अपना बचपन हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह एक ऐसा समय होता है, जब व्यक्ति को अपने परिवार की छत्रछाया में रहने और ज़िन्दगी के उसूल सीखने का मौका मिलता है। पिता की सीख, घर के बुज़ुर्गों का प्यार और माँ के हाथ की बड़े लाड़ से खिलाई गई रोटी, यही हमारे लिए जीवन भर की पूँजी बन जाती है। लेकिन ये सुख सभी को नहीं मिलता। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जो अपने माता-पिता से अलग होकर या गरीबी की चपेट में आने की वजह से दो वक्त का खाना भी ठीक से नहीं खा पाते। ऐसे बच्चों का जीवन किन कठिनाइयों से गुज़रता है, इसकी कल्पना आप और हम तो शायद कर भी नहीं सकते। हम सिर्फ कर सकते हैं कुछ ऐसे काम, जो इन बच्चों का पेट भर सके। आज जिस व्यक्ति के बारे में हम बात करेंगे, वो एक ऐसे शेफ हैं, जो बच्चों का पेट ही नहीं, बल्कि उनका मन भी भरने की जद्दोजहद में जुटे हैं।
सर्वेश जाधव, एक सेलिब्रिटी शेफ के तौर पर जाने जाते हैं। पुणे के ऑस्टिन 40 कैफे के हेड शेफ सर्वेश ने दुनिया का सबसे छोटा पिज़्ज़ा बना कर लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है। इसके अलावा उनके पास दुनिया का सबसे भारी चॉकलेट स्नोमैन बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी है। आपको जान कर हैरानी होगी कि गर्मागर्म घूँट के लिए पहचानी जानेवाली कॉफी को बदलकर उन्होंने दुनिया की पहली च्युइंग कॉफी यानी कि चबाकर खाई जानेवाली कॉफी का आविष्कार किया है। लेकिन सर्वेश के इन खिताबों के पीछे एक ऐसी कहानी है, जो आपके दिल को छू लेने के लिए काफी है और ये है दुनिया का सबसे छोटा पिज़्ज़ा बनने की कहानी।
क्या है दुनिया के सबसे छोटे पिज़्ज़ा की कहानी?
सर्वेश बताते हैं, “शुक्रवार की रात थी, मैं काम ख़त्म करके घर जा रहा था। तभी मैंने रेस्टोरेंट के बाहर दो गरीब छोटे-छोटे बच्चों को लोगों का बचा हुआ और जूठा खाना खाते हुए देखा। मैंने जाकर उनसे पूछा कि वो क्या खा रहे हैं? जिसके जवाब में उन्होंने मुझे कहा कि वे पिज़्ज़ा खा रहे हैं। मैंने उनसे पूछा कि अगर कल ये पिज़्ज़ा आपको फिर ना मिले तो, जिसके जवाब में उन बच्चों ने कहा कि कोई बात नहीं, लेकिन कम से कम आज तो हम इस पिज़्ज़ा का मज़ा ले रहे हैं। मैंने उनके चेहरों को देखा, भीख मांगनेवाले ये बच्चे आज सिर्फ इसलिए खुश थे, क्योंकि उन्हें पिज़्ज़ा स्वाद में कैसा होता है, ये पता चला। उन्हें ख़ुशी थी कि वे आज पिज़्ज़ा खा रहे थे, जिसका स्वाद आज तक वे नहीं जानते थे। मैंने सोचा कि हम जैसे आम लोगों के लिए पिज़्ज़ा एक ट्रीट की तरह होता है, तो फिर इन गरीबों के लिए पिज़्ज़ा खरीदकर खा पाना लगभग नामुमकिन होगा। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं इन गरीब बच्चों के लिए कुछ ऐसा करूं, जिससे ये भीख मांग कर नहीं या किसी का जूठा नहीं, बल्कि पूरे आत्मसम्मान के साथ खुद के लिए पिज़्ज़ा खरीदकर खा सकें। इसलिए मैंने दुनिया का सबसे छोटा पिज़्ज़ा बनाने की ठानी, जिसे कोई भी गरीब व्यक्ति मात्र 1 रूपए में खरीदकर खा सकता था।”
बटन पिज़्ज़ा की खासियत
इस काम पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए सर्वेश ने वर्ल्ड रिकॉर्ड की घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि वह दुनिया का सबसे छोटा पिज़्ज़ा मात्र एक रूपए में बनाएँगे।
