घरों में झाड़ू-पोछा करने वाली माँ और सब्ज़ियां बेचकर घर चलाने वाले पिता का बेटा अब इंजीनियर बनने जा रहा है। राजस्थान के कोटा शहर के गणेशपुरा तालाब झोपड़-पट्टी में रहने वाले विशाल विश्वास को एनआईटी सूरत के केमिकल ब्रांच में एडमिशन मिल गया है।
विशाल की निरक्षर माँ दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा करती हैं और 8वीं पास पिता सब्जियां बेचते हैं, ताकि बच्चे जमकर पढ़ाई कर सकें। हालांकि झुग्गी झोपड़ी में रहकर पढ़ाई करना आसान काम तो एकदम नहीं। क्योंकि यहां जब भी तेज़ हवा चलती है, तो घर के टीन-टप्पर उड़ जाते हैं और पढ़ना-लिखना तो दूर की बात झुग्गी में रहना भी मुश्किल हो जाता है।
लेकिन इन सब परेशानियों के बावजूद, विशाल ने खूब मेहनत की और आज NIT में एडमिशन लेने जा रहे हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण उनका एक साल खराब भी हुआ, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उनके पास संसाधन नहीं थे। लेकिन जब हालात सामान्य हुए, तो विशाल एक बार फिर परीक्षा की तैयारियों में लग गए।
बच्चों को पढ़ाने के लिए माता-पिता भी पाई-पाई जोड़ते रहे। विशाल की लगन और प्रतिभा को देख उनके कोचिंग संस्थान ने भी उनकी काफी मदद की और अब घर का होनहार बेटा इंजीनियर बनने जा रहा है।
एनआईटी में दाखिला लेकर बेटा इंजीनियर, तो बिटिया बनने जा रही डॉक्टर
विशाल विश्वास हमेशा से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्होंने सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा 73 फीसदी अंक और 12वीं कक्षा 78 फीसदी अंकों से पास की थी। आगे उन्होंने JEE की परीक्षा दी और सफलता हासिल की। वहीं, विशाल की बहन वर्षा ने भी नीट यूजी 2022 में अच्छे अंक हासिल किए।
वर्षा ने सेल्फ स्टडी कर खुद को साबित किया और अब वह बीडीएस की पढ़ाई करने जा रही हैं। वहीं, छोटा भाई बिपिन 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है और उसने कक्षा 10वीं 93 फीसदी अंकों के साथ पास की थी।
विशाल के पिता, बुद्धि विश्वास फेरी लगाकर ठेले पर सब्जी बेचते हैं, जिनका दिन सुबह तीन बजे शुरू हो जाता है। माँ शेफाली दूसरों के घरों में बर्तन मांजती और झाड़ू-पोछा करती हैं। विशाल के पिता ने बताया कि कोटा की कोचिंग इस्टीट्यूट ने विशाल की फीस में राहत देकर काफी सहयोग किया और अगले चार सालों तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान भी मासिक छात्रवृत्ति देने की बात कही है। विशाल को इंजीनियर बनने की प्रेरणा ‘थ्री इडियट्स’ मूवी से मिली।
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