क्या-क्या काम करती हैं और किस काम के कितने पैसे लेती हैं आदि लिखा है और साथ ही लिखा है- ‘आधार कार्ड वेरीफाईड’!
जब से उनका यह विजिटिंग कार्ड सोशल मीडिया पर गया है तब से उन्हें लगातार लोगों के फ़ोन आ रहे हैं। इंटरनेट पर बहुत से लोग उनके इस आईडिया की सराहना कर रहे हैं।
पर हर किसीको हैरानी है कि गीता जो यह आईडिया आया कहाँ से?
दरअसल, यह विजिटिंग कार्ड बनाने का आईडिया एक मार्केटिंग प्रोफेशनल, धनश्री शिंदे का था, जिनके घर पर गीता काम करती हैं। कुछ दिनों पहले जब गीता काम कर रही थी, तो धनश्री को लगा जैसे गीता कुछ परेशान सी हैं। उन्होंने गीता से उसकी परेशानी की वजह पूछी तो पता चला कि किसी वजह से उनका एक दूसरा काम छुट गया है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी, बस हालात ही ऐसे हो गये थे।
लेकिन इस एक काम के छूटने से गीता की महीने की आमदनी पर बहुत ज़्यादा असर हुआ। इसलिए वह जल्द से जल्द दूसरी जगह काम ढूँढना चाह रही थीं।
उनकी परेशानी सुनकर धनश्री गीता के लिए कुछ करना चाहती थीं। वह सोचने लगीं कि अपनी तरफ से वह ऐसा क्या कर सकती हैं जिससे गीता को जल्द से जल्द काम मिल जाए। ऐसे में, उनकी ब्रांडिंग और डिजाइनिंग स्किल्स उनके काफ़ी काम आयी। उन्होंने बताया कि फ़ोन स्क्रॉल करते समय उन्हें अचानक एक वेबसाइट का ख्याल आया, जिस पर विजिटिंग कार्ड डिजाईन कर सकते हैं। उन्होंने गीता के लिए भी विजिटिंग कार्ड बनाने की सोची।
उन्होंने तुरंत गीता को अपने पास बुलाया, उनसे सभी ज़रूरी जानकारियां ली और एक विजिटिंग कार्ड डिजाईन कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद उनके लिए कुछ कार्ड्स प्रिंट भी करवाए, जिसमें कुछ उन्होंने खुद ले लिए रखे, कुछ अपने जान-पहचान वालों को दिए और बाकी कार्ड्स गीता को दे दिए।
धनश्री ने गीता से कहा कि वह ये कार्ड्स सोसाइटी में गार्ड्स और दूसरे कर्मचारियों को दे दें क्योंकि अक्सर उन लोगों से ही सोसाइटी में रहने वाले घरेलु सहायक के लिए पूछते हैं। धनश्री ने खुद भी कार्ड की फोटो अपने एक व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दी और अपने कुछ दोस्तों से इसे शेयर करने को भी कहा।
हालांकि, उनकी सोच सिर्फ़ इतनी थी कि गीता को बावधन में कहीं काम मिल जाये। लेकिन एक व्हाट्सएप ग्रुप से ही उनका कार्ड इस कदर वायरल हो गया कि गीता को पुणे, मुंबई और भी कई इलाकों से फ़ोन आने लगे। दूसरे दिन जब गीता उनके यहाँ काम करने पहुंची तो लगातर उनका फ़ोन बज रहा था।
एक वक़्त के बाद तो उन्होंने फ़ोन को स्विच ऑफ ही कर दिया। लेकिन इन सबके बीच अच्छी बात यह हुई कि उन्हें अपने ही इलाके में अच्छी जगह काम मिल गया और अब उन्हें कोई परेशानी नहीं है। इसके अलावा, उनका वायरल विजिटिंग कार्ड बहुत से लोगों के लिए एक अच्छी प्रेरणा भी बन गया है कि काम छोटा या बड़ा नहीं होता, काम सिर्फ़ काम होता है, जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए।
अंत में धनश्री सिर्फ़ यही कहती हैं, “जो लोग हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमारी मदद करते हैं, चाहे वह काम वाली मौसी हो या फिर ड्राईवर, उनके प्रति हमें संवेदना रखनी चाहिए। ये लोग भी मेहनत से काम कर रहे हैं तो उन्हें वह सम्मान देना चाहिए जिसके वे हक़दार हैं और इसी से ये दुनिया खुबसुरत बनेगी।”
संपादन – मानबी कटोच