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इनके प्रयासों से भोपाल में लगे हैं 500 से ज्यादा पौधे, कई वयस्क होकर दे रहे छाया !

र्यावरण एक ऐसा विषय है जिस पर सबसे ज्यादा मंथन और चर्चा होती है, लेकिन इसके बावजूद पर्यावरण संरक्षण पर उतना काम होता नजर नहीं आता है या फिर हमारे द्वारा किए जाने वाले प्रयासों को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि प्रकृति के संरक्षण के लिए नियम-कानून बनाना और उन्हें लागू करना सरकार की ज़िम्मेदारी है, लेकिन हमारे भी इसके प्रति कुछ कर्तव्य हैं। यदि हम सभी अपने-अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी एवं कर्तव्यों को निभाना शुरू कर दें, तो स्थिति काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है।

इसी सोच के साथ भोपाल निवासी प्रमोद जैन पिछले कई सालों से पौधे लगा रहे हैं। उनके द्वारा लगाए गए कई पौधे अब पेड़ बन चुके हैं और सूरज की तपन से लोगों को राहत प्रदान कर रहे हैं। इतना ही नहीं जैन पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर लोगों को जागरुक करने में भी लगे हैं। ये उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि उनकी देखा-देखी कई लोगों ने खास मौकों पर पौधारोपण को अपनी आदत में शामिल कर लिया है।

मूलत: हरियाणा के रहने वाले प्रमोद जैन पिछले 10 साल से भोपाल में हैं और एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं। दोस्त, रिश्तेदार, सहकर्मी और यहाँ तक कि आस-पड़ोसियों को भी वह पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। जैन का मानना है कि जब प्रकृति से हमें इतना कुछ मिलता है, तो हमें भी उसे एक रिटर्न गिफ्ट देना चाहिए और पौधे लगाने से बेहतर गिफ्ट भला क्या हो सकता है।

 

प्रमोद अब तक 500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं।


पौधों के साथ प्रमोद जैन।

 

क्या सभी पौधे पेड़ बन पाए? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, “सभी पेड़ बन पाए या नहीं, यह बताना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि मैं काम के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर घूमता रहता हूँ। लेकिन मैंने यह ज़रूर सुनिश्चित किया है कि जितना संभव हो कोई न कोई उन पौधों की देखभाल करे। हाँ, इतना मैं पूरे विश्वास के साथ बता सकता हूँ कि मेरे लगाए हुए 200 के आसपास पौधे अब वयस्क हो चुके हैं। एक आम का पौधा मैंने अपने दोस्त के फार्म हाउस में लगाया था, जिसके मीठे आम का स्वाद हम सभी चखते रहते हैं।”

 

प्रमोद जैन आम लोगों की तरह अपना जन्मदिन तो मनाते हैं, लेकिन उसमें मिलने वाले उपहार बेहद ‘ख़ास’ होते हैं।

अपने दोस्त के फार्म हाउस में लगाये आम के पेड़ के साथ जैन

प्रमोद को अच्छी तरह से जानने वाले कभी भी उनके लिए महंगे उपहार लाने की हिमाकत नहीं करते, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी यह कोशिश जैन का मिज़ाज बिगाड़ने के लिए काफी है। इसके बजाए वे पौधे साथ लेकर आते हैं। जो प्रत्यक्ष तौर पर उपस्थित नहीं हो पाते, वो एक पौधा लगाकर उसकी फोटो खींचकर जैन को भेज देते हैं, यही उनका बर्थडे गिफ्ट होता है।

स्मार्ट सिटी के नाम पर कटते पेड़ों से चिंतित जैन कहते हैं, “विकास की जो राह हमने पकड़ी है इसके अंत में सिर्फ तबाही है। लेकिन इसे रोकना मुश्किल है, इसलिए नुकसान को कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं और इसके लिए आम लोगों को भी आगे आना होगा।”

राजधानी भोपाल में भी इस साल कई पेड़ काटे गए और कई काटे जाने हैं, लिहाजा जैन चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग पौधारोपण करें और इसके लिए वह लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं। वह अपनी सोसाइटी के रहवासी, जान-पहचान वाले और यहां तक कि अपने क्लाइंट से भी अपने इस अभियान का हिस्सा बनने की अपील करते हैं।

 

प्रमोद जैन के लिए सबसे ज्यादा ख़ुशी का पल वह था जब उनकी कंपनी के सीएमडी ने उनसे प्रेरित होकर पौधारोपण किया।

प्रमोद जैन के जन्मदिन के मौके पर पौधे लगाते उनके दोस्त।

इस बारे में उन्होंने कहा, “मैं अपने ऑफिस में भी सभी को पेड़ और उनके महत्व के बारे में बताता रहता हूँ, एक दिन हमारे सीएमडी आए और मुझे पौधा लगाते हुए अपनी एक फोटो दिखाई। बहुत ख़ुशी हुई कि केवल सहकर्मी ही नहीं सीएमडी भी मेरी बातों से प्रेरित हैं’।

