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हर महीने बचाते हैं कुछ पैसे, ताकि गरीब बच्चों का जीवन संवार सकें!

‘शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।’

नेल्सन मंडेला के इन शब्दों पर अमल करते हुए भोपाल के नवीन बोडखे गरीब बेसहारा बच्चों को अशिक्षा के अंधियारे से निकालने के प्रयास में लगे हैं, ताकि देश के भविष्य को और उज्ज्वल बनाया जा सके। लगभग आठ साल पहले नवीन और उनके कुछ दोस्तों ने बस्तियों में घूम -घूमकर बच्चों को पढ़ाने का अभियान शुरू किया था, जो आज एक स्थायी ठिकाने तक पहुँच गया है। हालांकि ये ठिकाना कुछ और नहीं बल्कि नवीन का घर है, जहां उन्होंने एक कमरा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा को समर्पित कर रखा है।

‘नवीन सर’ की क्लास में फ़िलहाल 40 बच्चों को हर रोज़ अलग-अलग विषय पढ़ाये जाते हैं। इसके साथ ही शहर के ट्रांसपोर्ट नगर इलाके की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए भी समय-समय पर क्लासेज आयोजित होती हैं। नवीन और उनके दोस्त केवल शिक्षा ही प्रदान नहीं करते बल्कि बच्चों के लिए किताबें, बैग जैसे जरुरी साजोसामान की व्यवस्था भी करते हैं और खास बात यह है कि इन सबके लिए पैसा भी अपनी सैलरी या पॉकेट मनी से इकठ्ठा किया जाता है।

नवीन के घर दिन में दो बार क्लासेज़ लगती हैं, जिनमें 40 के आसपास बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए नवीन के दोस्त बारी-बारी से आते हैं। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं दिया जाता बल्कि उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि तेज रफ़्तार दुनिया में कैसे मजबूती के साथ खड़े रहना है। उन्हें आसपास के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों की यात्रा कराई जाती है, साथ ही मॉल आदि भी ले जाया जाता है, ताकि उनके अंदर के उस खौफ को ख़त्म किया जा सके, जो अक्सर गरीब एवं आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को जकड़े रहता है।

इस बारे में नवीन कहते हैं, “पाठ्यक्रम की किताबों का ज्ञान होना जितना जरुरी है, उतना ही ज़रूरी है दुनियादारी की समझ। हमारी कोशिश है बच्चों को शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बनाना। हम उन्हें समय-समय पर मॉल, थियेटर भी ले जाते हैं, इससे एक तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है, दूसरा उनका दिमाग भी तरोताजा हो जाता है।”

बच्चों के साथ नवीन और उनके दोस्त.

कुछ साल पहले सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देखकर नवीन के मन में उन्हें शिक्षित करने का ख्याल आया, ताकि वह इज्जत के साथ रोजी-रोटी कमा सकें। शुरुआत में उन्होंने अपने आसपास के गरीब बच्चों को पढ़ना शुरू किया फिर कुछ दोस्तों के साथ मिलकर अपने अभियान का विस्तार किया। आज दर्जनों गरीब बच्चे उनसे निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

नवीन को बच्चों को शिक्षित करने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा। कई मौके ऐसे भी आये जब हर तरफ से निराशा हाथ लगी, लेकिन उन्होंने कदम पीछे नहीं खींचा। नवीन बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती थी झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों का विश्वास जीतना।

“हमने धीरे-धीरे उनके साथ घुलना-मिलना शुरू किया। त्यौहारों की खुशियाँ उनके साथ बांटी, उन्हें यकीन दिलाया कि हम केवल उनके बच्चों का भविष्य संवारना चाहते हैं। तब कहीं जाकर उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने की इजाजत दी। हमने पहली पाठशाला शहर की बस्तियों में लगाई, इसके बाद यह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया,” नवीन ने आगे बताया।

चूँकि नवीन की टीम को सरकार या समाज से कोई सहायता नहीं मिलती, इसलिए उन्हें खुले आसमान के नीचे पाठशाला चलानी होती थी। लिहाजा बारिश के मौसम में कई-कई दिनों तक पढ़ाई पर ब्रेक लग जाता था। इस समस्या से निपटने के लिए नवीन ने अपने घर में एक अतिरिक्त कमरे का निर्माण करवाया और उसे बच्चों की शिक्षा के नाम सपर्मित कर दिया। हालांकि ऐसा नहीं है कि घूम-घूमकर शिक्षा बांटने के अभियान पर रोक लग गई है, नवीन अपने दोस्तों के साथ समय-समय पर बस्तियों में जाकर उन बच्चों को पढ़ाते हैं जिनके लिए उनके घर तक आना संभव नहीं है, इसके अलावा कुछ दूसरी योजनाओं पर भी काम चल रहा है।