सर्वेश कहते हैं, “ये पिज़्ज़ा बनाना एक आम पिज़्ज़ा बनाने से भी मुश्किल काम है। आपको इसे बनाने के लिए हाथों से रोल करना पड़ता है और वो सभी काम करने पड़ते हैं, जो आप एक आम पिज़्ज़ा को बनाने के लिए करते हैं। कई बार इस छोटे से पिज़्ज़ा को बेक करने में परेशानी उठानी पड़ती है, कई बार आपका हाथ जलता है, लेकिन जब कोई गरीब इसे मात्र 1 रूपए में खरीदकर खाता है, तो आपकी मेहनत सफल हो जाती है। इस 1 इंच पिज़्ज़ा को हमने बटन पिज़्ज़ा का नाम दिया है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के हिसाब से मनपसंद पिज़्ज़ा टॉपिंग के साथ बनवा सकता है। इस पिज़्ज़ा को कोई भी गरीब व्यक्ति जितना चाहे खरीद सकता है, लेकिन यदि किसी आम व्यक्ति को इसे खरीदना होगा, तो उसे कम से कम पिज़्ज़ा के 50 पीस खरीदने होंगे।”
चुनौतीपूर्ण बचपन से सामना
सर्वेश एक बिज़नेस परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन छोटी उम्र में पिता का देहांत हो जाने से उन्होंने चुनौतीपूर्ण बचपन देखा। पढ़ाई के साथ-साथ छोटा-मोटा काम भी करते रहे, लेकिन इसी चुनौती ने उन्हें एक साफ दिल इंसान भी बनाया। सर्वेश कहते हैं,
“मैं इंजीनियरिंग नहीं करना चाहता था, मैं कुछ क्रिएटिव करना चाहता था, इसलिए मैंने कुछ अलग करने की सोची। मैंने फ़ूड इंडस्ट्री में करियर बनाने की सोची। बचपन से ही मुझे खाना बनाने में बेहद मज़ा आता था और मैं हमेशा से अपने खाने के साथ एक्सपेरिमेंट करता रहता था। यही वजह है कि मैंने दुनिया की पहली ‘चबाकर पी जानेवाली कॉफी’ बनाई।”
इस तरह अपने बचपन की चुनौतियों से न हार कर सर्वेश ने अपने लिए एक नई दुनिया बनाई, जो इंसानियत से भरपूर थी।
बच्चों के लिए ख़ास कदम
‘मैटिनी शो‘, बच्चों के लिए एक ख़ास शो है, जो सर्वेश ने सिर्फ बच्चों को ध्यान में रख कर बनाया है। इस शो से न सिर्फ बच्चे, बल्कि उनके माता-पिता भी ज़िन्दगी का एक अहम सबक सीख कर जाते हैं।
सर्वेश कहते हैं, “इस शो में हम बच्चों को पूरे एक दिन के लिए कैफे में बुलाते हैं। इस दिन बच्चे अपने माता-पिता के लिए शेफ़ होते हैं। हम उन्हें बाज़ार लेकर जाते हैं और वे अपने माता-पिता के लिए उनकी पसंदीदा डिश बनाने के लिए सामान खरीदते हैं। वे कैफे में आकर उनके लिए खाना बनाते हैं। जब माता-पिता कैफे में आते हैं, तो उनका सत्कार करते हैं, उन्हें वेलकम ड्रिंक परोसते हैं।
इसके बाद पैरेंट्स को एक ख़ास फिल्म दिखाई जाती है। इसके बाद बच्चे खुद अपने माता-पिता को खाना परोसते हैं। किसी भी पैरेंट के लिए यह एक गर्व और ख़ुशी का समय होता है। लेकिन इसके बाद अचानक मैं उन बच्चों को ‘भैया’, ‘अरे सुनना’, ‘वेटर’, जैसे शब्दों का प्रयोग करके बुलाता हूँ। इसे सुन कर बच्चों के पैरेंट्स सकते में आ जाते हैं। जिसके बाद सीखने की बारी पैरेंट्स की होती है। मैं माता-पिता को समझाता हूँ कि जो लोग आपको खाना सर्व करते हैं, उनकी भी अपनी इज़्ज़त होती है और बच्चे आप लोगों से ही सीखते हैं। इसलिए हमें बचपन से ही बच्चों को लोगों की इज़्ज़त करना सीखाना होगा।”
आपको जान कर हैरानी होगी कि इस मैटिनी शो के लिए सर्वेश के पास हमेशा लोगों की भरमार होती है।
सर्वेश का मनना है कि नीचे तबके के लोगों की इज़्ज़त करना बेहद ज़रूरी है। गरीबों का भी स्वाभिमान होता है और उनके बेहतर कल के लिए हमें हमेशा कार्यरत रहना चाहिए। हमें अपने बच्चों को भी यही सिखाने की ज़रुरत है, जिससे बच्चों को एक अच्छी शिक्षा मिल सके। सर्वेश द्वारा बनाया गया दुनिया का सबसे छोटा पिज़्ज़ा कोई भी गरीब व्यक्ति पूरे स्वाभीमान के साथ खरीदकर खा सकता है और उसका लुत्फ़ उठा सकता है। ये एक बेहतर समाज की ओर सर्वेश की एक छोटी सी पहल है।
यदि आप भी सर्वेश के साथ इस काम से जुड़ना चाहते हैं, तो उन्हें 91302 98998 पर संपर्क कर सकते हैं। आप उनसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपका एक छोटा सा कदम गरीबों के लिए एक मदद के रूप में सामने आ सकता है।
संपादन- अर्चना गुप्ता