प्रकृति से प्रेम को परवान चढ़ाने में उन्हें किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, इस विषय में ‘द बेटर इंडिया’ से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हर अच्छे काम में कई अड़चनें आती हैं, आलोचना भी होती है, मेरे साथ भी ऐसा हुआ। उदाहरण के तौर पर कुछ साल पहले मेरे ससुराल में एक कार्य्रकम था। मैंने सुझाव दिया कि सभी मेहमानों को हमारी तरफ से रिटर्न गिफ्ट में एक पौधा दिया जाए। मेरा यह सुझाव किसी को पसंद नहीं आया, उल्टा लोग मेरे ऊपर हँसे, लेकिन आज वही लोग पौधे गिफ्ट कर रहे हैं। मैं लगातार लोगों को प्रेरित करता रहता हूं, कई बार उन्हें यह पसंद नहीं आता। इससे वो या तो मुझसे दूरी बना लेते हैं या बातचीत कम कर देते हैं मगर मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता।”

प्रमोद जैन आम, जामुन, पीपल, नीम सहित ऐसे पौधे लगाने को प्राथमिकता देते हैं जो बड़े होकर पर्यावरण संरक्षण में अहम् भूमिका निभाते हैं और पक्षियों की भूख मिटाने का माध्यम भी बनते हैं। हरियाणा से भोपाल के सफ़र में वह जहाँ भी रुके वहाँ पौधारोपण किया। भोपाल में भोजपुर, अवधपुरी, गोविंदपुरा और बागमुगलिया आदि इलाकों में उन्होंने कई पौधे लगाए। जैन की कोशिश रहती है कि जहाँ वह पौधारोपण कर रहे हैं वहां आसपास रहने वाले भी उनके अभियान से जुड़े, ताकि पौधों को ज्यादा अच्छी देखभाल मिल सके।

 

फ़िलहाल मानसून मध्यप्रदेश में दस्तक दे चुका है और पौधे लगाने का यह सबसे माकूल समय है, इसलिए जैन ने 108 पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए वह लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं।

भोपाल के बागमुगलिया इलाके में पौधे लगाते जैन

प्रमोद के इस मिशन में उनकी पत्नी भी बराबर की सहभागी है। वह मानते हैं कि जीवनसाथी के साथ के बिना इतनी सक्रियता से काम करना संभव नहीं होता। वैसे बात सिर्फ पौधे लगाने तक ही सीमित नहीं है। जैन दंपत्ति पर्यावरण के साथ-साथ समाज के प्रति अपने कर्तव्य को भी बखूबी निभा रहा है। वह जन्मदिन या त्यौहार आदि के मौके पर गरीबों में नए कपड़े, खाना बांटना नहीं भूलते।

 

भिखारियों को कुछ देने की बजाए जैन दंपत्ति कंस्ट्रक्शन साइट के मजदूरों, सिक्योरिटी गार्ड्स और ऐसे गरीबों की सहायता करते हैं जो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते। 

आम के लगाए गए पौधे की परिवार के साथ देखभाल करते प्रमोद जैन

इस बारे में प्रमोद जैन कहते हैं, “किसी के लिए कुछ करके अच्छा लगता है, हम कहीं जाते हैं तो ज्यादा से ज्यादा कपड़े-खाना लेकर जाते हैं, ताकि कोई खाली हाथ न रह जाए।”

एक घटना का जिक्र करते हुए वह बताते हैं, “कुछ वक़्त पहले मैं और मेरी पत्नी घर वापस आ रहे थे। रास्ते में हमने देखा कि कुछ बच्चे सड़क किनारे बैठे हैं, उनके कपड़े बहुत गंदे थे और उनमें छेद भी हो रहे थे। लिहाजा जो कपड़े हमारे पास थे हमने उन्हें दे दिए, इतने में तीन बच्चे और आ गए, लेकिन हमारे पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था। हम उन्हें मायूस देखना नहीं चाहते थे, इसलिए उनसे कहा कि ‘यहीं खड़े रहना, कहीं जाना नहीं, हम अभी आते हैं’, इसके बाद हम सीधे नज़दीक की एक दुकान में गए और कपड़े खरीदकर उन्हें दे दिए।”

गरीबों में राशन और कपड़े वितरित करते जैन।

‘द बेटर इंडिया’ के माध्यम से प्रमोद जैन लोगों से ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील करना चाहते हैं। उनका कहना है कि हमें विरासत में पानी से लबालब नदियां और स्वच्छ हवा मिली है, लेकिन हम विरासत में क्या छोड़कर जा रहे हैं – जहरीली हवा, सूखी नदियां? इस स्थिति को तभी बदला जा सकता है, जब हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझें। सरकार क्या कर रही है, क्या नहीं, इस पर बहस करने से अच्छा है हम खुद कुछ करें। हर खास मौके पर पौधे लगाने का संकल्प लें और इसकी शुरुआत इस मानसून से कर सकते हैं।

यदि आप प्रमोद जैन के अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप उनसे 96919 16053 पर संपर्क कर सकते हैं या उनके फेसबुक पेज ‘Yes I Will Help You’ से जुड़ सकते हैं।

 


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