झुग्गी में जाकर बच्चों को पढ़ाते हुए नवीन

पेशे से व्यवसायी नवीन बोडखे मानते हैं कि नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट के चलते महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में इजाफा हुआ है। इसलिए वह बच्चों को गलत के खिलाफ आवाज़ उठाने और महिलाओं का सम्मान करने जैसी सीख भी देते हैं। इसके साथ ही वह ऐसा माहौल भी निर्मित करते हैं, जिसमें गलत विचारों की कोई जगह ही न हो। रक्षाबंधन के मौके पर छात्राओं द्वारा छात्रों को रक्षा सूत्र बाँधा जाता है, और छात्र उनकी रक्षा की सौगंध लेते हैं।

द बेटर इंडिया से बातचीत में नवीन ने कहा, “बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं यदि उनके समक्ष अच्छे उदाहरण पेश किये जाएंगे तो वह अच्छा ही सीखेंगे। रक्षाबंधन, कन्यापूजन जैसे आयोजन महिलाओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा देते हैं, इसलिए हम अपने बच्चों को भी इनका हिस्सा बनाते हैं। पैरेंट्स भी इस बात से खुश रहते हैं कि उनके बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है।”

बच्चों के परिजनों से नवीन को भले ही तारीफ मिले, लेकिन कुछ दोस्तों के पैरेंट्स से उन्हें अक्सर शिकायतें मिलती हैं। शिकायतें कुछ ऐसी कि उनके बच्चे अपनी पढ़ाई पर फोकस करने के बजाये समाज सेवा में लगे हैं। हालांकि, नवीन किसी न किसी तरह उन्हें समझा ही लेते हैं। वह कहते हैं, “पैरेंट्स का सोचना भी सही है, पर जब मैं उन्हें बताता हूँ कि खाली समय में मौज-मस्ती करने की बजाये उनके बच्चे समाज के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं, तो वे समझ जाते हैं।”

नवीन की इस मुहिम में नौकरीपेशा और कॉलेज स्टूडेंट दोनों जुड़े हुए हैं। नवीन खुद को खुशनसीब मानते हैं कि सामाजिक बदलाव के इस काम में उन्हें अपने परिजनों का पूरा सहयोग मिला।

बच्चों के लिए शैक्षिक सामग्री, ज़रूरी साजोसामान आदि के लिए पैसा जुटाना कितना मुश्किल है?

इस सवाल के जवाब में नवीन कहते हैं, “बहुत मुश्किल है, मैं ऐसा नहीं कहूँगा, क्योंकि हम सभी ने यह तय किया है कि अपनी मासिक आय में से कुछ न कुछ हिस्सा अलग रखेंगे। हम हर महीने पैसे जोड़ते हैं और ज़रूरत के समय उसी में से खर्च करते हैं। बच्चों की किताबें, बैग, कपड़े, उन्हें कहीं घुमाने ले जाना और त्यौहारों आदि के मौके पर खर्चा तो काफी होता है, मगर सबके सहयोग से काम चल जाता है। कभी-कभी हमारे काम को सराहने वाले भी मदद के लिए आगे आ जाते हैं, लेकिन हम किसी से कैश स्वीकार नहीं करते। उनसे कहते हैं कि आप जो मदद करना चाहते हैं सामान के रूप में कर सकते हैं, क्योंकि पैसा शंकाओं को जन्म देता है।”

बच्चों का किताबों से नाता जोड़ने के अलावा नवीन और उनके दोस्त पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं की स्किल डेवलपमेंट में भी सहायता करते हैं, ताकि वह सम्मान के साथ अपना जीवन बिता सकें। नवीन की इच्छा अपनी टीम का विस्तार करने की है और इसके लिए वह लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से साथ आने की अपील करते रहते हैं। यदि आप भी उनसे जुड़ना चाहते हैं तो 8839568406 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन – मानबी कटोच 


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